Monday, June 9, 2025
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सावधान! यही है मेरठ का ‘असली कसाई’ हाजी इजलाल कुरैशी, पढ़िए- धोखे से घर बुलाकर मर्डर की कहानी… ​

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक अभिनंदन और स्वागत है। आज उन तीन बेटों की लहू के इंसाफ की घड़ी नजदीक आ गई है जिनकी बहुत की बेरहमी से मेरठ के गुदड़ी बाजार में निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई थी। 16 साल तक चले इस ट्रिपल मर्डर केस का आज फैसला होगा।

मेरठ कोतवाली अंतर्गत गुदड़ी बाजार के तिहरे हत्याकांड में 16 साल बाद आज फैसले की घड़ी है। अदालत ने सारे दस्तावेज सुरक्षित कर लिए हैं। आज निर्णय सुनाया जाएगा। वहीं हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत से मुकदमे का स्टेटस मांगा और फैसले को टाल दिया था। हाईकोर्ट ने 30 जुलाई तक रिपोर्ट मांगी थी। वहीं मंगलवार को ट्रांसफर के प्रार्थना पत्र को निरस्त कर दिया। आज अदालत इस मामले में फैसला सुनाएगी।

बता दें कि 23 मई 2008 को मेरठ कॉलेज के छात्र 27 वर्षीय सुनील ढाका निवासी जागृति विहार, 22 वर्षीय पुनीत गिरि निवासी परीक्षितगढ़ रोड और 23 वर्षीय सुधीर उज्जवल निवासी गांव सिरसली बागपत के शव बागपत के बलैनी में नदी के किनारे पड़े मिले थे। तीनों को गोलियां मारने के बाद गला काटकर मारा गया था। पुलिस की जांच में सामने आया कि 22 मई की रात तीनों का गुदड़ी बाजार में हाजी इजलाल कुरैशी के साथ झगड़ा हुआ था।

पुलिस के आरोप पत्र के मुताबिक झगड़े के बाद इजलाल ने अपने भाइयों के साथ मिलकर तीनों को पकड़ लिया। पहले पाइपों से बुरी तरह पिटाई की। इसके बाद तीनों को गोलियां मारी। फिर सबके गले काट दिए। आंखें तक नोंच ली गईं। इसके बाद शवों को पानी से धोकर कार की डिग्गी में रखकर गाड़ी सहित नदी किनारे ले जाकर शवों को फेंक दिया।

इस घटना का खुलासा होने के बाद मेरठ में हजारों युवाओं ने गैर-राजनीतिक संगठनों ने 25 मई को मेरठ बंद का ऐलान कर दिया था। पूरा मेरठ बंद हुआ था। तत्कालीन कोतवाली इंस्पेक्टर और सीओ की भूमिका पर सवाल उठने के बाद जांच सदर बाजार थाने के इंस्पेक्टर डीके बालियान को दी गई थी।

पुलिस ने इस मामले में हाजी इजलाल, उसके भाई अफजाल व परवेज समेत दस आरोपियों को कोर्ट में पेश किया। कुल 14 आरोपियों पर चार्जशीट दाखिल हुई है। इनमें हाजी इजलाल कुरैशी, परवेज और अफजाल पुत्रगण स्वर्गीय इकबाल, मेहराज पुत्र मेहताब, इसरार पुत्र रशीद, कल्लू उर्फ कलुआ पुत्र हाजी अमानत, इजहार, मुन्नू ड्राइवर उर्फ देवेंद्र आहूजा पुत्र विजय, वसीम पुत्र नसरुद्दीन, रिजवान पुत्र स्वर्गीय उस्मान और बदरुद्दीन पुत्र इलाहीबख्श, शम्मी और माजिद के खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल करते हुए हत्याकांड को साबित करने के लिए कुल 37 गवाहों के नाम दिए। युवती को इस मामले में इजलाल को घटना के लिए उकसाने का आरोपी बनाया गया। इस पर युवती कोर्ट से स्टे ले आई थी।

23 मई 2008 की दोपहर बागपत जिले में बालैनी नदी के किनारे कार में तीन युवकों के शव पड़े मिले। इनकी पहचान सुनील ढाका, पुनीत गिरि और सुधीर उज्जवल के रूप में हुई। पुलिस जांच में सामने आया कि 22 मई की रात तीनों की कोतवाली के गुदड़ी बाजार में हाजी इजलाल कुरैशी ने अपने भाइयों और साथियों के साथ मिलकर हत्या की।

