- लोग पूरे दिन बूथों पर कितना मतदान हुआ इसके लिए करते रहे गुणा-भाग
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मतदान के अगले दिन आंकड़ों को लेकर दिनभर माथा-पच्ची का दौर चला। लोग यही गुणा-भाग करते रहे की बूथों पर कितना मतदान हुआ? किस बूथ पर कितना वोट मिला? इसका अनुमान ही प्रत्याशी और उनके समर्थक लगाते रहे।
बूथ के आंकड़ों का खेल पूरा दिन खेला जाता रहा। कहा जा रहा है कि हिंदू बाहुल्य और मुस्लिम बाहुल्य जो बूथ थे, उनके आंकड़े खंगाले जा रहे हैं। क्योंकि यह भी पता लगा है कि मुस्लिमों के बूथ पर मतदान प्रतिशत ज्यादा रहा। यही प्रत्याशी की धड़कन बढ़ा रहा हैं।
हालांकि सपा-रालोद गठबंधन के प्रत्याशी इस बात को लेकर आशंकित हैं कि कहीं मुस्लिम मतों का बंटवारा तो नहीं हो गया। इसी वजह से बूथ पर पड़े मतदान का डाटा खंगाला जा रहा है। मेरठ जनपद में सात विधानसभा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में सात में से छह विधानसभाओं पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी। सिर्फ एक शहर सीट पर समाजवादी पार्टी का प्रत्याशी विजय हुआ था। अब 2017 के बाद राजनीतिक परिदृश्य बदला हुआ है। इस बीच में 13 माह कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर किसानों का बड़ा आंदोलन चला। इस आंदोलन के चलते किसान एकजुट हुआ और भाजपा के खिलाफ धीरे-धीरे माहौल बनना शुरू हुआ।
उस माहौल को विपक्ष रालोद और सपा ने व्यापक रूप देने की चुनाव में कोशिश की। यही वजह है कि सपा-रालोद गठबंधन का चुनाव में शानदार प्रदर्शन का दावा किया जा रहा है, लेकिन रिजल्ट आने के बाद ही इसके बारे में कुछ कहा जा सकता हैं। क्योंकि रालोद ने फिर 2022 में राजनीतिक सफर ‘जीरो’ से शुरू किया और सपा का भी कोई खास वजूद 2017 में पश्चिमी यूपी में नहीं रहा।
अब दोनों ने मिलकर यह चुनाव लड़ा है। रही बात भाजपा की तो भाजपा ने भी पश्चिमी यूपी को लेकर कोई कम प्रयत्न नहीं किए। माना जा रहा है कि भाजपा के खिलाफ चाहे जितना माहौल पश्चिमी यूपी में तैयार हो गया हो, मगर इसके बाद भी 20 सीटें भाजपा की पश्चिमी यूपी में आ सकती हैं। प्रथम चरण के चुनाव में सपा रालोद गठबंधन को शुरूआत तो अच्छी होने के दावे किये जा रहे हैं, लेकिन दूसरे और तीसरे चरण पर सभी की निगाहें अभी से लग गई है। हालांकि भाजपा के दिग्गज नेता पश्चिमी यूपी पर अपनी निगाहें गड़ाए हुए थे और पहले से बेहतर प्रदर्शन का अभी भी दावा कर रहे हैं।