Monday, July 1, 2024
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आस्ट्रिया की ग्लाक पिस्टल जल्द देश में बनेगी

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  • तमिलनाडु की कंपनी को पिस्टल बिक्री का टारगेट मिला

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: आस्ट्रिया की जानी मानी ग्लाक पिस्टल अब आम नागरिकों के लिये भी उपलब्ध हो जाएगी। इसके लिये आस्ट्रिया ने तमिलनाडु के तिरुवल्लूर जिले में स्थित मैसर्स टैक्नोलाजी प्राइवेट लिमिटेड और ग्लाक जेसएमबीएच ने पिस्टल का उत्पादन करने के लिए एक साझेदारी की। जो केंद्र द्वारा योजनाबद्ध राज्य के रक्षा औद्योगिक गलियारे का हिस्सा माना जा रहा है।

दोनों देशों के संयुक्त उद्यम शुरू में केवल सरकार को ग्लॉक की आपूर्ति के लिए हस्ताक्षर किए गए थे। केंद्र से अनुमति लेकर मार्च 2021 के अंत तक भारतीय कंपनी के निदेशकों में से एक और प्रमुख शेयरधारक जयकुमार जयराजन को नागरिकों को पिस्तौल बेचने का लक्ष्य दिया है।

जयराजन के अनुसार कोविड-19 लॉकडाउन ने हमारी परियोजना में छह महीने से अधिक की देरी कर दी है। हम गति बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी पहली प्राथमिकता सशस्त्र बलों को 9 मिमी पिस्तौल की आपूर्ति करना है। नागरिकों को .22 एलआर, .380, .357, .40 और .45 कैलिबर पिस्टल मिलेंगी।

जयराजन ने बताया कि हमें अपनी खुद की प्रूफ टेस्टिंग सुविधा स्थापित करने की अनुमति है। ग्लाक पिस्टल के संबंध में जनवरी 2019 में ग्लाक की एक टीम चेन्नई आई थी।

हमारी साइट पर जाकर केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों से मिलने के लिए दिल्ली के लिए चली गई थी। प्रतिनिधिमंडल में एक ऐसा व्यक्ति भी था जो ग्लाक पिस्टल की डिजाइन करने वाली टीम में था। इस गैस्टन ग्लॉक ने 1981 में पहली पिस्तौल बनाई थी।

अपने देश में अधिकांश लाइसेंसी आग्नेयास्त्रों के निर्माता 1984 या उससे पहले आयात किए गए पुराने या पुराने विदेशी या सरकारी आयुध कारखानों द्वारा बनाए जा रहे हैं। केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 1984 में सभी प्रकार की आग्नेयास्त्रों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था, केवल राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाजों और राज्य एजेंसियों को छूट दी गई थी।

हालांकि अब तक भारत के बंदूक मालिकों की पहुंच से बाहर, दुनिया का पहला सैन्य सेवा पिस्टल, जो एक हल्के बहुलक फ्रेम और ट्रिगर सुरक्षा सुविधा को सपोर्ट करता है, एक जाना पहचाना नाम है।

एक 9 मिमी ग्लॉक 26 कॉम्पैक्ट पिस्टल विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान के पास थी, जब वह बलकोट हवाई हमले के बाद फरवरी 2019 में पाकिस्तान में पकड़ा गया था। इ

सके अलावा पठानकोट में एयरफोर्स बेस में 2016 में हुए हमले के दौरान नेशनल सिक्योरिटी गार्ड के द्वारा प्रयोग की गई थी। अपने देश में अभी भी देशवासी विश्वसनीयता के कारण 50 या 70 वर्ष पुराने हैंडगन के प्रीमियम मूल्य का भुगतान करते हैं।

भारत में निर्मित ग्लाक को लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरना है। लेकिन इससे पहले, सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि कानून का पालन करने वाले नागरिकों को सालों तक लालफीताशाही में पकड़े बिना बंदूक का लाइसेंस मिले। यदि लाइसेंस जारी नहीं किए जाते हैं तो कोई बाजार नहीं होगा। कंपनियां कैसे अपने कारोबार को तेज करेंगी।

चाकू और बैल्ट बनाने वाले ने बनाई ग्लाक पिस्टल

आस्ट्रिया की सेना को युद्ध के बाद से ही एक बढ़िया पिस्टल की खोज थी। इसी बीच गैस्टन ग्लोक ने सेना के लिए एक अच्छी पिस्टल बनाने की योजना बनाई। हांलाकि गैस्टन ग्लोक सेना के लिए केवल चाकू और गोलियां रखने की बेल्ट बनाते थे। लेकिन एक शानदार पिस्टल बनाकर वे पूरी तरह से हथियारों में कारोबार में उतरना चाहते थे।

गैस्टन ग्लोक ने कुछ हथियार एक्सपर्ट्स को एकत्र किया। उन्होंने उनसे कहा कि एक ऐसी पिस्टल बनाएं, जिसका इस्तेमाल हर जगह की जा सके। इसके बाद इस टीम ने मात्र 3 महीने के अंदर 9 एमएम की ग्लोक पिस्टल तैयार कर दी। जब ग्लोक 17 पिस्टल की टेस्टिंग की गई तो इस पिस्टल बनाने वाली टीम को भी अंदाजा नहीं था कि उन्होंने कितनी शानदार पिस्टल बनाई है।

जब गैस्टन ग्लोक ने अपनी बनाई पिस्टल ग्लोक 17 आस्ट्रिया की सेना को दी तो सभी हैरत में पड़ गए कि इससे पहले ऐसी बंदूक किसी ने नहीं देखी थी। इस पिस्टल की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि इसके मैगजीन में 27 गोलियां रख सकती थी। यह एक सेमी-आटोमेटिक पिस्टल थी।

पॉलीमर से बनने के कारण यह पिस्टल वजन में बिल्कुल हल्की, आसानी से पकड़े जाने वाली और गर्म से गर्म वातावरण को सहने वाली पिस्टल बन गई। सबसे बड़ी बात कि यह पिस्टल इतनी फेमस हो गई कि अमेरिका की नजर भी इस पर पड़ी। इसके बाद 1988 में ग्लोक 17 अमेरिका में चली गई।

उन दिनों अमेरिका में ड्रग्स का कारोबार तेजी से बढ़ रहा था, ऐसे में अमेरिकी पुलिस को उनसे लड़ने के लिए एक अच्छी पिस्टल चाहिए थी। इसका निशाना इतना अचूक था कि ग्लोक 17 की किस्मत ही खुल गई। अमेरिकी पुलिस से लेकर सेना तक हर किसी ने इस दमदार पिस्टल की डिमांड की।

आज की तारीख में भी यह दुनिया की सबसे ताकतवर पिस्टल में शुमार की जाती है। जब से इसे प्रतिबंधित बोर से मुक्त किया गया तब से हथियार प्रेमियों और शूटरों में खुशी की लहर दौड़ गई।

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