- रिकॉर्ड तोड़ गर्मी के चलते बिजली उपकरणों का रखरखाव बना मुसीबत
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: आसमान से बरस रही झुलसा देने वाली आग ट्रांसफार्मरों को खाक कर रही है। एक अप्रैल से अब तक छोटे-बडेÞ 500 से ज्यादा ट्रांसफार्मर फुंक चुके हैं। हालांकि अच्छी बात ये है कि आसमान से भले ही आग बरस रही हो, लेकिन अभी तक कोई ऐसा बड़ा ट्रांसफार्मर नहीं फुंका है, जिससे मेरठ के किसी एक डिविजन की बत्ती पूरी तरह से गुल हो जाए या कहें पूरे डिविजन में ब्लैक आॅउट हो जाए।
ट्रांसफार्मर फुंकने के मामले ज्यादातर देहात के इलाकों में हो रहे हैं। सरधना में एक माह में ट्रांसफार्मर फुंकने का आंकड़ा सेंचुरी बनाने को बेताब हैं। मसलन, औसत तीन ट्रांसफार्मर सरधना जैसे इलाके में प्रतिदिन फुंक रहे हैं। इनमें से ज्यादातर ऐसे ट्रांसफार्मर हैं, जो देहात में ट्यूबवेलों के लिए लगाये गए हैं। ट्रांसफार्मरों के फुंकने के ज्यादातर मामलों में गर्मी का कहर और ओवरलोड को जिम्मेदार माना जा रहा है। गर्मी की जहां तक बात है तो नाम न छापे जाने की शर्त पर एक लाइनमैन ने बताया कि इस साल गर्मी के चलते ट्रांसफार्मरों की हालत उबलने सरीखी है।
इस साल एक अप्रैल के बाद से जो गर्मी पड़नी शुरू हुई और मई का महीना शुरू होते-होते मौसम में ट्रांसफार्मर उबलने शुरू हो गए हैं। हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ट्रांसफार्मरों को ठंडा रखने के लिए कूलर लगाने का इंतजाम किए जा रहे हैं। दूसरे भी विकल्प अपनाए जा रहे हैं, जिसमें अघोषित कट भी शामिल है। ट्रांसफार्मर फुंकने की एक बड़ी वजह डिमांड में आया उछाल भी है। इस बार कुछ डिविजन में 80 फीसदी तक का उछाल आया है।
वहीं, इस संबंध में चीफ राघवेन्द्र सिंह का कहना है कि ट्रांसफार्मर फुंकने के जहां तक कारणों का सवाल है तो ओवरलोड, अपराधियों द्वारा तेल का चोरी कर लिया जाना, एलटी लाइन में फाल्ट और डिसबेलेंस हो जाना। इसके इतर बड़ी बात ये कि सिस्टम तो 40 डिग्री तापमान को ध्यान में रखकर तैयार किया गया और पारा उछल कर 45 के पार हो जाए। ऐसे तमाम कारण हैं ट्रांसफार्मर फुंकने के।