जनवाणी ब्यूरो |
धामपुर: गुरुद्वारा श्री गुरु सिंह सभा में सिख कौम के महान शहीद भाई तारु सिंह जी का 300वां जन्मोत्सव श्रद्धापूर्वक मनाया गया। इस दौरान माता सुंदरी दल के जत्थे ने गुरुवाणी के अमोलक कीर्तन की विभिन्न प्रस्तुतियों से कार्यक्रम स्थल को गुरवाणीमय बना दिया।
कार्यक्रम में गुरमुख परिवार के दस वर्ष तक के उन सभी बच्चों को सम्मानित भी किया गया, जो दस्तार दुमाले व केशगी सजा कर गुरु घर में हाजिरी भरने के लिए आए थे, उन बच्चों को सम्मानित करते समय संगत ने बोले सो निहाल सत श्री अकाल तथा वाहेगुरु जी का खालसा वाहेगुरु जी की फतेह के जयकारों से वातावरण को गुंजा दिया।
गुरुद्वारा के दीवान हाल में एक अक्टूबर से चल भाई तारु सिंह जी के नौ दिवसीय कार्यक्रम की पूर्णता पारंपरिक प्रक्रिया के अनुसार नितनेम व पंजोबाणियोंं के पाठ आदि से की गई। कार्यक्रम में गुरुवाणी विचारों के माध्यम से संगत को लाभान्वित कराते हुए गुरु महाराज के वजीर एवं गुरुद्वारा के ग्रंथी ज्ञानी रघुवीर सिंह ने सिख कौम के महान शहीद भाई तारु सिंह जी के जीवन दर्शन पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भाई तारु सिंह जी ने अपने सिर के केसों की बेअदबी नहीं होने दी, जबकि अपनी खोपड़ी तक उतरवा दी।
उन्होंने गुरमुख परिवारों के सदस्यों से अपील की यदि वे भाई तारु सिंह जी को अपनी सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते हैं, तो बाल्यावस्था से ही वह अपने बच्चों में सिरों पर दस्तार सजाने की जागरूकता लाएं और उन्हें गुरु घर में नियमित रूप से हाजिरी भरने के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि बचपन के संस्कार ही बच्चों को आगे बढ़ाते हैं और संस्कृति व संस्कारों के प्रति उनमें चेतना जागृत करते हैं।
कार्यक्रम में गुरुद्वारा की प्रबंध समिति के अध्यक्ष सरदार सतवंत सिंह सलूजा व सचिव सरदार अमरजीत सिंह सिडाना ने भी गुरमुख परिवारों का आवाहन किया कि वह अपने बच्चों को पंजाबी भाषा के प्रति जागरूक बनाते हुए परिवारों में बोलचाल की भाषा में भी पंजाबी का उपयोग कराए जाने का संकल्प लें।
ताकि बच्चे अपनी मातृभाषा के प्रति जागरूक बने रहे नौ दिवसीय कार्यक्रम के ही अंतर्गत गुरु घर की संस्था माता सुंदरी दल के जत्थेदार ज्ञानी जसवीर सिंह खालसा ने भी अपने दल से संबंधित गुरु घर के अमृतधारी सेवकों व सेविकाओं के सहयोग से गुरुवाणी कीर्तन की विभिन्न प्रस्तुतियां दी और संगत से वाहेगुरु वाहेगुरु का सामूहिक उच्चारण भी कराया।
उन्होंने गुरमुख परिवारों से अपने बच्चों को गुरुओं के इतिहास एवं भाई तारु सिंह जी जैसे महान शहीदों की गाथाओं एवं जीवन दर्शन से संबंधित उच्च आदर्श सिद्धांतों व कार्य से परिचित कराने की बात कही। उन्होंने वाहेगुरु से सीधे जुड़ाव करने की बात कहते हुए बताया गुरुवाणी कीर्तन एवं विचार ही ऐसा सशक्त माध्यम है।
जिसके द्वारा वाहेगुरु की कृपा पात्रता ग्रहण की जा सकती है। कार्यक्रम में लगभग 14 बच्चों ने दस्तार दुमाले व केशगी सजा कर गुरु घर में हाजिरी भरी जिनको प्रबंध समिति की ओर से जयकारों के बीच सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की सफलता में गुरुद्वारा की प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष रविंद्र सिंह सिडाना, सह सचिव त्रिलोचन सिंह चावला, गुलशन राय छाबड़ा, एसपी सलूजा, सतपाल सिंह चावला, गुरप्रीत सिंह चावला, सरदार बलजीत सिंह गांधी जोगा आदि अनेक गुरमुख परिवारों का योगदान रहा।
प्रबंध समिति के संरक्षक सरदार प्रीतम सिंह कालड़ा, अमरजीत सिंह एडवोकेट, देवेंद्र सिंह सलूजा, तिलक राज जुनेजा, कुलदीप सिंह मोगा, गुरचरण सिंह चावला आदि के संरक्षण में आयोजित कार्यक्रम का समापन गुरु घर के सेवकों सरदार सुरजीत सिंह चावला सरदार बुध सिंह चावला तथा डा. अमरजीत सिंह चावला के परिवार की ओर से आयोजित मिष्ठान प्रसाद वितरण कार्यक्रम से किया गया।
गुरुद्वारा के सचिव सरदार अमरजीत सिंह सिडाणा नेता बताया कि आगामी 11 अक्टूबर को गुरु घर की संस्था बेबे नानकी दल का पांचवा स्थापना दिवस विभिन्न कार्यक्रमों के रूप में मनाया जाएगा।