- वार्ड ब्वाय होने के बावजूद तीमारदार खुद ही खींच रहे मरीजों के स्ट्रेचर
- पर्चा काउंटर पर गर्मी में बिलबिला रहे मरीज, तीमारदार
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मेडिकल में मरीजों को भर्ती करने से लेकर उनकी देखरेख की जिम्मेदारी मेडिकल के वार्ड ब्वाय के हवाले हैं, लेकिन स्वास्थ्य कर्मी अपने काम के प्रति जिम्मेदार नहीं हैं। गंभीर हालत में आने वाले मरीजों को वार्ड तक ले जाने की बजाय वह कुर्सी पर डटे रहते हैं, इससे साथ में आने वाले तीमारदारों को स्ट्रेचर खींचना पड़ता है।
तीमारदारों द्वारा मरीज को खुद ही स्ट्रेचर पर लिटाकर वार्ड में व जांच कराने ले जाना पड़ता है। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि मेडिकल में अव्यवस्थाओं का कैसा अंबार है? मेडिकल स्वयं ही बीमार पड़ा है। पर्ची कटवाने से लेकर मरीज को भर्ती करवाने तक न जाने क्या-क्या करना पड़ता है?
मरीजों को सुविधाओं देने को अस्पतालों में वार्ड ब्वायों की तैनाती की गई है। उनकी जिम्मेदारी है कि वह गंभीर मरीजों को अस्पताल गेट से उन्हें आपातकालीन कक्ष में ले जाएंगे। अगर चिकित्सक ने रोगी को भर्ती किया तो वार्ड ब्वाय ही मरीज को वार्ड में शिफ्ट भी कराएंगे, लेकिन कुछ वार्ड ब्वाय अपनी जिम्मेदारी के प्रति कितने सजग हैं, यह मेडिकल में देखने को हर रोज मिलता है।
जब गंभीर हालत में रोगी मेडिकल पहुंचता है तो उनके साथ में आने वाले परिजन वार्ड ब्वाय से मरीज को अंदर लाने के लिए कहते हैं तो वार्ड ब्वाय स्ट्रेचर से खुद मरीज को इमरजेंसी में ले आने की बात कह देते हैं। यही नहीं जब मरीज के साथ जब परिवार का एक सदस्य होता है तो भी वार्ड ब्वाय को अपनी जिम्मेदारी का एहसास नहीं होता।
मरीज को स्ट्रेचर से लाने का दबाव बनाने पर अकसर वार्ड ब्वाय झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं। चिकित्सकों के कहने के बावजूद वार्ड ब्वाय अपनी हरकतों से बाज नहीं आते। वार्ड ब्वाय को अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करना होगा। अन्यथा शिकायत मिलने पर संबंधित स्वास्थ्य कर्मी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बेबसी: खुद ही स्ट्रेचर खींचने की मजबूरी
मेडिकल में स्वास्थ्य व्यवस्था बेहद बेहाल है। वार्ड ब्वाय के बजाय तीमारदारों को स्ट्रेचर खींचना पड़ता है। इमरजेंसी में तैनात वार्ड ब्वाय इधर-उधर ही भटकते रहते हैं। मेडिकल में सोमवार को भी यही नजारा दिखाई दिया। जिम्मेदार इस ओर चुप्पी साधे हैं। मेडिकल में तीमारदार कर्मचारियों का इंतजार करता रहा, लेकिन जब कोई नहीं आया तो खुद ही स्ट्रेचर खींचते हुए चिकित्सक के पास पहुंचा।
तीमारदारों को झेलनी पड़ती है परेशानियां
अव्यवस्थाओं के कारण मरीज और उनके तीमारदारों को आए दिन परेशान होना पड़ रहा है। मेडिकल पहुंचने वाले मरीजों को भर्ती करने, एंबुलेंसों से पहुंचने वाले मरीजों को गेट से वार्ड तक ले जाने, जांच करानी हो या मरहम पट्टी, उनके तीमारदार को ही स्ट्रेचर या व्हील चेयर पर उन्हें लेकर जाना पड़ रहा है। आरोप है कि स्ट्रेचर के लिए कर्मचारी भी अधिकांश नदारद रहते हैं।
अव्यवस्था के चलते मरीजों व तीमारदारों को भी परेशानी झेलनी पड़ती है। तीमारदारों का आरोप रहता है कि अधिकांश समय वार्ड ब्वॉय व सहायक कर्मचारी वहां से नदारद रहते हैं। ऐसे मे लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। ग्रामीण क्षेत्र से पहुंचने वाले मरीजों को जिला अस्पताल में जांच केंद्र से लेकर अन्य सुविधाओं के कक्षों की जानकारी नहीं होती हैं। ऐसे में दर्द से कराहते मरीज को लेकर उन्हें अस्पताल परिसर में यहां से वहां चक्कर लगाने पड़ते हैं।
पर्चा काउंटर पर मरीजों की मारामारी
मेडिकल में सुविधाओं की कोई कमी नहीं है। जिसके कारण सिर्फ शहरवासी ही नहीं आसपास के इलाकों के मरीज भी यहीं इलाज के लिए आते हैं। गर्मी के कारण भी मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। भीषण गर्मी के कारण होने वाली बीमारियों से लोग यहां इलाज के लिए आ रहे हैं।
जिसके चलते ओपीडी में मरीजों की संख्या और अधिक हो गई है। गर्मी हर किसी को ना केवल सता रही है, बल्कि बहुत से लोगों को बीमार भी कर रही है। मेडिकल की ओपीडी में सुबह से लाइन लगनी शुरू हो जाती है। पर्चा काउंटर पर सर्वाधिक भीड़ महिला और पुरुष मरीजों की लगी है। विलंब होता देख लाइन में लगे मरीजों के बीच कहासुनी भी देखती जा सकती है।