जनवाणी ब्यूरो |
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना ने कहा कि राजनीति के क्षेत्र से जुड़े लोगों के प्रति समाज में जो वर्षो से एक नकारात्मक धारणा बनी हुई है उसे बदलने की जरूरत हैं। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में लोगों का यह मानना है कि इस क्षेत्र में अधिकतर लोग पढ़े लिखे नहीं होते हैं। यहां तक कि राजनीति के क्षेत्र में आने वाले लोगों को सकारात्मक दृष्टि से नहीं देखा जाता है। पर इधर कुछ वर्षो से इस तरह की धारणा में बदलाव आया है। नई पीढ़ी समाज में फैली इस गलत धारणा को बदलने का काम कर रही है। महाना गुरुवार को एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी कैम्पस के स्वामी विवेकानंद मंडप पुणे में भारतीय छात्र संसद फाउंडेशन एवं एमआईटी स्कूल आफ गवर्नमेंट पुणे द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थिति छात्रों को सम्बोधित कर रहे थे।
सतीश महाना ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देश में, प्रदेश में, समाज में यहां तक कि अपने परिवार में भी होती है। इसके विभिन्न आयाम होते है पर इसकी भी एक लक्ष्मण रेखा होनी चाहिए। इस संवैधानिक अधिकार का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए। श्री महाना ने संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को मानव अधिकार की संज्ञा देते हुए कहा कि यह लोकतान्त्रिक जीवन का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी मिलने के बाद उनकी हार्दिक इच्छा थी कि वह छात्र संसद में शामिल हों। उन्हे आज यह सुअवसर मिला है। इसे लेकर वह बेहद उत्साहित हैं।
विधानसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग न हो इस पर आज विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पवित्र है परन्तु उसकी पवित्रता को बनाए रखने की जिम्मेदारी हम सब पर है।