Saturday, May 3, 2025
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आज ​है बहुला चतुर्थी व्रत, जानें इस उपवास की पूजा विधि और कथा…

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉट कॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। हर वर्ष भाद्रपद की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को बहुला चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। बहुला चतुर्थी के दिन माताएं अपने पुत्रों की लंबी उम्र व रक्षा के लिए व्रत रखती हैं।

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इस बार यह व्रत आज यानि 3 सितंबर को रखा जा रहा है। इस व्रत को गौ पूजा व्रत के नाम से भी जाना जाता है। तो आइए जानते हैं बहुला चतुर्थी व्रत पूजा विधि और महत्त्व…

बहुला चतुर्थी व्रत पूजा विधि

बहुला चतुर्थी व्रत के दिन सुबह-सवेरे नहाकर स्वच्छ कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प ले। अगल आप के घर में गाय है तो उसका स्थान का साफ करना चाहिए और उसके बछड़े को गाये के पास छोड़ देना चाहिए। अगर नहीं है तो गाय तथा सिंह की मिट्टी की प्रतिमा बनाकर पूजन करें। पूर दिन उपवास रखने के बाद संध्या में गणेश, गौरी माता, श्रीकृष्ण एवं गौ माता का विधिवत पूजन करना चाहिए। उपवास के दौरान ‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नमः’ के मंत्र का जाप करें।

बहुला चतुर्थी व्रत कथा

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पौराणिक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण की लीलाओं को देखने के लिए कामधेनु गाय ने बहुला के रूप में नन्द की गोशाला में प्रवेश किया। नंद के लला को यह गाय बहुत पसंद आई, वे हमेशा उसके साथ समय बिताते थे। बहुला का एक बछड़ा भी था, जब बहुला चरने के लिए जाती तब वो उसको बहुत याद करता था।

एक बार बहुला जब चरने के लिए जंगल गई, चरते चरते वो बहुत आगे निकल गई, और एक शेर के पास जा पहुंची। शेर उसे देख खुश हो गया और अपना शिकार बनाने की सोचने लगा। बहुला डर गई, और उसे अपने बछड़े का ही ख्याल आ रहा था। जैसे ही शेर उसकी ओर आगे बढ़ा, बहुला ने उससे बोला कि वो उसे अभी न खाए, घर में उसका बछड़ा भूखा है, उसे दूध पिलाकर वो वापस आ जाएगी, तब वो उसे अपना शिकार बना ले।

शेर ने कहा कि मैं कैसे तुम्हारी इस बात पर विश्वास कर लूँ? तब बहुला ने उसे विश्वास दिलाया और कसम खाई कि वो जरुर आएगी। बहुला वापस गौशाला जाकर बछड़े को दूध पिलाती है, और बहुत प्यार कर, उसे वहां छोड़, वापस जंगल में शेर के पास आ जाती है। शेर उसे देख हैरान हो जाता है।

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दरअसल ये शेर के रूप में कृष्ण होते है, जो बहुला की परीक्षा लेने आते है। कृष्ण अपने वास्तविक रूप में आ जाते है, और बहुला को कहते है कि मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हुआ, तुम परीक्षा में सफल रही।

समस्त मानव जाति द्वारा सावन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन तुम्हारी पूजा अर्चना की जाएगी और समस्त जाति तुमको गौमाता कहकर संबोधित करेगी व जो भी ये व्रत रखेगा उसे सुख, समृद्धि, धन, ऐश्वर्या व संतान की प्राप्ति होगी।

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