Friday, July 5, 2024
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चने की फसल को तो नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं ये कीट?

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इस समय चना की खेती करने वाले किसानों को कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए, क्योंकि फलियां लगते समय चने में कई तरह के कीटों का प्रकोप हो जाता है। चना रबी की प्रमुख फसलों में से एक है, लेकिन बार सही प्रबंधन न करने पर किसानों को काफी नुकसान भी उठाना पड़ जाता है। इसलिए चने की फसल में समय रहते कीट-रोग प्रबंधन करना चाहिए। दलहनी फसलों में चना एक प्रमुख फसल है, इस समय फसल में फली छेदक कीट काफी नुकसान पहुंचाते हैं।

इस कीट का वयस्क अवस्था करीब करीब 700 से 900 अण्डे (पत्ती, फूल फलियों में) पर देती है। अंडे से बाहर आने के बाद सुंडिया प्राथमिक अवस्था में पत्तियों को खा जाती हैं और बड़े होने पर सुंडिया फलियों को खा जाती हैं। इस कीट के प्रकोप का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता सकता है, कि इसके हरे रंग की सुंडियों के शरीर का आधा भाग फलियों के अंदर रहता है और आधा भाग फली के बाहर रहता है।

धीरे-धीरे करके ये कीट फलियों को खाकर बर्बाद कर दते हैं। इसी तरह एक कीट और भी होता है जो की चने की फसल को नुकसान पहुंचाता है। इस कीट को बीट आर्मीवर्म कहा जाता है। यह कीट वयस्क अवस्था में पत्तियों के नीचे गुच्छे में अंडे देता है और शुरुआत में सुंडियां पत्तियों को खा लेती हैं। साथ ही बड़े होने पर ये कीट फली और फूल को नुकसान पहुंचाते हैं।

ऐसे करें इन कीटों का प्रबंधन चने के कटाई के बाद गहरी जुताई करनी चाहिए जिससे कीट के अंडे और कीट नष्ट हो जाएं सही समय पर चने की बुवाई करना कीट प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग करना बुवाई के साथ सूरजमुखी और रबी सीजन का ज्वार लगाए कीटों से बचने के लिए फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग करना (5 एकड़ के हिसाब से लगाना चाहिए) कीटनाशक दवा का प्रयोग करना चाहिए।


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