जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: महाभारत के श्लोक त्रिया चरित्रं, पुरुषस्य भाग्यम देवो न जानाति कुतो मनुष्य: के अनुसार स्त्री का चरित्र और पुरुष का भाग्य इतना रहस्यमय और अनिश्चित होता है कि स्वयं देवता भी उसकी सटीक भविष्यवाणी नहीं कर सकते तो सामान्य मनुष्य की तो बात ही क्या है। आज की बदलती सामाजिक परिस्थितियों में यह श्लोक और भी अधिक प्रासंगिक हो जाता हैं। आजकल शादी से पहले प्रेम, लिव-इन रिलेशनशिप, देर से शादी करने का परिणाम इंतकाम और दर्दनाक घटनाओं का रूप ले रहा है। युवा कम उम्र में ही प्रेम और लिव इन के नाम पर यौन संबंधों में घिरते जा रहे हैं। वहीं धोखा, हत्या और हिंसा जैसे मामले समाज को झकझोर रहे हैं। भारतीय सनातन संस्कृति में जहां वट सावित्री जैसी महिलाएं रही हैं, जो अपने पति को अपने तप से यम से वापस ले आयी हैं। वहीं, कलयुग की महिलाएं अपने ही हाथों अपने पति को यम तक पंहुचा रही हैं। हाल ही में मेरठ का सौरभ राजपूत मर्डर केस पत्नी मुस्कान ने प्रेमी साहिल के साथ मिलकर पति की काटकर हत्या कर नीला ड्रम में उसको भर दिया था। पत्नी रविता द्वारा पति अमित को जहरीले सांप से डंसवाकर मौत के घाट उतारने के बाद अब राजा रघुवंशी और सोनम रघुवंशी कांड ने दाम्पत्य रिश्तों की गंभीरता, नैतिक मूल्यों का पतन और प्रेम में सवार ऐसा जुनून जो अपने ही जीवनसाथी की जान ले ले…ऐसे कृत्यों ने समाज को उस खतरनाक मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया हैं। जहां लगातार संस्कारों और नैतिकता की कमी देखंने को मिल रही हैं।
भावनात्मक बुद्धिमत्ता के साथ आत्म-जागरूकता जरूरी
साइकोलॉजिस्ट एवं रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ. ऋतु केला बताती हैं कि ऐसे मामलों में भावनात्मक बुद्धिमत्ता अहम रोल निभाती हैं। महिलाओं में भावनात्मक बुद्धिमत्ता पुरुषों से ज्यादा होता हैं। महिलाओं को दूसरों की भावनाएं समझने और उनसे जुड़ने की खास क्षमता देती है। यही कई बार लिव-इन या शादी से पहले के रिश्तों में उन्हें जल्दी भावनात्मक रूप से बांध देता है। ऐसे में अत्यधिक लगाव और प्रेम के प्रभाव में महिलाएं ऐसे क्रूरतम कृतयो को कर बैठती हैं। इसलिए ईक्यू के साथ सतर्कता और आत्म-जागरूकता जरूरी है। साथ ही आजकल रिश्तो में एक दूसरों के प्रति प्रतिबद्धता में कमी आयी हैं। इसका मुख्य कारण रील की दुनिया का प्रभाव हैं जो महत्वाकांशाओं की वृद्धि करती हैं। वही इसका दूसरा मुख्य कारण डिस्टर्बड फैमिली हैं, ना तो अब एकल परिवार हैं ना ही मूल्य जिसका सीधा असर ऐसे लोगों पर पड़ता हैं।
घटनाओं से पुरुष भयभीत
ऐसी विकृत घटनाएं विवाह जैसी पवित्र संस्था पर कुठाराघात करती हैं। संस्कार विहीन और धर्म से विमुख संतति परिवार के विनाश का कारण बनती है। लगातार बढ़ती इन घटनाओं से पुरुषों में भय उत्पन्न हो रहा है। इस घृणित कृत्य को अंजाम देने वाली महिलाओं को कठोरतम दंड मिलना चाहिए।
-यति मां चेतनानंद सरस्वती।
बेटियां हो रही पथभ्रष्ट
पश्चिम की भोगवादी संस्कृति का अंधानुकरण, जरूरत से ज्यादा लाड़ प्यार के कारण नए परिवार में सामंजस्य न बिठा पाना और सोशल मीडिया के कारण पुराने संबंधों से दूर न जा पाना, यह सब मिलकर हमारी बेटियों को पथभ्रष्ट कर रहे हैं। महिला अधिकार वादियों ने भी महिलाओं के मन से सही और गलत का भेद खत्म किया है। इन सबकी यह दु:खद परिणति आज देखने को मिलती है।
-डॉ. पीयूष गुप्ता, कैंसर विशेषज्ञ।
बेटी का विवाह पसंद अनुसार हो
पहली गलती लड़की के माता-पिता की हैं, जो धर्म जाति और वेतन के चक्कर में फंसकर अपनी बेटी का विवाह उसकी पसंद अनुसार नहीं करते और दबाव बनाकर अपने मुताबिक करते हैं। वहीं, दूसरी गलती लड़की की हैं, जो दबाव में आकर विवाह के लिए राजी हो जाती हैं और विवाह होते ही प्रेमी के साथ मिलकर अपने जीवनसाथी को मार देती हैं। लड़कियों को ना करना सीखना होगा।
-हरी विश्नोई, समाजसेवी।
लड़के नहीं करेंगे शादी
आज के समय में शादी के तुरंत बाद जो लड़कों की हत्याएं हो रही है। वो पुरुषों को शादी न करने पर मजबूर कर रही हैं। आज लड़के बचाओ, उनका परिवार बचाओ की जरूरत हैं। वह दिन दूर नहीं जब लड़के शादी ही नहीं करेंगे। यह सब देखकर आज का लड़का और उसका परिवार पूरी तरीके से डरा हुआ है और शादी नहीं करना चाहता।
-हर्षिल जेटली, एडवोकेट।