Thursday, March 28, 2024
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आप स्लीप सिंड्रोम के शिकार तो नहीं ?

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नीतू गुप्ता |

अच्छी नींद की पहचान है कि जब सुबह उठें तो पूरी तरह से ताजगी लिए उठें। अगर आप रात भर सोने के बावजूद भी सुबह उठ कर ताजगी महसूस नहीं करते तो इसका अर्थ है कि आपकी नींद सुकून भरी नहीं है। कई लोगों की नींद रात में बार-बार टूटती है या वह बिस्तर पर लेटे तो रहते हैं पर करवटें बदलते रहते हैं। ऐसे लोग स्लीप सिंड्रोम के शिकार होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार नींद दो तरह की होती है-गहरी और कच्ची नींद।

गहरी नींद 5 घंटे की भी हो तो मनुष्य प्रात: फ्रेश उठता है। उसका शरीर रिलेक्स होता है। कच्ची नींद 8 घंटे की भी हो तो शरीर पूरी तरह से रिलेक्स नहीं होता। गहरी नींद न आने की कई वजहें हैं यथा शारीरिक, मानसिक, कैफीन पेयों का अधिक सेवन, बिलकुल श्रम न करना आदि। लोग अभी इस बात के लिए जागरूक नहीं हैं कि गहरी नींद शरीर, मन और दिमाग के लिए कितनी जरूरी है। अगर आप भी स्लीप सिंड्रोम के शिकार हैं तो डाक्टर से परामर्श अवश्य करें और स्वयं को कई बीमारियों से बचाएं।

नींद न आने के कारण                                                                    

सोने का समय निश्चित न होना : अक्सर लोगों के सोने का समय निश्चित नहीं होता। कभी 10 बजे, कभी 11 बजे और कभी जब मन चाहा, तभी सोना। इस प्रकार निश्चित समय पर न सोने वाले लोग रात्रि में प्रापर नींद नहीं ले पाते। बहुत से लोग दिन में भी काफी समय सोते हैं। उन लोगों को भी रात्रि में गहरी सुकून भरी नींद नहीं आती। अगर आपको दिन में सोना है तो 20 से 30 मिनट तक का विश्राम या नींद शरीर हेतु ठीक है। रात्रि में भी सोने का एक निश्चित समय रखें।

सोने से पहले टीवी देखना : अक्सर कामकाजी लोगों को आदत होती है कि सोने से पूर्व डेढ़-दो घंटे टीवी देखते हैं। दिनभर की थकान के बाद टीवी उन्हें रिलेक्स करता है, पर नींद भगाने में टीवी देर तक देखने का बहुत बड़ा हाथ है। कभी-कभी मनपसंद प्रोग्राम देखते हुए समय कितना बीत जाता है, पता ही नहीं चलता।

बेहतर है सोने से पूर्व 15 से 20 मिनट तक कोई पुस्तक पढ़ें और 5 मिनट तक अपने अंदर झांकें कि दिन में सब कुछ ठीक रहा। आपसे कुछ गलती तो नहीं हुई। आत्म निरीक्षण आपको एक अच्छा इंसान बनाता है और मन और दिमाग को शांत रखता है जिससे नींद अच्छी आती है।

अधिक कैफीन भी नींद भगाती है : जो लोग दिन में दो या तीन कप से अधिक चाय कॉफी लेते हैं मसलन 8 से 10 कप, उनके शरीर में कैफीन की मात्रा काफी चली जाती है जो नींद भगाने में सहायक होती है। विशेषकर सोने से दो तीन घंटे पूर्व चाय काफी का सेवन न करें। भारी खाना भी नींद को भगाता है। यह आपके पाचन संबंधी सिस्टम को खराब करता है जिससे बेचैनी होती है। रात्रि में सोने से 3 घंटे पूर्व साधारण और सुपाच्य खाना खाएं ताकि नींद खराब न हो।

