Saturday, November 30, 2024
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बाइक सवार से वसूली में ट्रैफिक पुलिस के दो सिपाही लाइन हाजिर

  • एसएसपी ने खुद बाइक सवार से सौदेबाजी करते पुलिस कर्मी को पकड़ा

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: लगातार मिल रहीं वसूली की शिकायतों के चलते एसएसपी ने शुक्रवार को खुद शहर में यातायात पुलिस के दो सिपाहियों को एक बाइक सवार से वसूली करते पकड़ लिया। बाइक सवार के बयान के आधार पर दोनों ट्रैफिक पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया। यातायात पुलिस से जुडेÞ लोग शहर में विभिन्न जगहों पर ड्यूटी की जगह वसूली करते देखे जा सकते हैं। एसएसपी से कई बार लोगों ने इस तरह की वसूली की शिकायतें कीं। एसएसपी विपिन ताडा शुक्रवार को जब शहर भ्रमण पर थे और जुमे की नमाज की स्थिति का जायजा ले रहे थे,

तभी रास्ते में उन्होंने देखा कि ट्रैफिक पुलिस वालों ने एक बाइक सवार को रोक रखा था और उससे सौदेबाजी हो रही थी। एसएसपी ने बाइक सवार से पूछताछ की और जाना कि आखिर उसे क्यों रोका गया। बाइक सवार ने बताया कि कागज दिखाने के बाद भी उससे पैसों की मांग की जा रही है। एसएसपी ने मामले को बेहद गंभीरता से लिया और मौके पर मौजूद ट्रैफिक पुलिस के कांस्टेबल और हेडकांस्टेबल को तत्काल प्रभाव से लाइन हाजिर कर दिया। एसएसपी की कार्रवाई से यातयात पुलिस के कर्मचारियों में हड़कंप मच गया।

बैनामों का स्टोर रूम निशाने पर

मेरठ: शहर में हुए 100 करोड़ के स्टांप घोटाले में एसआईटी ने अपनी जांच शुरू कर दी है। एसआईटी टीम का कहना है कि उपनिबंधक स्टोर रूम में रखे पुराने बैनामों की जांच की जाएगी। इसके बाद स्टांप पेपर पर मिले सीरियल नंबरों की कोषागार से मिलान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एसआईटी की दो टीमें विशाल वर्मा की तलाश में लगातार दबिश डाल रही है। इसके साथ उसके मकान की कुर्की करने की भी तैयारी कर ली है।

स्टांप घोटाला 100 करोड़ से आंकड़े को पार कर चुका है। इसके साथ एसआईटी की टीम को स्टांप घोटाले में लिप्त कई नाम मिल गए है। पुलिस ने सिविल लाइन थाने में दर्ज हुए मुकदमों की एफआईआर कापी भी शामिल कर ली है। एसआईटी टीम का कहना है कि इस घोटाले में सभी आरोपियों को बक्शा नहीं जाएगा। इसके साथ स्टांप घोटाले में वांटेड चल रहे विशाल वर्मा की तलाश में पुलिस लगातार दबिश डाल रही है।

15 साल से चल रहा था फर्जी स्टांप पेपरों से रजिस्ट्री का खेल

एसआईटी टीम का कहना है कि देखने में सामने आ रहा है कि यह फर्जी स्टांप पेपरों से बैनामों का खेल पिछले 15 सालों से चल रहा था। इसके उपनिबंधक कार्यालय व कोषागार के कर्मचारी भी शामिल थे। सभी की जांच की जा रही है। यह स्टांप पेपर कोषागार से निकाले गए है। यह स्टांप पेपरों पर जो नंबर मिला है वह जिले के कोषागार कार्यालय का है। उधर, पुलिस का कहना है कि स्टांप घोटाले में वांटेड चल रहे आरोपी ने हस्तिानपुर में करोड़ों की संपत्ति खरीद है। पुलिस ने उसे अपनी जांच में शामिल कर लिया है।

अवैध पैंठ से लगे जाम में फंसे स्कूली बच्चे

मेरठ: छावनी क्षेत्र में जली कोठी चौराहे से लेकर पुलिस भर्ती कार्यालय तक और महताब सिनेमा तक तथा सेंट्रल जीएसटी कार्यालय के आगे शुक्रवार को अवैध रूप से पैंठ लगाई। इस अवैध पैंठ वहां लगे जाम में सैकड़ों स्कूली बच्चे फंसे रहे। वे स्कूल पहुंचने को लेकर बुरी तरह हलकान हुए, जबकि कैंट बोर्ड के अधिकारियों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। हद तो यह है कि थाना सदर बाजार पुलिस ने अवैध पैंठ को भरपूर समर्थन दिया, कोई जाम खुलवाने नहीं आया। इतना ही नहीं कई ट्रैफिक पुलिस कर्मी वहां मौजूद रहे, लेकिन वे जाम खुलवाने के बजाए वहां खड़े आपस बातें करते नजर आए।

हर शुक्रवार को छावनी क्षेत्र में जली कोठी चौराहे से लेकर सैन्य भर्ती कार्यालय तक, जीटी रोड पर सीजीएसटी कार्यालय के आगे और भैंसाली मैदान के चौराहे से लेकर महताब सिनेमा तिराहे तक और उसके पीछे की सड़क पर अवैध रूप से सैकड़ों फड़ और ठेले लगाकर लोग सामान बेचते हैं। कैंट बोर्ड द्वारा एक दो बार उक्त पैंठ को हटवाया गया, लेकिन उसके बाद अधिकारियों ने इससे मुंह मोड़ लिया। अब उक्त अवैध पैंठ को कैंट बोर्ड का भरपूर संरक्षण मिल रहा है। उक्त अवैध पैंठ के कारण वहां जाम लगता है।

सुबह में वहां से सैकड़ों बच्चे वेस्टर्न रोड, सदर, आबूलेन, करअिप्पा स्ट्रीट, बैंकर्स स्ट्रीट आदि क्षेत्रों में स्थित स्कूलों को जाते हैं। वे जाम में फंसकर लेट हो जाते हैं। शुक्रवार को भी अवैध पैंठ के कारण वहां लगे भीषण जाम में स्कूली बच्चे फंसे। वे स्कूल जाने के लिए बुरी तरह हलकान हो गए। अवैध पैंठ हटवाने को कैंट बोर्ड ने कोई कदम नहीं उठाया। ऐसे में कैंट बोर्ड के अधिकारियों की मंशा पर सवाल उठ रहे हैं।

अवैध पैंठ हटवाकर जाम खुलवाने को थाना सदर बाजार की पुलिस ने भी कोई कदम नहीं उठाया। खास बात है कि जली कोठी चौराहे पर ट्रैफिक पुलिस के कई सिपाही तैनात थे, लेकिन वे अवैध रूप से पैंठ लगाने वालों पर कार्रवाई करने के बजाए, उन्हें पूरी तरह संरक्षण देते नजर आए। सवाल उठता है कि आखिरकार यह अवैध पैंठ कौन भरवा रहा है? जो स्कूली बच्चों के लिए मुसीबत का सबब बनी है।

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