Thursday, May 29, 2025
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हंगामा होते ही मिली रजिस्ट्री की फाइल

  • मेडा आफिस में की गई रजिस्ट्री भी

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) में जब रजिस्ट्री की फाइल गायब करने के मामले को लेकर आवंटी और उसके परिजनों ने हंगामा खड़ा किया तो आनन-फानन में कैसे फाइल मिल गई। यही नहीं, ओएसडी रंजीत सिंह ने रजिस्ट्री करने के आदेश भी कर दिये। जो फाइल जनवरी से गायब बतायी जा रही थी, वह फाइल मिल गई और आदेश भी हो गए। आवंटी को कैसे परेशान किया जाता हैं, ये प्रकरण इसका जीता जागता उदाहरण हैं।

डीएम दीपक मीणा ने भी इसमें कोई संज्ञान नहीं लिया। फाइल जनवरी से अब तक कैसे दबाकर रखी गई? किस सीट पर फाइल को दबाया गया था? जब आवंटी का पूरा पैसा जमा हो चुका हैं तो फिर फाइल को क्यों रोका जा रहा हैं? रजिस्ट्री करने के लिए क्लर्क खुद आवंटी को प्राधिकरण में बुलाते है और फिर उनको परेशान करते हैं। इसके बाद ही बुधवार को मेडा आॅफिस में हंगामा हो गया था।

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हंगामा खड़ा होने के बाद जब मेडा में तैनात ओएसडी रंजीत सिंह ने देखा कि अब तो इसमें बवाल हो गया हैं। डीएम इसकी जांच बैठा सकते हैं। जहां पर फाइल अटकी हुई हैं, उसको लेकर विभागीय कार्रवाई हो सकती हैं। इसके बाद ही फाइल भी मिल गई और ओएसडी ने फाइल पर रजिस्ट्री करने की अनुमति भी दे दी। इस मामले से मेडा के अफसरों की खासी किरकिरी हुई हैं।

ये उस मेडा का हाल हो गया हैं, जहां पर तत्कालीन वीसी अभिषेक पांडे ने जीरो टोलरेंस पर कर्मचारियों को काम करने पर मजबूर कर दिया था, लेकिन फिर से भ्रष्टाचार का खेल क्लर्क व अन्य सीटों पर आरंभ हो गया हैं। इस प्रकरण का डीएम को संज्ञान लेकर संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।

मठाधीश बने जेई, एक वर्ष से नहीं हुए तबादले

मेरठ विकास प्राधिकरण (मेडा) के इंजीनियर मठाधीश हो गए हैं। शासन के आदेश है कि तीन माह से ज्यादा समय इंजीनियर को एक जोन में नहीं रखा जा सकता। उसका तीन माह बीतने पर तबादला करना अनिवार्य हैं, लेकिन मेरठ विकास प्राधिकरण में तो इंजीनियर मठाधीश हो गए हैं। एक वर्ष से एक भी इंजीनियरों को इधर से उधर नहीं किया गया। जो जहां पर एक वर्ष पहले तैनात हुआ था, वहीं पर इंजीनियर जमे हुए हैं।

इसीलिए तो इंजीनियरों की मठाधीशी चल रही हैं। अवैध निर्माण भी खूब हो रहे हैं, जिनको इंजीनियर नहीं रोक पा रहे हैं। यही हालत रही तो इंजीनियर एक भी निर्माण को नहीं रोक पाएंगे। जब शासन आदेश है तो फिर इनको तीन माह के भीतर क्यों नहीं बदला जा रहा हैं, इसके लिए जवाबदेही किसकी हैं? इंजीनियरों को एक ही स्थान पर लगातार तैनाती देने के लिए जवाबदेही किसी हैं? जब शासन के ये आदेश है कि तीन माह में इंजीनियर का तबादला प्रर्वतन में कर दिया जाएगा, फिर इंजीनियरों को एक ही जोन में कैसे तैनात रखा जा रहा हैं।

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