Saturday, December 28, 2024
- Advertisement -

बच्चों को जब कहानियां सुनाएं

कभी दादी और नानी की कहानियां हुआ करती थीं, लेकिन अब वह दौर बदल चुका है। न्यूक्लियर फैमिली के चलते दादी-नानी बच्चों से दूर हैं। पैरेंट्स के पास भी बच्चों को कहानियां सुनाने का वक्त नहीं है। जबकि कहानियों से बच्चों की स्किल्स बढ़ती है। वे नयी-नयी चीजों से अवगत होते हैं।

एक उम्र के बाद जब आपको महसूस हो कि आपके बच्चे बड़े हो गये हैं, तो उन्हें कहानियों की दुनिया से रूबरू कराना चाहिए। स्टोरी टेलिंग से बच्चों का विकास होता है। इससे वे देश-दुनिया की तमाम बातें जान पाते हैं। इसके जरिये वे साहित्य की दुनिया से भी रूबरू होते हैं और उनकी बुद्धिमत्ता भी बढ़ती है। परिवार के सभी सदस्यों को चाहिए कि वे बच्चों में स्टोरी टेलिंग की आदत को बढ़ावा दें।

बनता है नया शब्दकोश

बाजार में बच्चों की उम्र के अनुसार कहानियों की किताबें मिलती हैं। जरूरी नहीं कि बच्चों को कठिन साहित्यिक कहानियां ही सिखायी या सुनायी जायें। शुरूआत आसान कहानियों से करें। बच्चों में चाचा चौधरी, विक्रम बेताल, बीरबल, तेनालीराम काफी लोकप्रिय हैं। उन्हें इस तरह की कहानियां सुनाएं। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे बच्चों के शब्दकोश में इजाफा होगा। कहानियों के जरिये बचपन से ही अगर बच्चों को नये-नये शब्द सिखाये जायें, तो ताउम्र वे शब्द उनके साथ हो जाते हैं।

नैतिक मूल्य

कहानियों के माध्यम से बच्चों को जिंदगी के कई नैतिक मूल्य भी सिखाये जा सकते हैं और वह भी आसानी से। चूंकि बच्चे कहानियों में कहीं न कहीं खो जाते हैं और फिर वे खुद को उन कहानियों से कनेक्ट करने लगते हैं। जैसे चोरी करना बुरी बात है।। इस सीख के आधार पर बच्चों को कहानी सुनाएं और उन्हें अच्छी आदतों को अपनाने के लिए प्रेरित करें।

बच्चे बनेंगे अच्छे श्रोता

स्टोरी टेलिंग से बच्चों को एक और फायदा होगा कि इससे उनमें सुनने की क्षमता बढ़ेगी। वे इस बात को समझ पायेंगे कि उन्हें क्या सुनना है और किस तरह सुनना है। भविष्य में वे अच्छे वक्ता के साथ-साथ अच्छे श्रोता भी बनेंगे। घर पर अगर उनकी स्टोरी टेलिंग में दिलचस्पी बढ़ेगी, तो निश्चित तौर पर वे अपने स्कूल में अच्छा परफॉर्म करेंगे। स्टोरी टेलिंग से बच्चों को शिक्षित करना और ज्यादा आसान हो जाता है, क्योंकि बच्चे कहानियां सुन कर जिंदगी के अलग-अलग नजरिये से वाकिफ होते हैं।

बुजुर्गों की अहमियत

पिछले कई दशकों से परिवार में बुजुर्गों की खास अहमियत नहीं रह गयी है। बच्चे अपने दादा-दादी या नाना-नानी से सिर्फ तकनीकी बातचीत करते हैं, जो उनकी समझ से बाहर होती है। ऐसे में बच्चे बुजुर्गों से कटने लगते हैं। लेकिन अगर बच्चों में स्टोरी टेलिंग और कहानी सुनने की आदत विकसित होगी, तो वे अपने दादा-दादी और नाना-नानी के करीब आना चाहेंगे। एक बात का खास ध्यान रखें कि जब दादा-दादी और नाना-नानी कहानी सुना रहे हों, तो वे किताबों से कहानियां सुनाएं या फिर मुंहजुबानी, लैपटॉप या किसी तकनीकी उपकरण की मदद से नहीं। इससे बच्चे एक अलग दुनिया से वाकिफ होंगे। स्टोरी टेलिंग से बच्चे इंटरेक्टिव होंगे।

बढ़ेगा संस्कृति से जुड़ाव

किस्से, कहानियां सुनने से बच्चे अपनी संस्कृति से जुड़ते हैं। बच्चों को हिंदी, अंगरेजी के साथ स्थानीय भाषा की भी कहानियां सुनाएं। इससे उनकी भाषा पर भी पकड़ बनेगी। साथ ही साथ कहानियों के माध्यम से वे सभ्यता और संस्कृति को समझ पायेंगे। चूंकि आज के दौर में बच्चे संस्कृति और सभ्यता को समझने में दिलचस्पी नहीं लेते हैं, लेकिन अगर वे कहानियां सुनेंगे, तो समझ पायेंगे कि उनकी संस्कृति क्या है और वे किस तरह के मूल्यों से संबंध रखते हैं।

भावनात्मक जुड़ाव

ध्यान रखें कि बच्चों को केवल जादुई या फिर सुपरमैनवाली कहानियां न सुनाएं। ऐसी कहानियां भी सुनाएं, जो उन्हें भावनात्मक रूप से जोड़ती हों। इससे बच्चों में अच्छी भावना जागृत होगी।
-अनुप्रिया
फीचर डेस्क Dainik Janwani
What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Varun Dhawan: ‘बेबी जॉन’ के कलेक्शन की चिंता छोड़, परिवार संग छुट्टियां मनाने निकले वरुण धवण

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

गेहूं की फसल से खरपतवारों से छुटकारा पाएं

गेहूं की फसल में कई प्रकार के खरपतवार उगते...
spot_imgspot_img