Sunday, July 20, 2025
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Mohammad Rafi Sahab: सुरों के बादशाह मोहम्मद रफी साहब की 100वीं जंयती आज,म्यूजिक इंडस्ट्री को दिए अनगिनत गाने, पढ़ें गायक के बारे में यह दिलचस्प किस्सा..

नमस्कार,दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। लिखे जो खत तुझे वो तेरी याद में, आज मौसम बड़ा बेइमान है, इशारों इशारों में दिल लेने वाले जैसे सुपर हिट्स गानों को देने वाले गायक मोहम्मद रफी साहब आज भी हमारें दिलों में राज करते हैं। वहीं,आज यानि 24 दिसंबर को संगीतकार रफी साहब की 100वीं जंयती मनाई जा रही है। उन्होंने हिंदी सिनेमा और म्यूजिक इंडस्ट्री को अनगिनत सुपर हिट गाने दिए हैं। जिन्हें लोग आज भी गुनगुनाते हैं। वहीं, कईं संगीतकार,गायक और गीतकार आज भी उन्हें भगवान की तरह पूजते हैं।

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जब बालासुब्रमण्यम ने साझा किया रफी सा​हब का किस्सा

मोहम्मद रफी की आवाज की ताकत का एहसास मशहूर गायक एसपी बालासुब्रमण्यम के एक अनुभव से भी होता है, जिसने रफी साहब की आवाज और उनके गानों के प्रभाव को बेहद खूबसूरती से व्यक्त किया। दिल छून लेने वाली इस घटना को खुद बालासुब्रमण्यम ने साझा किया था।

तीन दिन रफी साहब का एक खास गाना बजता

एसपी बालासुब्रमण्यम ने एक कार्यक्रम में रफी साहब से जुड़ा दिलचस्प किस्सा बताते हुए कहा था कि जब वह इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे और गायन में अपना करियर शुरू भी नहीं किया था, तब वह रोज साइकिल से कॉलेज जाते थे। रास्ते में एक चाय की दुकान थी, जहां पुराने गाने रेडियो पर बजते थे। इस दौरान हफ्ते में कम से कम तीन दिन रफी साहब का एक खास गाना बजता था। हालांकि, उस वक्त बालासुब्रमण्यम को यह नहीं पता था कि यह गाना किस फिल्म का है और न ही यह कि यह गाना रफी साहब ने गाया है।

गाने को सुनकर आंसू निकल जाते थे

गाने को सुनकर वह साइकिल रोककर खड़े हो जाते और उसे सुनते वक्त उनकी आंखों से आंसू निकल जाते। यह सिलसिला छह महीने तक चलता रहा। एक दिन, चायवाले ने उनसे पूछा, “तुम हर रोज यह गाना सुनने आते हो और हर बार रोते हो। ऐसा क्यों?” इस सवाल का जवाब देते हुए बालासुब्रमण्यम ने कहा, “मुझे नहीं पता कि मैं ऐसा क्यों करता हूं।” यह गाना था फिल्म कश्मीर की कली का मशहूर गीत ‘दीवाना हुआ बादल’।

साइकिल रोककर बताई रोने की वजह

कुछ समय बाद एसपी बालासुब्रमण्यम अपनी कार से उसी रास्ते से गुजर रहे थे। तभी चायवाले की दुकान के पास से गुजरते हुए रुककर उन्होंने उस दुकानदार से कहा, “मैं वही हूं, जो रोज साइकिल से आता था और गाना सुनकर रोता था। अब मुझे पता चला है कि मैं क्यों रोता था।” उन्होंने आगे कहा, “मैं इंसानों को गाते हुए सुनता था, लेकिन जब रफी साहब गाते थे तो मुझे लगता था कि मैं भगवान को गाते हुए सुन रहा हूं।”

आज भी लोगों के दिलों में जिंदा रफी साहब की आवाज

बता दें कि,रफी साहब की आवाज में वह दिव्यता और भावनात्मक गहराई थी, जो सिर्फ संगीत को नहीं, बल्कि आत्मा को भी छू जाती थी। रफी साहब का संगीत आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। उनका संगीत एक विरासत है, जो हमेशा भारतीय सिनेमा के इतिहास में अमर रहेगा।

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