Monday, August 18, 2025
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Ashadha Month 2025: इस दिन से आरंभ होगा आषाढ़ महीना, जानिए धर्मशास्त्रों के अनुसार क्या करना है शुभ

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। हिंदू पंचांग का चौथा महीना, आषाढ़, जल्द ही प्रारंभ होने जा रहा है। यह माह धार्मिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। भीषण गर्मी के बाद वर्षा ऋतु का आरंभ भी इसी माह में होता है, जिससे प्रकृति और अधिक आकर्षक हो जाती है। आषाढ़ मास विशेष रूप से भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है। इस माह में विष्णु पूजा, व्रत, योग साधना और धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व होता है।

12 जून 2025 से आषाढ़ माह आरंभ होने जा रहा है और इसका समापन 10 जुलाई को होगा। यह महीना हमें अपनी दिनचर्या और खानपान में बदलाव लाने का संकेत देता है। ऐसे में आइए जानते हैं आषाढ़ माह में क्या करना चाहिए और किन बातों से बचना चाहिए।

आषाढ़ मास का महत्व

कृषि प्रधान देश होने के नाते, किसानों के लिए यह माह खरीफ फसलों की बुवाई के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी (देवशयनी एकादशी) 6 जुलाई से भगवान विष्णु चार मास के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इस अवधि को ‘चातुर्मास’ कहा जाता है। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं, लेकिन भजन-कीर्तन, धार्मिक अनुष्ठान और तपस्या का विशेष महत्व होता है। यह माह आत्मशुद्धि, दान-पुण्य और तपस्या के लिए उत्तम माना जाता है। इस दौरान की गई साधना और पूजा-पाठ का फल कई गुना अधिक मिलता है।

आषाढ़ माह में क्या करें

  • इस पूरे माह भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना करें। देवशयनी एकादशी से पहले उनकी प्रसन्नता के लिए भक्ति करें।
  • वर्षा ऋतु का प्रारंभ होने के कारण जल का महत्व बढ़ जाता है। इस माह में जल संरक्षण और जल दान (जैसे प्याऊ लगाना) करें।
  • इस माह में अन्न, वस्त्र और जल का दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। जरूरतमंदों की सहायता करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • हल्का और सुपाच्य भोजन ग्रहण करें। दाल, चावल, हरी सब्जियां और मौसमी फल आहार में शामिल करें।
  • भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है। इस माह में तुलसी की नियमित पूजा करें और जल चढ़ाएं।

आषाढ़ माह में क्या न करें?

  • देवशयनी एकादशी से चातुर्मास शुरू होने के कारण विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे बड़े शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
  • इस माह में मांसाहार और तामसिक भोजन का सेवन कम करें या त्याग दें।
  • लहसुन और प्याज का अधिक सेवन भी वर्जित माना जाता है।
  • इतना ही नहीं, इस माह में बासी खाना खाने की भी मनाही होती है।
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