22 मई की रात तीनों की हत्या कोतवाली के गुदड़ी बाजार में हाजी इजलाल कुरैशी ने अपने भाइयों और दोस्तों के साथ मिलकर की। इजलाल की दोस्ती मेरठ कॉलेज में पढ़ने वाली शीबा सिरोही से थी। वह एकतरफा प्यार करता था। वहीं, सुनील ढाका भी शीबा को चाहने लगा था। शीबा को इजलाल से तीनों युवकों का मिलना पसंद नहीं था। उसने इजलाल को तीनों के खिलाफ उकसाया था। तीनों को गुदड़ी बाजार में आरोपी इजलाल ने घर बुलाया। जहां हत्या कर दी।

तीनों को गोली मारी, तलवार से काटा, आंखें फोड़ी

ये हत्याकांड इतना नृशंस था कि प्रदेशभर में चर्चा में रहा। तीनों युवकों को पहले गोली मारी, फिर तलवार से गला काटा गया। लाठी-डंडों से पीटा। आंखें भी फोड़ दी। घटना को देख और सुनकर हर कोई हैरान था। आनन-फानन मेरठ के साथ ही बागपत पुलिस को अलर्ट किया गया। तत्काल एक आरोपी की गिरफ्तारी भी की गई। मुख्य आरोपी इजलाल से पूछताछ हुई तो हैरान करने वाले खुलासे हुए।

शीबा का सुनील से प्यार करना गुजरा नागवार

इजलाल को पता चला कि शीबा सुनील ढाका को चाहती है। सुनील भी उसे प्यार करता है। ये बात इजलाल को खटक गई। उसने तय कर लिया कि सुनील ढाका को छोड़ेगा नहीं, ठिकाने लगाएगा। सुनील को ठिकाने लगाने के लिए इजलाल ने अपने तीन दोस्तों सुनील, पुनीत गिरी, सुधीर उज्जवल को अपने ठिकाने पर बुलाया।

रातभर मौत का खूनी खेल चलता रहा

इसके बाद जमकर शराब पिलाई। जब तीनों लड़के नशे में बेसुध हो गए तो इजलाल ने तीनों को अपने ही घर में कैद कर लिया। इसके बाद इजलाल ने अपने दूसरे साथियों को घर बुलाया। तीनों युवकों को बुरी तरह पीटा। इजलाल इतना आक्रोशित था कि तीनों लड़कों को बुरी तरह पीटने के बाद भी उसका गुस्सा शांत नहीं हुआ। उसने तीनों लड़कों की आंखें फोड़ डाली। फिर उनको गोली मार दी। इसके बाद तलवार से उनके गले काटे। रातभर इजलाल के टॉर्चर और मौत का खूनी खेल चलता रहा। पूरी रात इजलाल युवकों को काटता रहा और सुबह हो गई।

जीने के पास तीनों के शव फेंके

आरोपी इजलाल और दोस्तों ने तीनों लाशों को घर में ही सड़क की तरफ बने एक छोटे से जीने के पास डाल दिया। लेकिन, थोड़ी ही देर लाशों से खून बह कर सड़क पर आने लगा। आसपास के लोगों ने खून बहता देखा तो शोर मचाया। इसके बाद उस हिस्से को खोला गया तो भयानक मंजर नजर आया। इतने में इजलाल का नशा भी उतर गया।

उसने आनन-फानन गाड़ियां मंगाई और तीनों शवों को एक गाड़ी की डिक्गी में डालकर गंग नहर की ओर भागा। कोई सही जगह नजर नहीं आई तो आरोपी इन शवों को लेकर बागपत बॉर्डर पर हिंडन किनारे पहुंचा। इस दौरान गाड़ी का तेल खत्म हो गया तो आरोपी गाड़ी में ही शव छोड़कर फरार हो गया।

शवों को गाड़ी में बुरी तरह ठूंसा

स्थानीय लोग बताते हैं- जीने से शवों को निकाल कर ठिकाने लगाने का दृष्य भी भयावह था। दरअसल, आरोपी जब अपने घर से शव निकाल रहा था तो सड़क पर गाड़ियों का काफिला था। इसमें एक गाड़ी पर नीली बत्ती लगी थी। एक गाड़ी में शव ठूंस कर भरे जा रहे थे।

मकान के अंदर से लेकर सड़क तक खून ही खून फैला था। बावजूद इसके किसी की हिम्मत नहीं पड़ी कि आरोपी को रोक या टोक सके। बागपत पुलिस ने इस संबंध में केस दर्ज कर आरोपी इजलाल को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन कोर्ट में पेशी के दौरान गुस्साए लोगों ने हिरासत में उसकी पिटाई कर दी।

