- अमीरों ने भी कम आय के प्रमाण पत्र जमा कराये राशन डीलरों के पास
- सरकार की गरीबों को ही राशन देने की योजना की निकाली काट
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: राशन दुकानों से सिर्फ गरीबों को ही राशन देने की प्रदेश सरकार की योजना को अमीरों ने पलीता लगा दिया है। राशन दुकानों पर आय प्रमाण पत्र जमा कराने की अनिवार्यता इसलिए की गई थी कि सिर्फ गरीबों को ही सस्ता या मुफ्त का राशन मिल सके, लेकिन अमीरों ने इसकी भी काट कर दी है।
राशन डीलरों के यहां अभी तक एक भी उपभोक्ता ने ऐसा प्रमाण पत्र जमा नहीं कराया जिसमें उसकी वार्षिक आय 50 हजार रुपये से अधिक हो इस तरह सिर्फ गरीबों या मध्यम वर्ग को राशन देने की योजना फलीभूत नहीं हो सकी है।
घर में कार खड़ी है, शयन कक्ष में एसी लगा है, मगर फिर भी गरीबों वाला राशन चाहिए। इसके लिए एक-दो नहीं, बल्कि बड़ी तादाद में आनलाइन आवेदन कर दिये गए हैं।
लोगों के आवेदनों की जिला आपूर्ति अधिकारी ने जांच कराई तो इसमें सच सामने आ रहा है। दरअसल, नियम यह है कि जिसके पास कार व घर में एसी लगे हैं, उसको गरीबों वाला राशन नहीं मिलेगा।
लेखपालों की भूमिका संदिग्ध
अमीरों ने तहसील से 50 हजार रुपये तक का आय प्रमाण पत्र बनवा लिये हैं। घर में 20 बीघा कृषि भूमि है, फिर भी 50 हजार रुपये का आय प्रमाण पत्र लेखपाल कैसे दे रहे हैं? यह बड़ा सवाल है।
लेखपाल की भूमिका भी संदेह के दायरे में आ गई हैं, लेकिन इसमें एसडीएम स्तर के अधिकारी से जांच कराई जानी चाहिए। कौन गरीबों वाले राशन पाने का हकदार है तथा कौन नहीं?
घर में सरकारी नौकरी पर यदि परिवार में से एक भी सदस्य है तो वह गरीबों का राशन नहीं ले सकता, मगर यहां ऐसे कई उदाहरण है। इसकी शिकायत जिला आपूर्ति अधिकारी के पास भी पहुंची है, जिसकी जांच कराई जा रही है।
एक लाख से ज्यादा आनलाइन आवेदन वर्तमान में किये गए हैं, जिसमें ज्यादातर ऐसे ही मामले जांच में सामने आ रहे हैं। ऐसे राशन कार्ड का आवेदन करने वालों के आवेदन निरस्त किये जा रहे हैं।
इस खेल में राशन डीलर भी शामिल है, उसी के स्तर से आवेदन कराये जा रहे हैं। इसमें कोई मानक नहीं है। अब इसकी जांच के लिए जिला आपूर्ति अधिकारी ने कमेटी गठित की है,जो इसकी जांच कर रिपोर्ट देगी। इसके बाद ही आवेदन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
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