Monday, December 30, 2024
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गन्ना किसान के लिए अच्छा विकल्प है बांस की खेती

KHETIBADI 1

92केपी मलिक

पश्चिम उत्तर प्रदेश में जलस्तर और गन्ना किसान की परेशानियों को देखते हुए बस की खेती गन्ने का एक अच्छा पर्याय हो सकती है इसलिए किसानों को इसकी खेती पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। बांस में और क्या चाहिए। बांस है, तो खास है।

देश के गन्ना किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है बांस की खेती। दरअसल, बांस की हिंदुस्तान में 60 से 70 प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें कांटा बांस की तार की बाड़ से भी कई गुना अच्छी बाड़ बनाई जा सकती है। तार की बाड़ कराने में किसान का बहुत पैसा खर्च होता है। कांटा बांस की बाड़ कराने से किसान की आय शुरू हो जाती है, जो हर साल अच्छी आमदनी देता है व जंगली जानवरों से फसल का भी बचाव होता है। बांस गन्ने व अन्य फसलों की अपेक्षा किसान की आमदनी बढ़ाने में सहायक होता है। इसे पैदा करने के बाद किसान बांस से थरमस, कप, गिलास, चम्मच, दोने, पत्तल, फर्नीचर आदि बनाकर अच्छी आमदनी भी कर सकते हैं। जिस खेत में किसान बांस की फसल करेंगे, उस खेत में कुछ समय बाद केंचुआ बहुत अधिक संख्या में पैदा हो जाता है। इससे हम गोबर व पत्ते डालकर वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाकर एक अच्छी आमदनी कर सकते हैं। जिस जमीन में हम ये काम करेंगे, वो जमीन केंचुए द्वारा ताकतवर बन जाएगी। बैम्बू बांस में किसी भी प्रकार की जहरीली दवाई लगाने की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि बांस की फसल में कोई रोग आता नही नहीं है। इस तरह हम बिना जहर की खेती करके भूमि व जलवायु को दूषित होने से बचा सकते हैं व आने वाली पीढ़ियों को हम अपने हाथों से जहरीला भोजन व पानी देने से बचा सकते हैं।

बांस की खेती में लाभ इसलिए दिखाई देता है, क्योंकि इसमें लागत जीरो है यानि बिल्कुल भी नहीं है। इसमें कोई भी खर्चा भी नहीं होता है और हर साल इसके पौधों की संख्या बढ़ती रहती है। जब आप 10 डंडे काटते हैं, तो कम से कम 20 से 30 डंडे यानि कल्ले ज्यादा निकलते हैं। इंडस्ट्री के लिए भी बांस की बहुत आवश्यकता है।। भविष्य में बेंच, बांस से कागज, गत्ता, कपड़ा, एथनोल, प्लाई, बोर्ड, टाइल्स, मकान, फैंसी उपकरण. किचन में इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं बन सकती हैं। इस तरह बांस से लगभग 15 सौ वस्तुएं बनाई जा सकती हैं। जिन क्षेत्रों में भूकंप के मामले सामने आते रहते हैं, उन क्षेत्रों में बांस के मकान का विशेष लाभ है।

पर्यावरण के लिहाज से भी बांस एक अद्भुत पौधा है। बांस अन्य सभी पौधों की अपेक्षा 35 फीसदी कार्बन डाइ आक्साइड ज्यादा ग्रहण करता है और करीब 35 फीसदी आक्सीजन ज्यादा देता है, जो आने वाले समय में जीवन जीने के लिए सबसे उपयोगी है। आज जिस प्रकार हर साल पेड़ कट रहे हैं और धरती पर गर्मी का प्रकोप बढ़ रहा है, उसे देखकर तो यही लगता है कि धरती पर मनुष्य ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रह पाएंगे। ये एक गंभीर समस्या है। हम प्रकृति से जल, हवा, अन्न, फल आदि ले तो रहे हैं, पर हम प्रकृति को दे क्या रहे हैं, केवल धुआं और प्रदूषण। अगर हम अपनी आने वाली पीढ़ियों को कुछ अच्छा देना चाहते हैं, तो बांस से अच्छा कुछ नहीं है। सबसे बड़ी बात है कि बांस की फसल करीब तीन सालों में कटने के लायक हो जाती है, लेकिन इसके बेत को डेढ़ से दो साल में भी उपयोग में लाया जा सकता है। बांस की फसल को एक बार लगा देने के बाद इसकी फसल से तीन पीढ़ियों को मुनाफा हो सकता है। इसकी फसल करीब 40 साल तक चलती रहती है।

हालांकि बांच की अच्छी फसल लेने के लिए मेहनत की जरूरत होती है। बांस की खेती से कई सालों तक तो बंपर कमाई होती ही है, लेकिन अगर हम एक एकड़ की बात करें, तो इससे 4 साल में 20 लाख रुपए से 40 लाख रुपए तक कमाए जा सकते हैं। हालांकि बांस की बिक्री के लिए व्यापारियों से संपर्क पहले से ही किसान कर लें और अच्छा बाजार तलाश लें। लेकिन अच्छी बात ये है कि अगर किसान को कोई बांस खरीदने वाला व्यापारी नहीं मिलता है, तो खुद का बांस से बनने वाली वस्तुओं का लघु उद्योग खोल सकता है, जिससे आमदनी बढ़ भी बढ़ जाएगी। बांस की एक और खासियत ये है कि इसकी फसल कहीं भी हो जाती है, सिर्फ रेत में इसकी खेती नहीं हो पाती।

पश्चिम उत्तर प्रदेश के जिले बिजनौर में स्थित तोमर एग्रीकल्चर के मालिक और अधिकृत डिस्ट्रीब्यूटर सुरजीत सिंह कहते हैं कि किसान भाई अपनी सामर्थ के अनुसार कुछ बांस के पौधे जरूर लगाएं, क्योंकि जिस क्षेत्र में बांस के पौधे ज्यादा लगे होते हैं, उस क्षेत्र में मनुष्य को सांस संबंधी रोग नहीं होते। अगर रोग है, तो बांस वाले क्षेत्र में रहने से वे रोग दूर हो जाएंगे। और जिस क्षेत्र में बांस के पौधे लगे होते हैं, वहां वर्षा भी ज्यादा होती है और उस जगह का वाटर लेवल भी बढ़ता रहता है। अगर हम कुछ बड़े क्षेत्र में बांस का बन लगा दें, तो आप आश्चर्यजनक परिणाम देखेंगे। जहां वाटर लेवल 80 या 100 फुट है वहां 25-30 फुट पर आ जाएगा। पश्चिम उत्तर प्रदेश में जलस्तर और गन्ना किसान की परेशानियों को देखते हुए बस की खेती गन्ने का एक अच्छा पर्याय हो सकती है इसलिए किसानों को इसकी खेती पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। बांस में और क्या चाहिए। बांस है, तो खास हैं।

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