नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। हिंदू धर्म में दिवाली एक मुख्य त्योहार है। इस त्योहार का लोग बड़ी बेसब्री से इंतजार करते हैं। वहीं, बस कुछ ही दिन में दिवाली आने वाली है। जिसको लेकर लोगों ने तैयारी शुरू कर दी है। वहीं, दिवाली के अगले दिन गावर्धन का पर्व भी मनाया जाता है। दरअसल, गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है।
कब है गोवर्धन पूजा?
इस वर्ष कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि का आरंभ 1 नवंबर 2024 को सायं 06:16 बजे हो रहा है, और इसका समापन 2 नवंबर को रात 08:21 बजे होगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान कृष्ण को 56 भोग लगाने की भी परंपरा है। तो चलिए जानते हैं इस दिन श्री कृष्ण को 56 भोग आखिर क्यों लगाए जाते हैं…
पौराणिक कथा
मान्यताओं के अनुसार पहले सभी ब्रजवासी भगवान इंद्र की पूजा करते थे। भगवान श्री कृष्ण के कहने पर ब्रजवासियों ने गोवर्धन की पूजा करनी प्रारंभ की, जिसके कारण इंद्रदेव क्रोधित हो गए और ब्रज में घनघोर वर्षा प्रारंभ हो गई। ऐसे में चारों ओर तबाही मचने लगी। यह सब देखकर भगवान श्री कृष्ण ने सबकी रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली से उठा लिया, जिसके नीजे आकर ब्रजवासियों सुरक्षित हो गए।
जब श्रीकृष्ण गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली से उठाया, तो सभी ब्रजवासियों ने अपने परिवार और पशुओं के साथ गोवर्धन पर्वत के नीचे शरण ले ली। इस दौरान सात दिनों तक घनघोर वर्षा होती रही, लेकिन इससे ब्रजवासी विचलित नहीं हुए। तब इंद्र देव को ये आभास हुआ कि श्री कृष्ण कोई साधारण बालक नहीं हैं और उन्होंने श्रीकृष्ण से क्षमा याचना की। इसके बाद से ही पूरे देश में गोवर्धन पूजा मनाई जाने लगी।
56 भोग का महत्व
गोवर्धन पूजा के दिन भगवान श्रीकृष्ण को 56 भोग लगाने के पीछे यह वजह बताई जाती है, कि श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों को इन्द्र देव के प्रकोप से बचाया था, इसलिए सभी ब्रजवासियों ने श्रीकृष्ण के लिए 56 प्रकार के भोग तैयार किए गए थे। तभी से इस परंपरा की शुरुआत हो गई, इसलिए आज भी गोवर्धन पूजा के दिन भगवान को 56 भोग लगाए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि जो लोग इस दिन श्री कृष्ण को 56 भोग लगाते हैं, उनके जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है।