Wednesday, August 13, 2025
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युवा शक्ति को संदेश देते विवेकानंद

नृपेंद्र अभिषेक नृप

स्वामी विवेकानंद की जयंती और राष्ट्रीय युवा दिवस हर साल 12 जनवरी को पूरे देश में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इस दिन का महत्व केवल एक महान व्यक्तित्व के जन्मदिन के रूप में नहीं है, बल्कि यह दिन भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। स्वामी विवेकानंद, जिन्होंने अपनी विद्वत्ता, आध्यात्मिकता और विश्वदृष्टि से न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व को प्रभावित किया, भारतीय इतिहास के ऐसे नायक थे जिनकी शिक्षाएँ आज भी अमूल्य हैं। उनके विचारों और आदर्शों को युवा पीढ़ी के साथ जोड़ने के उद्देश्य से भारत सरकार ने 1984 में उनके जन्मदिवस को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। यह दिन युवाओं को उनकी शक्ति, जिम्मेदारियों और समाज में उनके योगदान के प्रति जागरूक करता है।

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ। उनका बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त एक प्रसिद्ध वकील थे और उनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। नरेंद्र बचपन से ही असाधारण प्रतिभा और गहरी जिज्ञासा के धनी थे। उनके मन में धर्म और आध्यात्मिकता को लेकर कई प्रश्न थे, जिनका उत्तर उन्हें रामकृष्ण परमहंस के सान्निध्य में मिला। रामकृष्ण परमहंस के शिष्य बनने के बाद नरेंद्र का जीवन एक नई दिशा में अग्रसर हुआ। उन्होंने संसार को त्यागकर संन्यास लिया और स्वामी विवेकानंद के रूप में विश्वभर में भारतीय संस्कृति और धर्म का प्रचार-प्रसार किया।

स्वामी विवेकानंद का जीवन और उनके विचार भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनका मानना था कि युवा किसी भी देश की शक्ति और भविष्य का आधार होते हैं। उन्होंने भारतीय युवाओं को आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और कर्मठ बनने की प्रेरणा दी। उनका यह कहना कि “उठो, जागो और तब तक न रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए,” आज भी हर युवा के लिए एक प्रेरणादायक संदेश है। विवेकानंद ने शिक्षा को समाज में परिवर्तन का सबसे बड़ा माध्यम माना। उनके अनुसार, शिक्षा का उद्देश्य केवल जानकारी प्राप्त करना नहीं है, बल्कि आत्मा की पूर्णता को प्रकट करना है। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा वह है जो चरित्र निर्माण करे, मानसिक शक्ति को बढ़ाए और आत्मा को जागृत करे।

राष्ट्रीय युवा दिवस का उद्देश्य स्वामी विवेकानंद के इन्हीं विचारों और आदर्शों को युवाओं तक पहुंचाना है। इस दिन पूरे देश में विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जैसे युवा सम्मेलन, सांस्कृतिक आयोजन, सेमिनार और भाषण प्रतियोगिताएं। इन आयोजनों के माध्यम से युवाओं को उनके भीतर छिपी असीम क्षमताओं का एहसास कराया जाता है और उन्हें समाज व राष्ट्र के प्रति उनकी जिम्मेदारियों के बारे में जागरूक किया जाता है।

आज के समय में, जब युवा पीढ़ी तकनीकी प्रगति और आधुनिकता के प्रभाव में है, स्वामी विवेकानंद के विचार और भी अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं। उनकी शिक्षाएँ आत्मनिर्भरता, आत्मविश्वास और नैतिकता पर आधारित थीं, जो किसी भी युग में मानवता के लिए मार्गदर्शक सिद्धांत हो सकते हैं। वर्तमान समय में, जब समाज में नैतिक मूल्यों का ह्रास हो रहा है और युवा पीढ़ी मानसिक तनाव और सामाजिक चुनौतियों का सामना कर रही है, उनके विचार सकारात्मकता और संतुलन बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं।

स्वामी विवेकानंद के विचार और आदर्श आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं। उनके जीवन से हमें यह सीखने को मिलता है कि सच्ची शक्ति हमारे भीतर ही है और उसे पहचानकर ही हम अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। उनका जीवन और शिक्षाएँ इस बात का प्रमाण हैं कि दृढ़ निश्चय, कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास के साथ किसी भी समस्या का समाधान संभव है।

राष्ट्रीय युवा दिवस केवल एक आयोजन नहीं है, बल्कि यह युवाओं को स्वामी विवेकानंद के विचारों और आदर्शों को आत्मसात करने का अवसर प्रदान करता है। यह दिन हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेकर समाज और राष्ट्र के उत्थान में योगदान देने की याद दिलाता है। उनका यह संदेश कि “एक विचार को अपनी जिंदगी बना लो, उसे अपने सपनों में देखो, उसे अपने दिल में जियो, और अपने मस्तिष्क, मांसपेशियों, नसों, और शरीर के हर हिस्से में भर लो,” हर युवा के लिए सफलता का मूलमंत्र है।

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