Sunday, April 13, 2025
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भुवनेश्वर में बीसीआई खोलेगा देश का पहला ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ’

जनवाणी ब्यूरो |

नई दिल्ली: कानूनी शिक्षकों और वकीलों को प्रशिक्षण देने के लिए देश में ‘इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ लॉ’ यानि ‘विधि शिक्षक अकादमी’ की स्थापना की जाएगी। बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) और कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी (केआइआइटी) के बीच हुए एमओयू के तहत कानून की पढ़ाई का यह उच्च संस्थान ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में बनाया जाएगा। देश में कानूनी शिक्षकों और वकीलों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण देने वाला देश का यह पहला संस्थान होगा।

विधि शिक्षकों और अधिवक्ताओं के कौशल विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए विधि के क्षेत्र में आज तक ऐसा कोई प्रशिक्षण संस्थान नहीं था। इससे पहले सिर्फ बीसीआई ट्रस्ट द्वारा 1986 में बंगलूरू में नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी नाम की स्थापना की गई थी।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन मनन कुमार मिश्र के अनुसार आईआईएल के माध्यम से युवा वकील और युवा विधि शिक्षकों के कौशल के विकास के लिए मौका दिया जाएगा और उन्हें आगे बढ़ाया जाएगा। इस संस्थान के बुनियादी ढांचे की लागत का 40 प्रतिशत खर्च कलिंगा इंस्टीट्यूट वहन करेगा। सिर्फ इतना ही नहीं इस संस्थान के निर्माण के लिए भी कीट संस्थान अपनी तरफ से भुवनेश्वर के पटिया में बहुमूल्य एवं उपयोगी भूमि प्रदान की है।

आईआईएल विधि शिक्षा के तहत प्रोफेशनल स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम, रिफ्रेशर कोर्स और लर्निंग कोर्स फॉर डिस्प्यूट रेजोल्यूशन से संबंधित नियमों एंव तरीकों के लिए विभिन्न कार्यक्रम का प्रबंधन एवं संचालन करेगा। यह न्यायिक और सामाजिक विकास के सभी पहलुओं में अनुसंधान करेगा और इसे प्रकाशित और प्रदर्शित भी करेगा।

आईआईएल के पहले चरण में पांच इकाइयां स्थापित की जाएंगी, वहीं इस संस्थान के प्रबंधन के लिए तीन निकायों का गठन भी किया जाएगा। बीसीआई संस्थान के प्रारंभिक तीन सालों तक सभी कार्यों का संचालन करेगी। इसके बाद देश के अन्य विधि विश्वविद्यालयों एवं अन्य पर्याप्त इंफ्रास्ट्रक्चर रखने वाले संस्थानों को भी आईआईएल की तर्ज पर पाठ्यक्रम प्रदान करने की अनुमति देगा। इस तरह विधि के उच्च स्तरीय प्रशिक्षण की सुविधा देश भर के कोने-कोने तक उपलब्ध कराई जाएगी।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया देश में विधि शिक्षा और विधि व्यवसाय को नियमित करने और विधि-शिक्षा के स्तर को बढ़ावा देने के कार्यों का निर्वहन करने के लिए अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत संसद द्वारा बनाई गई एक संवैधानिक संस्था है।

जाने-माने समाजसेवी और कंधमाल से सांसद अच्युत सामंत ने ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में विश्व स्तर के दो-दो विश्वविद्यालय, मेडिकल, इंजीनियरिंग, प्रबंधन, नर्सिंग, लॉ, कला और कई अन्य बड़े संस्थानों के संस्थापक हैं। डॉ. सामंत के द्वारा शुरु किए गए संस्थानों में लगभग 35,000 गरीब आदिवासी छात्र केजी से लेकर पीजी तक नि:शुल्क शिक्षा प्राप्त करते हैं। जहां पर उन्हें रहने के लिए आवास, खाना, कपड़ा आदि सभी सुविधाएं मुफ्त में दी जाती हैं।

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