कोर्ट पहुंचे शीबा-इजलाल ने एक-दूसरे को तिरछी नजरों से देखा

17 जुलाई को कोर्ट में आरोपी पेश हुए थे। शिबा सिरोही, इजलाल कुरैशी के भाई और दूसरे आरोपी भी मुंह पर मास्क लगाकर पहुंचे। इजलाल कुरैशी सबसे बाद में कोर्ट पहुंचा। जिस शीबा के खातिर इजलाल ने ये सब किया वो दोनों लोग एक-दूसरे से बात करते नहीं दिखे। दोनों ने तिरछी नजरों में एक-दूसरे को देखा।

गवाह संदीप पर हो चुका है जानलेवा हमला

मेरठ से लेकर दिल्ली तक सैकड़ों छात्रों ने इस घटना के विरोध में प्रदर्शन किया था। इसी प्रकार व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान बंद कर खराब कानून व्यवस्था का विरोध किया। मुकदमे के वादी अनिल ढाका स्वतंत्र गवाह के रूप में दुष्यंत तोमर उर्फ अमित राणा, संदीप ढ़डरा, अमित उज्जवल, राजेश कुमार कोर्ट में पेश हुए हैं।

इनके अलावा विवेचक पंकज कुमार गौतम, डीके बालियान, नागेश मिश्रा, हरीश भदौरिया पंचनामे का गवाह दरोगा सोमपाल पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉ. कृष्ण कुमार, मुकदमा लिखने वाले एएसआई हरी सिंह, आरोपियों से बरामदगी करने वाले एसआई सुशील कुमार व नरेश चंद वर्मा सिपाही अनुराग पाठक फिंगर प्रिंट लेने वाले जयवीर सिंह नक्शा-नजरी बनाने वाले राज सिंह आर्म्स एक्ट के गवाह राजेश कुमार, दरोगा रघुनंदन सिंह भदौरिया सिपाही अरविन्द मौजूद रहे। वहीं आरोपी पक्ष से पांच गवाह नफीस, अमित शर्मा, इस्माइल, शरीफ और आबिद पेश किये गये। गवाह संदीप पर जानलेवा हमला हो चुका है।

इस मामले में पहले बागपत में रिपोर्ट दर्ज हुई थी, लेकिन बाद में इजलाल समेत बाकी आरोपियों के खिलाफ (अपराध संख्या 190/08)के तहत धारा 147, 148, 149, 364, 302, 201, 404, 411 और 3/2 गैंगस्टर एक्ट के तहत थाना कोतवाली में मुकदमा दर्ज है।

एडवोकेट प्रमोद त्यागी बताते हैं कि इन धाराओं में उम्रकैद से लेकर फांसी तक की सजा का प्रावधान है। अब इस मामले में सिर्फ एक आरोपी शम्मी जेल में है। बाकी सभी आरोपियों की जमानत हो चुकी है। मुकदमे में बहस पूरी हो गई है। आज हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत से मुकदमे का स्टेटस मांगने के बाद फैसले को टाल दिया।

गुदड़ी बाजार ट्रिपल मर्डर केस में अभियुक्त गण की ओर से न्यायालय में प्रार्थना दी गई कि ट्रांसफर से संबंधित प्रार्थना पत्र उच्च न्यायालय में विचाराधीन है और 30 जुलाई की तिथि नियत है, इसलिए कोई निर्णय पारित न किया जाए।

अभियोजन पक्ष की ओर से वरिष्ठ फौजदारी अधिवक्ता प्रमोद त्यागी ने कोर्ट को बताया था कि माननीय उच्च न्यायालय द्वारा प्रोसीडिंग्स को स्टे नहीं किया गया तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा दिन प्रतिदिन सुनवाई किए जाने के आदेश दिए हुए थे। प्रार्थना पत्र के संबंध में न्यायालय को अपनी रिपोर्ट उच्च न्यायालय को प्रस्तुत करनी थी।

मुख्य न्यायालय अपर जिला स्पेशल भ्रष्टाचार निवारण कोर्ट संख्या दो पवन शुक्ला ने हाईकोर्ट की 30 जुलाई को तारीख लगने के चलते फैसले को अब 31 जुलाई की तिथि नियत की थी। ऐसे में अदालत आज इस पर फैसला सुनाएगी।

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