नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। हमारे शरीर में फेफड़ों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। पूरे शरीर में ऑक्सीजन के संचार को ठीक बनाए रखने के लिए फेफड़ो का अहम रोल है। लेकिन, अब इस अंग से संबंधित कई प्रकार की गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ता नजर आता है। अध्ययनों में पाया गया है कि कई तरह की लाइफस्टाइल और पर्यावरणीय स्थितियां फेफड़ों को गंभीर रूप से क्षति पहुंचा रही हैं। जिसका कारण होता है कि वैश्विक स्तर पर फेफड़ों में कैंसर के मामले भी बढ़ गए हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, लंग्स कैंसर हर साल लाखों लोगों की मौत का कारण बन रहा है। साल साल 2022 में दुनियाभर में फेफड़ों के कैंसर से लगभग 1.8 मिलियन यानि 18 लाख मौतें हुईं। ये दुनियाभर में कैंसर से होने वाली मौतों का प्रमुख कारण भी है। आश्चर्यजनक रूप से युवा आबादी में भी इस कैंसर के जोखिम बढ़ते हुए रिपोर्ट किए गए हैं।
वहीं, फेफड़ों के स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इससे संबंधित बीमारियों की रोकथाम को लेकर हर साल 25 सितंबर को वर्ल्ड लंग्स डे यानी विश्व फेफड़ा दिवस मनाया जाता है। तो चलिए जानते हैं लंग्स के कैंसर के कारण और बचाव के बारे में’…
कितने हैं भारत में फेफड़ों के कैंसर के मामले?
- भारत में भी फेफड़ों के कैंसर के केस बढ़ गए हैं। लंग्स कैंसर, भारत में सभी कैंसर का 5.9% और सभी तरह के कैंसर से संबंधित मौतों का 8.1% है।
- फेफड़ों में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि के कारण ये कैंसर होता है। कोशिकाओं के डीएनए में परिवर्तन की वजह से ऐसा होता है। कैंसर कोशिकाएं ट्यूमर बना सकती हैं। ट्यूमर के कारण स्वस्थ ऊतकों को भी क्षति का जोखिम रहता है। समय के साथ कैंसर कोशिकाएं टूटकर शरीर के अन्य भागों में भी फैल सकती हैं। अध्ययनों में फेफड़ों के कैंसर के लिए कई कारकों को जिम्मेदार पाया गया है जिसमें धूम्रपान सबसे प्रमुख है।
ये है सबसे बड़ा खतरा
- धूम्रपान करने वाले लोगों में फेफड़ों के कैंसर का जोखिम सबसे ज्यादा होता है। सिगरेट की हर कश के साथ आपके लिए खतरा बढ़ता जाता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि फेफड़ों के कैंसर से होने वाली 80% मौतें धूम्रपान से संबंधित हैं। इसके अलावा अगर आप धूम्रपान नहीं भी करते हैं पर सेकेंडहैंड स्मोकिंग के शिकार हैं तो भी अपमें फेफड़ों का कैंसर हो सकता है।
- तम्बाकू उत्पादों के जलने से उत्पन्न धुएं के संपर्क में आने को सेकेंडहैंड स्मोकिंग कहा जाता है। इसके अलावा वायु प्रदूषण, रसायनों के अधिक संपर्क में रहना भी आपके लिए खतरनाक हो सकता है।
कैसे करें इसके लक्षणों की पहचान?
- कैंसर आपके शरीर में लंबे समय तक यानी कई सालों तक बढ़ता रह सकता है, इससे पहले कि आपको इस बारे में पता चल सके। फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती चरणों में अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखते। हालांकि कुछ संकेत हैं जिनपर गंभीरता से ध्यान दिया जाना चाहिए।
- फेफड़ों में और उसके आस-पास होने वाले कैंसर के कारण आपको लंबे समय तक खांसी होती रह सकती है। इसके अलावा खांसी के साथ खून आने, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, घरघराहट होने जैसे समस्याएं कैंसर का संकेत हो सकती हैं। इन लक्षणों के साथ हड्डी में दर्द, बिना प्रयास किए वजन कम होने, भूख न लगने या चेहरे-गर्दन में सूजन की दिक्कत हो तो सावधान हो जाएं।
कैसे बचें इस समस्या से?
- फेफड़े के कैंसर को रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है, लेकिन कुछ उपायों की मदद से आप अपने जोखिमों को कम कर सकते हैं। इसके लिए धूम्रपान से दूरी बनाना सबसे जरूरी है। रसायनों और प्रदूषण वाले स्थानों से भी बचें। स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम की आदत फेफड़ों के साथ कई अन्य कैंसर के खतरे से भी आपको बचा सकती है।
- यदि आपमें कैंसर के लक्षण दिखते हैं तो समय रहते इसकी जांच जरूर कराएं। समय पर इलाज हो जाने से जान बचने की संभावना बढ़ जाती है।