- अलीगढ़ मुस्लिम विवि के इस्लामिक स्टडीज में सनातन धर्म की पढ़ाई का मामला
- विवि में डीन रह चुके हैं मेरठ के शहर काजी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: अलीगढ़ मुस्लिम विवि में अब अलग से एक नया धार्मिक विभाग बनाने की हिमायत शुरु हो गई है। इस हिमायत के पीछे साम्प्रदायिक सद्भाव के आधार को मजबूत करने की दलील पेश की गई है। कहा जा रहा है कि यदि इस विश्व स्तरीय विवि में एक नया धार्मिक विभाग बनाकर उसमें सभी धर्मों की शिक्षा दी जाए तो इसके कई दूरगामी परिणाम सामने आएंगे।
यह मांग उस समय उठी है जब अलीगढ़ मुस्लिम विवि के इस्लामिक स्टडीज डिपार्टमेंट में वहां के छात्र छात्राओं को सनातन धर्म की शिक्षा दिए जाने को हरी झण्डी मिल गई है। इस संबध में मेरठ के शहर काजी प्रो. जैनुस साजेदीन का कहना है कि वैसे तो एएमयू के इस्लामिक स्टडीज डिपार्टमेंट में पहले से ही मजाहिब-ए-आलम (दुनिया भर के धर्म) विषय की शिक्षा दी जा रही है लेकिन यदि सभी धर्मों की शिक्षा देने के लिए एएमयू में एक एक अलग धार्मिक विभाग बना दिया जाए तो बहुत अच्छा होगा।
बकौल शहर काजी इससे जहां साम्प्रदायिक सद्भाव बढ़ेगा वहीं छात्र-छात्राएं एक दूसरे के धर्मों की शिक्षाओं को बारीकी से जान सकेंगे। शहर काजी के अनुसार कोई भी धर्म नफरत वाली शिक्षा नहीं देता। मेरठ के शहर काजी प्रो. जैनुस साजेदीन अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इस्लामिक स्टडीज डिपार्टमेंट के डीन रह चुके हैं। शहर काजी के अनुसार इस समय एएमयू में इसी प्रकार के विषयों पर कई लोग पीएचडी तक कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि जब वो वहां प्रोफेसर थे तब उनके अंडर में एक व्यक्ति ने इस विषय पर पीएचडी की थी कि हिन्दू व मुस्लिम धर्मों में होने वाली शादियों में कॉमन बिन्दु क्या क्या हैं। प्रो. जैनुस साजेदीन आगे कहते हैं कि यदि एएमयू में इस प्रकार का विभाग बनता है तो इससे एक और फायदा यह होगा कि लोग एक दूसरे के नजदीक आएंगे और वो हर धर्म की बारीकियों को समझकर साम्प्रदायिक सौहार्द को मजबूती देंगे।
वो यह जान सकेंगे कि विभिन्न धर्मों में कौन कौन से धार्मिक नियम कॉमन हैं। शहर काजी कहते हैं कि इससे समाज में बहुत बड़ा बदलाव आएगा। प्रो. जैनुस साजेदीन के अनुसार एएमयू में दी जाने वाली सनातन धर्म की प्रस्तावित शिक्षा एक अच्छा प्रयास है। वो कहते हैं कि बाद में इस प्रकार के डिपार्टमेंट देश के अन्य विवि में भी शुरु होने चाहिए।