अमृतवाणी
लगन का मूल्य
यूनान के किसी गांव का एक लड़का लकड़ियां काटकर गुजारा करता था। वह दिन भर जंगल में लकड़ियां काटता और शाम को पास के शहर के बाजार में उन्हें बेच देता था। एक दिन एक विद्वान व्यक्ति बाजार से जा रहा था। उसकी नजर बालक के गट्ठर पर पड़ी, जो बेहद कलात्मक ढंग से बंधा था। उन्हें यकीन नहीं हुआ कि वह बालक इस तरह से गट्ठर को बांध सकता है। अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए विद्वान ने उस लड़के से पूछा,‘क्या यह गट्ठर तुमने खुद बांधा है?’ लड़के ने जवाब दिया, ‘जी हां, मैंने ही बांधा है। मैं दिन भर लकड़ी काटता हूं, स्वयं गट्ठर बांधता हूं और रोज शाम को बाजार में बेच देता हूं।’ उस व्यक्ति सोचा मुझे आजमाकर देखना चाहिए। उसने कहा, क्या तुम इसे खोलकर इसी प्रकार दोबारा बांध सकते हो?’ लड़के ने गट्ठर खोला तथा बड़े ही सुंदर तरीके से उसे फिर बांध दिया। यह कार्य वह बड़े ध्यान, लगन और फुर्ती के साथ कर रहा था। लड़के की एकाग्रता, लगन तथा कलात्मक रीति से काम करने के तरीके ने उस व्यक्ति को काफी प्रभावित किया। उसे बच्चे में काफी संभावना नजर आई। उसने पूछा, ‘क्या तुम मेरे साथ चलोगे? मैं तुम्हें अपने साथ रखूंगा, शिक्षा दिलाऊंगा। तुम्हारा सारा खर्चा मैं उठाऊंगा।’ बालक ने सोच-विचार कर अपनी स्वीकृति दे दी और उसके साथ चला गया। उस व्यक्ति ने बालक के रहने और उसकी शिक्षा का प्रबंध किया। वह स्वयं भी उसे पढ़ाता था और नई-नई बातें सिखाता था। थोड़े ही समय में उस बालक ने उच्च शिक्षा हासिल की और काफी कुछ ज्ञान अर्जित कर लिया। बड़ा होने पर यह बालक यूनान के महान दार्शनिक पाइथागोरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ। और जिस व्यक्ति ने उसे अपने यहां रखा था, वह था यूनान का विख्यात तत्व ज्ञानी डेमोक्रीट्स।