Friday, January 24, 2025
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आर्थिक तंगी व बीमारियों से जूझ रही है माया, मदद को बढ़ेंगे हाथ

  • 42 वर्ष पूर्व बागपत नगर में हुआ था माया त्यागी कांड
  • माया के पति सहित तीन की पुलिस कर्मियों ने कर दी थी हत्या
  • आज माया गरीबी और बीमारियों से जूझ रही है, ओमवीर तोमर सहित कई माया से मिल

मुख्य संवाददाता|

बागपत: जिस माया त्यागी कांड ने देश की राजनीति में भूचाल ला दिया था और प्रदेश से लेकर देश की राजधानी तक को हिला दिया था आज वही माया त्यागी गरीबी और बीमारियों से जूझ रही है। आर्थिक तंगी के बीच जीवन यापन करने को मजबूर है।

सपा नेता एवं माया त्यागी कांड के बाद आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले ओमवीर तोमर ने भारत कृषक समाज के अध्यक्ष डॉ कृष्णवीर सिंह व भाजपा नेता हातम सिंह नागर के साथ गाजियाबाद माया के घर पहुंचकर मुलाकात की। उन्होंने कहा कि साथियों से धन एकत्रित करके माया की मदद की जाएगी।

सपा नेता ओमवीर तोमर ने भारत कृषक समाज के अध्यक्ष डॉ कृष्णवीर सिंह व भाजपा नेता हातम सिंह नागर के साथ गाजियाबाद में माया त्यागी से मुलाकात की। माया त्यागी गाजियाबाद में रहती है। उन्होंने माया से बातचीत की और हाल जाना। ओमवीर तोमर ने बताया कि माया त्यागी की आर्थिक स्थिति इन दिनों बेहद खराब है। वह गरीबी से जहां जूझ रही है वही बीमारियों से भी जूझ रही है।

उनकी हालत सही नहीं चल रही है। माया को कहीं से आर्थिक मदद भी नहीं मिली। जिस कारण उनकी माली हालत खराब है। उन्होंने कहा कि उन्हें पता चला था कि माया की स्थिति ठीक नहीं है। जिसके बाद वह साथियों के साथ मिलने गए थे। माया की मदद के लिए साथियों से धन एकत्रित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अधिक से अधिक मदद करने का प्रयास किया जाएगा। बताया कि कृष्णवीर सिंह उस घटनाक्रम पर एक फिल्म बनाने पर विचार कर रहे है। उन्होंने कहा कि माया की मदद के लिए अन्य लोगों से भी संपर्क किया जाएगा।

ये था घटनाक्रम

18 जून 1980 को बागपत में माया त्यागी कांड हुआ था। माया त्यागी व उनके पति ईश्वर त्यागी अपने दो दोस्तों के साथ कार से गाजियाबाद से बागपत में एक शादी समारोह में आ रहे थे। बागपत पहुंचने पर उनकी कार पेंचर हो गयी थी। ईश्वर व अन्य दो दोस्त पेंचर की दुकान पर कार रोककर उसे लगवाने लगे।

वह पास में एक चाय की दुकान पर चले गए। इसी बीच वहां दो व्यक्ति आये और माया के साथ अभद्रता करने लगे। जिसे देखकर ईश्वर त्यागी व अन्य आ गए। मामला बढ़ गया। बाद में वह वहां से चले गए। जिसके बाद दुकानदार ने ईश्वर को बताया कि यह बागपत थाने से है और अब बहुत बड़ा कुछ हो जाएगा। आप यहां से चले जाओ, जिसके बाद उन्होंने वहां से जाने का प्रयास किया, लेकिन कार स्टार्ट नहीं हो सकी।

पुलिस कर्मियों ने ईश्वर त्यागी व उनके दोनों दोस्तों को गोली मार दी, जिससे उनकी मौत हो गयी और माया को निवस्त्र बाजार में घुमाया। पुलिस कर्मियों ने दरिन्दगी की सभी हदों को पार कर दिया था। जिसका सुबूत यह था कि मेडिकल रिपोर्ट में 25 चोट के निशान बताए गए थे। जबकि पुलिस ने बैंक डकैती में घटना को दर्ज कर दिया था। बाद में यह कांड देश की राजनीति में भूचाल लाने वाला बन गया और एक जन आंदोलन की शुरूआत हो गयी थी।

पुरुष व महिलाएं भी सड़कों पर उतर गए थे। देखा जाए तो इस कांड के बाद महीनभर आंदोलन चला था और न्याय की मांग की गई थी। सरकारों को समझ नही आ रहा था कि क्या किया जाए?

किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह ने दिल्ली से बिगुल बजा दिया था। बागपत में पूर्व विधायक महक सिंह, उनकी पत्नी, ओमवीर तोमर सहित भारी संख्या में लोग आंदोलन में कूद पड़े थे।

आरोपी एसएसआई की हो गयी थी हत्या

माया त्यागी कांड के मुख्य आरोपी नरेंद्र सिंह की बाद में हत्या कर दी गयी थी। इसका आरोप माया के देवर विनोद पर लगा था। हालांकि विनोद को 2009 में कोर्ट ने बरी कर दिया था। इस मामले में 11 पुलिस कर्मियों को दोषी माना गया था। जिनमे से 6 को उम्र कैद हुई थी।

नहीं बयां की जा सकती है बर्बता

ओमवीर तोमर का कहना है कि माया के साथ की गई बर्बरता को बयां नहीं किया जा सकता है। इतिहास की सबसे बड़ी विभत्स और दिल दहला देने वाली घटना वह रही थी। जिस तरह से घटना को अंजाम दिया गया था वह दरिंदगी थी। उसे शब्दो में बयां नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया कि उस आंदोलन में सरकार पुलिस कर्मियों को बचाना चाहती थी। उन्होंने खूब लाठियां खाई, लेकिन कदम पीछे नहीं हटाये।

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