Sunday, August 17, 2025
- Advertisement -

व्यक्गित संघर्ष की मिसाल नीरज

नीरज चोपड़ा एक ऐसा नाम जो न जाने कितनी आंखों में ख्वाब देखने की कसक पैदा कर देता है। नीरज एक ऐसा नाम है जो भारत के गांवों से लेकर ग्लोबल स्तर पर जाना जाता है। एक ऐसा एथलीट जिसके जुनून की कहानियां सैकड़ों सालों तक आने वाली पीढ़ियों को सुनाई जाएगीं। 07 अगस्त 2020 को उगते सूरज के मुल्क जापान में जब दिन ढल रहा था तब एक हिन्दुस्तानी लड़का अपने जुनून, अपनी मेहनत के दम पर कभी न भुलाया जाने वाला अध्याय लिख रहा था। उस लड़के ने 87.58 मीटर की दूरी तय की। इसी दूरी ने भारत एवं गोल्ड मेडल के बीच की खाई पाट दी। 87.58 मीटर की दूरी ने भारत के कई साल पुराने इंतजार को खत्म कर दिया था।

हरियाणा के पानीपत में एक किसान के घर पैदा होने वाले नीरज बचपन में बहुत मोटे थे। बचपन में 80 किलोग्राम का बच्चा जब कुर्ता-पजामा पहन कर निकलता तो लोग उसके शारीरिक कद को देखकर सरपंच कहकर पुकारते थे। चाचा के कहने पर नीरज पानीपत के स्टेडियम जाने लगे। अपनी शारीरिक स्थिति से निपटने के बाद नीरज कई तरह के खेलों में भाग लेने लगे। स्थानीय कोच के कहने पर नीरज ने भाला फेंकना शुरू किया। पहले ही दिन से नीरज ने भाला फेंकने में अपना भविष्य बनाने की ठान लिया। खुद ही तैयारी करते हुए नीरज के लिए तैयारी करना खतरनाक था, अत: अपनी मेहनत से नीरज चोपड़ा ने सूबेदार के रूप में इंडियन आर्मी जॉइन कर लिया, भारतीय सेना ने नीरज को उनके इस खास मुकाम पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। सेना से जुड़ने के बाद नीरज ने उच्च स्तरीय ट्रेनिंग शुरू की, और खुद को अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धा के लिए तैयार किया। फिर अचानक दोस्तों के साथ बास्केटबाल खेलते हुए नीरज की कलाई टूट गई, उनके परिजनों को लगा नीरज का एथलेटिक कॅरियर यहीं तक था।

हालांकि सबको गलत साबित करते हुए खुद को तैयार करके नीरज ने जबरदस्त वापसी करते हुए 2016-2018 तक वर्ल्ड जूनियर चैम्पियनशिप, एशियन चैम्पियनशिप, कॉमनवेल्थ गेम्स, एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल जीतकर, पूरे विश्व को अपनी प्रतिभा दिखाई।

कई बार मुश्किल वक़्त से पार पाने के लिए खिलाड़ी को अपनी इच्छाशक्ति से सबकुछ जीतना पड़ता है और वो वक़्त हर किसी की जिÞन्दगी में आता है। टोक्यो आॅलम्पिक में क्वालीफाई करने के बाद नीरज की कोहनी में चोट लग गई। चोट कितनी गम्भीर थी, इस बात से ही अंदाजा लगाया जा सकता है। चोट लगने के बाद नीरज को वापसी करने के लिए 16 महीने लग गए। कामयाब होने के बाद उस वक्त को याद करते हुए नीरज ने कहा-‘बुरा वक़्त हर खिलाड़ी की जिÞन्दगी में आता है लेकिन मैंने उसे दूसरी तरह से लिया। मैंने सोचा जैसे शेर छलांग लगाने के लिए दो कदम पीछे जाता है। मैंने अपनी जिÞन्दगी में लंबी छलांग लगाने के लिए दो कदम पीछे किए।’ इसी सोच के चलते नीरज अपने इस मुकाम तक पहुंच सके। मार्च 2019 में 88.07 मीटर भाला फेंककर अपना रिकॉर्ड सुधारा और गोल्ड मेडल के लिए खुद को पंख दिए।

यूं तो नीरज को पोडियम तक पहुंचाने में कई कोचों की भूमिका रही, लेकिन एक ऐसे कोच भी रहे हैं जिनकी भूमिका अविस्मरणीय है। ‘उवे हॉन’ जैवलिन थ्रो की दुनिया के बेताज बादशाह जिनका नाम उनकी दुनिया में आदर सहित लिया जाता है। उवे हॉन के रिकॉर्ड उनकी शख्सियत की कहानी कहते हैं। 1983 आॅलम्पिक जैवलिन थ्रो में 104.6 मीटर की दूरी तक जैवलिन थ्रो किया था। इसी के बाद अंतर्राष्ट्रीय आॅलम्पिक संघ ने जैवलिन थ्रो के डिजायन में परिवर्तन किया, क्योंकि इस तरह के जैवलिन थ्रो से दर्शकों को भाला लगने की आशंका हुई थी। जिसके बाद भाले के आकार में परिवर्तन किया गया। उवे हॉन का रिकॉर्ड कभी न टूटने वाला रिकॉर्ड बनकर रह गया। बाद में इस रिकॉर्ड को हटा लिया गया।

