जनवाणी ब्यूरो ।
UP News: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार को वृंदावन स्थित प्रसिद्ध श्री बांके बिहारी मंदिर से जुड़े एक मुकदमे में हस्तक्षेप को लेकर कड़ी फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने साफ शब्दों में कहा कि राज्य सरकार ने दो निजी पक्षों के बीच चल रहे विवाद को “हाईजैक” कर लिया है, जो कानून के शासन के लिए खतरनाक संकेत है।
क्या बोले न्यायमूर्ति?
न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने तीखी टिप्पणी करते हुए पूछा, “क्या राज्य कार्यवाही में पक्षकार था? किस हैसियत से सरकार ने निजी विवाद में हस्तक्षेप किया?” पीठ ने आगे कहा, “यदि सरकार इस तरह से निजी मुकदमों में दखल देने लगेगी, तो यह कानून के शासन का उल्लंघन होगा। आप इस तरह किसी मुकदमे को हाईजैक नहीं कर सकते।”
यह टिप्पणी उस वक्त आई जब अदालत मथुरा में स्थित श्री बांके बिहारी मंदिर के पुनर्विकास के लिए यूपी सरकार की योजना को मंजूरी देने वाले अपने आदेश में संशोधन की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिकाकर्ता ने उठाए गंभीर सवाल
याचिकाकर्ता देवेंद्र नाथ गोस्वामी की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि उन्हें पक्षकार बनाए बिना ही राज्य सरकार को मंदिर से संबंधित ₹300 करोड़ की राशि सौंप दी गई। उन्होंने पूछा, “आप एक अन्य याचिका में आदेश देकर कैसे निर्देश दे सकते हैं कि एक निजी मंदिर की कमाई राज्य को सौंप दी जाए?”
यूपी सरकार की सफाई
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि राज्य ने बांके बिहारी मंदिर के प्रबंधन और प्रस्तावित गलियारे के विकास की निगरानी के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पूरी धनराशि राज्य सरकार के पास नहीं, बल्कि उस ट्रस्ट के पास रहेगी।
इस दलील के बाद, पीठ ने सरकार की बात आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए यह निर्देश दिया कि मंदिर की आय का उपयोग केवल मंदिर के आसपास की 5 एकड़ भूमि खरीदने और एक होल्डिंग क्षेत्र विकसित करने के लिए किया जाएगा।
जानते हैं मामला क्यों है महत्वपूर्ण?
श्री बांके बिहारी मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि उससे जुड़ी आय और प्रबंधन का मामला लंबे समय से विवादों में रहा है। सुप्रीम कोर्ट का यह रुख एक महत्वपूर्ण नजीर पेश करता है कि सरकारें निजी धार्मिक संस्थाओं के मामलों में सीमित भूमिका ही निभा सकती हैं। अब सभी की नजरें अदालत की अगली सुनवाई और राज्य सरकार की औपचारिक प्रतिक्रिया पर टिकी हैं।