- गत वर्षों में छात्र-छात्राओं की घटी संख्या, अफसर नहीं दिखा रहे गंभीरता
- छह माह के भीतर निर्माण कार्य को पूर्ण करने की कवायद शुरू
- जीआइसी परिसर में शिक्षा विभाग के आला अफसरों के दफ्तर
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शासन द्वारा वर्ष 2021 में प्रोजेक्ट अलंकार योजन के तहत जिले के चार राजकीय इंटर कालेजों को शामिल कर उन कालेजों के जर्जर भवन एवं जीर्णोंद्धार कार्य और साफ-सफाई के लिए कई करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। जिसकी पहली किस्त शासन ने डेढ़ साल पहले ही जारी कर थी। बावजूद इसके डेढ़ साल बीतने के बाद भी आज तक उक्त कालेजों में निर्माण कार्य पूर्ण नहीं हो सका है।
जहां, विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण जीर्णोंद्धार के नाम पर करोड़ों रुपये बंदरबाट कर लिया गया। इसके कारण जीआइसी परिसर में स्थित राजकीय इंटर कालेज में जीर्णोंद्धार बदहाल स्थिति में है। जिसका अंदाजा बद से बदतर स्थिति में पहुंच चुके जीआईसी परिसर को देखकर ही लगाया जा सकता है। इस ओर अफसरों का कोई ध्यान नहीं है। इसके चलते राजकीय इंटर कालेजों में पढ़ने वाले छात्रों का ग्राफ आए दिन घटता जा रहा है।
विभागीय कार्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार जीआइसी परिसर में स्थित राजकीय इंटर कालेज में जीर्णोंद्धार कराने लिए 1 करोड़ 55 लाख रुपये की धनराशि आवंटित हुई थी। जिसमें उत्तर प्रदेश राजकीय निगम द्वारा उक्त कालेज में दीवार, छत एंव फर्श की मरम्मत के लिए 1 करोड़ 7.40 लाख रुपये स्वीकृत हुए थे। वहीं, खिड़की दरवाजों की मरम्मत के लिए 11 लाख 17 हजार रुपये स्वीकृति हुए। साथ ही रंगाई-पुताई के कार्य के लिए 21 लाख 14 हजार रुपये से होनी थी।
वहीं, कालेज में स्थित शौचालय पेयजल आदि की मरम्मत के लिए 2 लाख 77 हजार रुपये और बाउंड्रीवाल एवं गेट की मरम्मत लिए 75 लाख रुपये उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लि. को भेजा गया था। लेकिन, कालेज परिसर की स्थिति को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभागीय अधिकारियों ने जनता की घाड़ी कमाई को बंदरबाट कर लिया। जिसके कारण डेढ़ साल बाद भी कालेज की स्थित बदहाल स्थिति में नजर आ रही है।
इसके अलावा राजकीय कन्या इंटर कालेज किठौर को 40 लाख 99 हजार रुपये, राजकीय कन्या इंटर कालेज हापुड़ को 47 लाख 62 हजार रुपये और राजकीय कन्या इंटर कालेज माधवपुरम को 21 लाख रुपये आवंटित हुए। इसके में शासन ने किठौर व मेरठ को करीब शत प्रतिशत धनराशि दे दी है। उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लि. के सहायक अभियंता प्रत्युशी सिंह ने दावा किया है कि डेढ़ साल पहले जीाआइसी कालेज के लिए 75 लाख रुपये मिले थे।
उक्त रकम के अनुसार कालेज में दीवार, छत, फर्श, टाइल्स, खिड़की, दरवाजे, रंगाई-पुताई वॉल पेंटिंग आदि में खर्च किया जा चुका है। इसमें करीब 27 लाख रुपये की जीएसटी बैठ रही है। बाकी, बची धनराशि में जल्द कार्य शुरू करा दिया जाएगा। बता दें कि द्वितीय किस्त बीते दिनों पहले शासन से विभाग को मिल गई थी।
शौचालय और पेयजल की व्यवस्था धड़ाम
विभागीय अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार कालेज में शौचालय व पेयजल की व्यवस्था को लेकर अवगत करा चुके हैं, लेकिन आज तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है। न ही संबंधित विभाग के अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान है। इस पर कालेज प्रशासन थक हारकर जीर्णोंद्धार की उम्मीद तोड़ दी है।
बीते कई सालों में छात्रों का गिरा ग्राफ
विभागीय सूत्रों की माने तो बीते कई साल पहले कालेज में कई हजार छात्र-छात्राएं अध्ययन करते थे, लेकिन वर्तमान में करीब एक हजार से कम छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है। जबकि, शासन प्रशासन की मंशा है कि गरीब व असहाय बच्चों गुणवत्तापूवर्क शिक्षा मुहैया कराई जाए, लेकिन स्थानीय विभागीय अधिकारी शासन की योजना को पलीता लगाते नजर आ रहे हैं।
जर्जर हालत में खिड़की और दरवाजे
खिची गई तस्वीर को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि कई वर्षों से कालेज परिसर में कोई जीर्णोंद्धार भी किया गया है। फिलहाल, अधिकारी मरम्मत करने का दावा कर रहे है। अधिकारियों व निर्माणा निगम पर कई सवाल खड़ेकर दिए है।
परिसर में शिक्षा विभाग के बड़े अफसरों के दफ्तर
बता दें कि बेसिक से लेकर माध्यमिक विद्यालयों के आला अफसरों के दफ्तर है। बावजूद इसके दफ्तर के अंदर गंदगी चारों ओर फैली हुई है। जबकि केंद्र सरकार स्वच्छ भारत मिशन के तहत कई बड़ी योजनाएं चला रही है। इसके बाद भी अफसर सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं।
कालेज में फैली भारी गंदगी
राजकीय इंटर कालेज में फैली अव्यवस्था को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि संबंधित विभाग के सभी दावे खोखले नजर आ रहे है। जहां आज भी कालेज परिसर में मिट्टी के ढेर के साथ गंदगी पसरी हुई है। साथ ही साथ खिड़की दरवाजों पर जंग लगा हुआ है और जर्जर हालत में है। ओर तो ओर कालेज परिसर में दीवार भी जर्जर हालत में है। वहीं पेड़ पौधों के बीच में लंबी झाड़ फूंस फैली हुई है। जहां जहरीले सांपों के पनपने का अंदेशा नजर आ रहा है।