Monday, June 16, 2025
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Shravan Maas 2025: शिवभक्ति का महापर्व सावन कब से होगा शुरू? जानें पूजा विधि और धार्मिक लाभ

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, सावन का महीना (श्रावण मास) भगवान शिव को समर्पित होता है। यह समय शिवभक्तों के लिए विशेष आस्था और भक्ति का पर्व बनकर आता है। पूरा मास शिवालयों में ‘हर-हर महादेव’ की गूंज सुनाई देती है, और भक्त पूरे नियम और श्रद्धा के साथ पूजा-अर्चना में लीन रहते हैं। सावन के दौरान प्रतिदिन शिव जी और माता पार्वती की पूजा की जाती है, लेकिन सावन के सोमवार का विशेष महत्व है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और अक्षत चढ़ाकर जलाभिषेक करते हैं। माना जाता है कि सावन सोमवार का व्रत करने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्त की हर इच्छा पूरी करते हैं।

धार्मिक परंपरा के अनुसार, देवशयनी एकादशी से भगवान विष्णु क्षीर सागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और इस अवधि में सृष्टि का संचालन भगवान शिव संभालते हैं। यह समय ‘चातुर्मास’ कहलाता है, जो पूरी तरह धर्म, तप, व्रत और संयम का प्रतीक है। ऐसे में सावन का महीना आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद खास माना जाता है। भगवान शिव की आराधना से जीवन की समस्याएं दूर होती हैं और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। अब भक्तों को इंतज़ार है सावन के शुभारंभ की तारीख का, जब वे पूरे भक्ति भाव से भोलेनाथ की आराधना में जुट सकें।

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस वर्ष सावन का महीना 11 जुलाई 2025 से शुरू होगा। इससे पहले 10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा है, जो 10 जुलाई की रात 1:36 बजे से शुरू होकर 11 जुलाई की रात 2:06 बजे तक रहेगी। सनातन परंपरा में उदया तिथि को मान्यता दी जाती है, इसी कारण श्रावण मास की प्रतिपदा तिथि 11 जुलाई की रात 11:07 मिनट से आरम्भ होकर 12 जुलाई की रात 2:08 मिनट तक रहेगी। और इसीलिए 11 जुलाई से सावन माह की शुरुआत मानी जाएगी।

सावन माह पर योग

इस बार सावन के पहले ही दिन एक विशेष योग बन रहा है, जिसे शिववास योग कहा जाता है। इस शुभ संयोग में भगवान शिव माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर विराजमान रहेंगे। मान्यता है कि इस योग में शिवजी की पूजा और जलाभिषेक करने से साधक को सौभाग्य, सुख-समृद्धि और मनचाहा वरदान प्राप्त होता है।

सावन के सोमवार व्रत की तिथियां

14 जुलाई – पहला सोमवार व्रत
21 जुलाई – दूसरा सोमवार व्रत
28 जुलाई – तीसरा सोमवार व्रत
04 अगस्त – चौथा और अंतिम सोमवार व्रत

इसके बाद 09 अगस्त को सावन पूर्णिमा के साथ यह पावन महीना समाप्त होगा। इसी दिन रक्षाबंधन का त्योहार भी मनाया जाएगा।

पूजा विधि

  • सावन का महीना भगवान शिव की आराधना के लिए सबसे पवित्र माना जाता है। इस दौरान यदि सही विधि से पूजा की जाए, तो भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
  • सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर और पूजा स्थल को साफ करें। फिर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
  • शिवलिंग को गंगाजल और कच्चे दूध से स्नान कराएं। इसके बाद शुद्ध जल से धोकर साफ करें।
  • शिवलिंग पर बेलपत्र , धतूरा, सफेद पुष्प, भस्म, मिठाई और गाय का दूध अर्पित करें।
  • पूजन के दौरान ॐ नमः शिवाय मंत्र का 108 बार जप करें। चाहें तो शिव जी के 108 नामों का पाठ भी कर सकते हैं।
  • शिव चालीसा का पाठ करें और उसके बाद शिव आरती करें। अंत में हाथ जोड़कर भगवान शिव से अपने जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की कामना करें।
  • सावन में इस तरह श्रद्धा से पूजा करने पर भगवान शिव अपने भक्तों को आशीर्वाद देकर जीवन को खुशहाल बना देते हैं।

सावन माह का धार्मिक लाभ

सावन माह हिन्दू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है और यह विशेष रूप से भगवान शिव की उपासना का समय होता है। इस माह में शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र आदि चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और पापों का नाश होता है। सावन सोमवार का व्रत रखने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और दांपत्य जीवन सुखमय बनता है। इस समय ध्यान, जप, व्रत और दान करने से आत्मिक शुद्धि होती है और पूर्व जन्मों के पाप भी नष्ट होते हैं। यह माह व्यक्ति के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक उत्थान के लिए अत्यंत लाभकारी होता है।

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