Thursday, May 29, 2025
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मनी लॉन्ड्रिंग की जांच करेगा ईडी, अजित पवार की बढ़ी मुश्किलें

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने विदर्भ सिंचाई विकास निगम के तहत 12 परियोजनाओं में कथित अनियमितताओं के संबंध में महाराष्ट्र सिंचाई विभाग के विभिन्न निगमों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों की जांच शुरू की है। यह जानकारी घटनाक्रम के बारे में जानने वाले लोगों ने दी।

ईडी के एक अधिकारी ने बताया कि एजेंसी ने जल संसाधन विभाग के अधिकारियों से बांध परियोजनाओं के लिए जारी किए गए टेंडर, संशोधित प्रशासनिक स्वीकृतियों और 1999 और 2009 के बीच विदर्भ सिंचाई विकास निगम, कृष्णा घाटी सिंचाई परियोजना और कोंकण सिंचाई विकास निगम से जुड़े ठेकेदारों को किए गए बिलों के भुगतान के बारे में जानकारी मांगी है।

इस जांच से अजित पवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, क्योंकि 2012 में विभाग में अनियमितताएं सामने आई थीं। पवार 1999 से 2009 के बीच जल संसाधन मंत्री थे। पिछले साल दिसंबर में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने उपमुख्यमंत्री को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी।

इस संबंध में 27 नवंबर को उच्च न्यायालय में हलफनामा दायर किया गया था। इसके अगले दिन 28 नवंबर को महाविकास अघाड़ी ने राज्य में अपनी सरकार बनाई थी। वहीं उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की जलयुक्त शिवहर अभियान, जो एक जल संरक्षण परियोजना है उसकी जांच के आदेश दिए हुए हैं।

ईडी ऐसे समय पर पवार के खिलाफ जांच शुरू कर सकता है जब कुछ दिनों पहले ही मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने पवार और अन्य को 25,000 करोड़ के महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंकों में अनियमितता मामले में क्लीन चिट दी है। इस मामले में ईओडब्ल्यू ने पिछले महीने एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी। ईडी ने अदालत में ईओडब्ल्यू के कदम का विरोध किया है।

पवार जो शनिवार को सोलापुर और पुणे जिले के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे थे, उन्होंने ईडी की जांच पर टिप्पणी करने से मना कर दिया और कहा कि जलयुक्त शिवहर में जांच के आदेश किसी भी प्रकार के द्वेष की वजह से नहीं दिए गए हैं।

उन्होंने पत्रकारों से कहा,‘कैबिनेट के कुछ मंत्रियों ने मुद्दा उठाया कि अगर खुद कैग ने इस पर (जलयुक्त शिवहर) सवाल उठाए हैं, तो जिस महत्वाकांक्षी परियोजना पर करोड़ों रुपये खर्च किए गए, उसकी जांच होनी चाहिए। इसलिए मुख्यमंत्री ने एक विशेष जांच दल (एसआईटी) को इसकी जांच के आदेश दिए हैं।’

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