टोक्यो आॅलम्पिक में नीरज ने फाइनल में पहले प्रयास में 87.3 मीटर के थ्रो के बाद दहाड़ लगाकर गोल्ड मेडल पर दावा ठोका। दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर के थ्रो में नीरज ने अपना सब कुछ झोंक दिया और आसमान की ओर देखकर ईश्वर को प्रणाम किया। बचे 11 खिलाडियों ने खूब कोशिश की, लेकिन नीरज के करीब भी नहीं पहुंच सके…नीरज का सीधा निशाना गोल्ड पर लगा। सालो बाद भारत ने न केवल गोल्ड ही नहीं जीता, बल्कि पूरे भारत ने एक नया सवेरा देखा…जो हर हिंदुस्तानी की आंखों में नीरज चोपड़ा नाम से चमक रहा था।

पेरिस आॅलंपिक में फाइनल तक पहुंचने वाले नीरज से पूरे मुल्क को उम्मीद थी कि इकलौता कोई गोल्ड मेडल ला सकता है तो कोई और नहीं बल्कि नीरज चोपड़ा हैं। उम्मीद के मुताबिक नीरज फाइनल तक पहुंचे लेकिन दूसरे नंबर पर पहुंच कर सिल्वर मेडल लाने में कामयाब हुए… पाकिस्तानी गोल्ड मेडल विजेता अरशद नीरज को अपना हीरो मानते हैं। एक बार बुडापेस्ट में आयोजित विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल करने वाले नीरज पोडियम में खड़े थे राष्ट्रगान बज रहा था। पॉज देते नीरज ने देखा पाकिस्तान का पदक विजेता एथलीट संकोच में बिना अपने बिना झंडे के खड़ा है। तब ही नीरज ने पाकिस्तान के एथलीट अरशद को अपने पास बुलाया और तिरंगे के नीचे खड़ा कर लिया। दोनों ने तिरंगे के साथ तस्वीरे खिंचाई। यूं लगा जैसे अरशद इंतजार में ही खड़े थे… उस दिन नीरज ने अरशद सहित पूरी दुनिया का दिल जीत लिया था।

नीरज की मां ने सिल्वर मेडल जीतने के बाद अरशद को शुभकामनाएं देते हुए कहा -‘सिल्वर मेडल भी गोल्ड के बराबर ही है, इतने बड़े मंच पर खड़ा होना भी अपने आप में बड़ी बात है। गोल्ड जीतने वाले अरशद को शुभकामनाएं वो भी हमारा ही बच्चा है।’ कोई भी मां ऐसी ही होती है। नीरज की मां के उच्च विचार नीरज की शख्सियत में भी देखने को मिलते हैं। आज हमारे मुल्क में नीरज चोपड़ा जैसे एथलीट दुर्लभ हैं। नीरज चोपड़ा हमारे हीरो हैं, व्यक्तिगत दो आॅलंपिक मेडल, उस में एक गोल्ड… ऐसा करने वाले पहले एथलीट हैं। ओवर आॅल गोल्ड मेडल देखे जाएं तो नीरज ने आठ गोल्ड मेडल समेत दर्जनों पदक जीते हैं। नीरज का आत्मविश्वास देखने लायक था, सारे के सारे एथलीट पर नीरज का दबाव दिख रहा था। नीरज ने बड़ी दिलेरी के साथ फाइनल में थ्रो किया। इसलिए ही छह में से चार प्रयास फाउल रहे। यह बताता है कि नीरज ने कितना रिस्क लिया। खैर नीरज का सिल्वर भी गोल्ड से कम नहीं है। हमारे हीरो नीरज को सलाम…

भारत सरकार उन्हें बड़े सम्मान से सम्मानित करे। ऐसे नायक भारत में बहुत कम पैदा होते हैं। नीरज का सर्वोच्च सम्मान होने से देश के कोने-कोने के बच्चे आॅलंपिक में जाना चाहेंगे। नीरज को देखने के बाद हिंदुस्तान में गोल्ड जीतने वाली पीढ़ियां तैयार होंगी।। वैसे भी नीरज की यात्रा किसी भी बच्चे को जानना चाहिए उनका व्यक्तिगत संघर्ष अपने आप में एक मिसाल है।

spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Monsoon Hair Care Tips: मानसून में बालों की देखभाल है ज़रूरी? इन टिप्स का रखें ध्यान

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Health Tips: मानसून में उमस से बढ़ता बीमारियों का खतरा, जानें कैसे रखें खुद को सुरक्षित

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Nakuul Mehta: नकुल मेहता के घर नन्ही परी का आगमन, दूसरी बार पिता बने अभिनेता

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Hartalika Teej 2025: हरितालिका तीज कब मनाई जाएगी? जानें तिथि और शुभ मुहूर्त

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Meerut News: स्वतंत्रता दिवस पर निकाली 101 फिट लंबी तिरंगा रेली

जनवाणी संवाददाता | मेरठ: कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र स्थित घसौली गांव...
spot_imgspot_img