- दो थानों की पुलिस पर उठ रहे हैं सवाल, पुलिस अपने ही खुलासे में फंसती आ रही है नजर
- भाकियू की मांग दोषी अधिकारियों पर हो बर्खास्त की कार्रवाई
- सही खुलासा न होने पर आंदोलन की चेतावनी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: लिसाड़ी गेट क्षेत्र समर गार्डन कालोनी,न्यू इस्लाम नगर निवासी आस मौहम्मद हत्याकांड में परतापुर पुलिस और थाना लिसाड़ी गेट पुलिस के फर्जीनामे की कहानी किसी से छुपी नहीं है। वहीं इस हत्याकांड से पर्दा उठाने और पुलिस का चेहरा उजागर करने के लिए भारतीय किसान यूनियन ने बीड़ा उठाया है। आस मौहम्मद की हत्या उसके दोस्तों ने की या उसकी मौत पुलिस कस्टडी में हुई।
यह सवाल अपने आप में बड़ा पेचीदा है। चूंकि एक तरफ परतापुर पुलिस का यह कहना कि रेलवे ट्रेक पर आस मौहम्मद का शव मिला, उसने खुदकुशी की थी। उसके बाद पुलिस अफसरों का यूटर्न लेना कि उसकी हत्या उसके दोस्तों ने की थी। पुलिस के लिए जी का जंजाल बन गया है। इस हत्या के सही रुप से खुलासे और दोषी पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई हो।
इसके लिए भारतीय किसान यूनियन मैदान में उतरी है। भाकियू ने हत्याकांड के खुलासे के लिए एसएसपी को ज्ञापन सौंपा है। सवाल ये है कि क्या एसएसपी से इस हत्याकांड की दुबारा से जांच करवायेंगे। अगर जांच सत्यता से हुई तो कई पुलिस अधिकारी से लेकर सिपाहियों को लोहे के सींखचों के पीछे जाना पड़ेगा।
भाकियू तोमर गुट बुधवार को पुलिस आॅफिस पर एसएसपी से मिलने पहुंचा। भाकियू ने लिसाड़Þी गेट क्षेत्र समर गार्डन निवासी आस मौहम्मद हत्याकांड के खुलासे के लिए एसएसपी रोहित सिंह सजवाण से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। उन्होंने कहा कि 18 सितम्बर को आस मौहम्मद को उसके दोस्त जावेद और राशिद घर से काम करने के लिए ले गये थे, लेकिन छह नवम्बर को परतापुर पुलिस ने परिजनों को बताया कि आस मौहम्मद का अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
भाकिूय के पदाधिकारियों ने कहा कि आस मौहम्मद को परतापुर पुलिस ने पहले बताया कि उसका शव रेलवे ट्रेक पर मिला था, लेकिन कु छ महीन बाद लिसाड़ी गेट पुलिस ने कहा कि उसकी हत्या उसके दोस्तों ने की थी। जिसमें पुलिस ने पांच लोगों को नामजद कर जेल भेज दिया था।
जबकि परतापुर पुलिस ने उसका अंतिम संस्कार मुस्लिम रीति-रिवाज से न करके उसका दाह संस्कार कर दिया। भाकि यू ने आस मौहम्मद हत्याकांड का सही रूप से खुलासा करने और दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की बात एसएसपी से कही है। भाकियू ने चेतावनी दी है कि अगर खुलासा नहीं हुआ तो आंदोलन होगा।
ये था पूरा मामला
18 सितम्बर 2022 वर्ष को सुबह आठ बजे दोस्त जावेद निवासी समर गार्डन जामा मस्जिद लिसाड़ी गेट, राशिद उर्फ बोगदा हरी मस्जिद पोदीना वाली मस्जिद फतेहल्लापुर के साथ घर से गया था। शाम तक घर नहीं आया तो परिजनों ने दोस्तो के यहां तलाश किया। लेकिन नहीं मिला। 19 सितम्बर को एक तहरीर परिजनों ने लिसाड़ी गेट पुलिस को दी। बीस तारीख को परतापुर पुलिस आस मौहम्मद के घर आई ओर कहने लगी कि आस मौहम्मद कहां है।
ये तीनों राशिद व जावेद परतापुर पर एक साथ मिल गये थे। जिसमें राशिद व जावेद को हमने पकड़ लिया है। लेकिन आस मौहम्मद वहां से भाग निकला। 25 सितम्बर लिसाड़ी गेट में परिजनों को राशिद उर्फ बोगदा मिला तो उसे पूछा कि आस मौहम्मद कहां है। उसने कहा कि वह तो मर चुका है। छह नवम्बर को परतापुर पुलिस ने बताया कि आस मौहम्मद का लावारिस हालत में दाह संस्कार 23 सितम्बर को कर दिया गया है।
उसकी लाश हमें 21 सितम्बर की सुबह रेलवे ट्रेक पर मिली थी। जबकि बीस सितम्बर की रात को परतापुर पुलिस आस मौहम्मद को उसके घर पर पूछने आई थी, लेकिन लिसाड़ी गेट पुलिस ने आखिर में अपने यहां एक हत्या का मुकदमा दर्ज करवाया और पांच लोगों पर केस खोल दिया, लेकिन आज भी परिजन यही कह रहे हैं कि परतापुर पुलिस ने अपनी यहां कस्टडी में उसकी हत्या की है।