क्षमता से अधिक व्यायाम करना: विशेषज्ञों के अनुसार क्षमता से अधिक व्यायाम करना शरीर को अधिक थका देता है। इसी प्रकार शारीरिक परिश्रम भी क्षमता से अधिक करने पर उसका प्रभाव नींद पर पड़ता है। प्रतिदिन 40 मिनट से 50 मिनट तक का व्यायाम शरीर को दुरूस्त रखने हेतु काफी होता है। व्यायाम करते समय ध्यान दें कि आपके जोड़ और मांसपेशियों पर प्रभाव पड़े। ऐसा करने से नींद अच्छी आएगी। सोने से पूर्व व्यायाम न करें। खाना खाकर हल्के कदमों से टहलें। अगर किसी भी तरह की टेंशन या थकान शरीर में महसूस हो तो थोड़े गर्म पानी से स्नान ले लें। गर्म पानी टेंशन को दूर करने में मदद करता है।

भाग-दौड़ वाला रूटीन : बहुत बार भाग दौड़ के चलते भी प्रॉपर नींद नहीं आती क्योंकि सोते समय ध्यान बार बार उन कामों की ओर चला जाता है जो अभी पूरे नहीं हुए होते। विशेषज्ञों के अनुसार रात में सोने से कुछ घंटे पूर्व यानी एक दो घंटे पहले पेंडिंग कामों को याद मत करें। जो काम रह गए हैं उन्हें कल पूरा करने का प्रयास करें। प्रात: कुछ देर मेडिटेशन करें ताकि रिलैक्स माइंड आपके काम की क्षमता और एकाग्रता को भी बढ़ा सकें।

शादीशुदा जिंदगी की समस्याएं : कभी कभी शादी के बाद समस्याएं बढ़ जाती हैं जो आपकी अच्छी नींद में बाधा बनती हैं। अगर शादी शुदा जिंदगी खुशहाल है तो नींद अच्छी आएगी और उलझनों से भरी है तो नींद नहीं आएगी। अपनी समस्याओं का समाधान खोजने का प्रयास करें। अपने पार्टनर, अपनी किसी अच्छी फ्रेंड या माता पिता से सलाह लें ताकि वे आपकी कुछ समस्याओं को हल कर सकें। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो मैरिज काउंसलर से मशवरा करें। कभी कभी प्रथम बार मां बनने पर भी कई नई समस्याएं सामने आती हैं जैसे बच्चे का बार बार जागना आदि। ऐसे में धैर्य रखना ही सबसे बड़ी बात है। दिन में समय मिलते ही थोड़ी नींद पूरी कर लें।

स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं : कई बार स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के कारण नींद पूरी नहीं होती जैसे गले में इंफेक्शन, खांसी-जुकाम, शरीर के किसी हिस्से में दर्द, चोट लगना आदि। सर्दी-जुकाम में फेफड़ों में हवा प्रॉपर नहीं पास होती तब भी बार बार नींद खुल जाती है बीमारी का इलाज समय पर करवाएं।

बढ़ी आयु की वजह से भी : स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार ज्यों ज्यों आयु बढ़ती जाती है, गहरी नींद की मात्रा कम होती जाती है। बढ़ती आयु में नींद कच्ची हो जाती है। कभी मूत्र त्यागने के कारण खुलती है तो कभी थोड़ी सी आहट होने पर, इसलिए बढ़ती आयु के साथ इसे परेशानी का कारण न मानकर स्वीकारें कि अब हमारी नींद दिन प्रतिदिन कम ही होनी है।

ध्यान दें                                                                                    

अनिद्रा रोग से पीड़ित लोगों को हार्ट अटैक व ब्रेन स्ट्रोक का खतरा कई गुना बढ़ जाता है। इनके अलावा वजन बढ़ता है, बीपी बढ़ने लगता है और हार्ट बीट अनियमित होने का खतरा भी बढ़ता है। पक्की नींद आपको अगले दिन की भागदौड़ के लिए तैयार करती है और ब्रेन को तंदुरूस्त रखती है ताकि आप दिमागी रूप से ठीक फैसले ले सकें।


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