- राजकुमारी सैनी, सुधीर सैनी व रुपेन्द्र सैनी का नाम चर्चाओं में
- टिकट को लेकर चल रही रस्साकशी, कौन होगा मुकद्दर का सिकंदर
जनवाणी संवाददाता |
मुजफ्फरनगर: खतौली विधायक विक्रम सैनी की विधानसभा सदस्यता खत्म होने के बाद रिक्त हुई खतौली विधानसभा पर उपचुनाव की घोषणा हो गई है। अब इस सीट पर भाजपा व गठबंधन के बीच चुनावी टक्कर होनी है, जिसमें भाजपा हाईकमान द्वारा प्रत्याशी की तलाश चल रही है। टिकट के दावेदारों में विक्रम सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रुपेन्द्र सैनी व सुधीर सैनी का नाम चर्चाओं में है। अब देखना यह है कि पार्टी हाईकमान किस पर विश्वास जताते हुए टिकट थमायेगा।
बता दें कि खतौली विधानसभा सीट पर भाजपा द्वारा सैनी प्रत्याशी को लड़ाये जाने का मन बनाया गया है। क्योंकि इस सीट पर भाजपा से विक्रम सैनी दो बार विधायक रहे हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा हाईकमान द्वारा विक्रम सैनी को अपना प्रत्याशी बनाया गया था, तो गठबंधन द्वारा भी सैनी समाज के ही राजपाल सैनी पर दांव लगाया गया था। इस बात को लेकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस बार फिर भाजपा हाईकमान सैनी समाज के प्रत्याशी पर दांव लगायेगा। अब देखना यह है कि सैनी समाज से कौन सा ऐसा प्रत्याशी होगा, जो किस्मत का सिकंदर बनेगा।
सूत्रों की माने तो संगठन का एक बड़ा तबका भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष रहे रुपेन्द्र सैनी को प्रत्याशी बनाये जाने पर सहमत है। क्योंकि रूपेन्द्र सैनी संघ से भी जुड़े रहे हैं और एक समय में बड़े-बड़े दिग्गजों को मात देकर वह जिलाध्यक्ष बनने में कामयाब हुए थे। दूसरी ओर सैनी समाज के ही सुधीर सैनी भी प्रत्याशी की लाइन में है। सुधीर सैनी को केन्द्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान का नजदीकी माना जाता है। बताया जाता है कि जब रूपेन्द्र सैनी भाजपा जिलाध्यक्ष थे, तो डा. संजीव बालियान के सहयोग से ही सुधीर सैनी उनके स्थान पर जिलाध्यक्ष बनने में सफल रहे थे।
पार्टी सूत्रों की माने तो सुधीर सैनी को प्रत्याशी बनाये जाने के लिए संजीव बालियान भी सिफारिश कर रहे हैं। बता दें कि सुधीर सैनी पूर्व में भी इस विधानसभा से चुनाव लड़ चुके हैं। यह बात और है कि वह रालोद प्रत्याशी करतार सिंह भड़ाना से चुनाव हार गये थे। इसके अलावा इस विधानसभा सीट पर दो बार विधायक बनने में कामयाब रहे विक्रम सैनी के परिवार से भी प्रत्याशी बनाये जाने की मांग उठ रही है।
खतौली विधानसभी क्षेत्र के लोगों द्वारा मांग की जा रही है कि विक्रम सैनी इस विधानसभी सीट पर विधायक थे और उनकी विधानसभी सदस्यता खत्म होने पर अब उनके परिवार का ही हक बनता है। ऐसे में या तो उनकी पत्नी राजकुमारी सैनी को प्रत्याशी बनाया जाये या फिर उनके पुत्र प्रभात सैनी को टिकट दिया जाये।
बता दें कि भाजपा में आरएसएस टिकट वितरण में अहम भूमिका निभाती है। ऐसे में रुपेन्द्र सैनी की आरएसएस में मजबूत पकड़ और संगठन के एक बड़े धड़े द्वारा उनकी पैरवी किया जाना इस बात का संकेत है कि इस बार विधानसभा चुनाव में रूपेन्द्र सैनी भाजपा के प्रत्याशी हो सकते है। हालांकि उनके प्रत्याशी बनाये जाने पर भाजपा का एक वर्ग खुश नहीं है और उनके प्रत्याशी बनाये जाने का पुरजोर विरोध कर रहा है।
परिवारवाद के खिलाफ रही है भाजपा
एक ओर जहां सभी राजनीतिक पार्टियों में परिवारवाद को बढ़ावा दिया जाता है, वहीं भाजपा एक ऐसी पार्टी है जो हमेशा परिवारवाद के खिलाफ रही है। भाजपा द्वारा किसी पद को दिये जाने से पहले उसके संगठन के प्रतिनिष्ठा व वफादारी को देखा जाता है। सिर्फ ऐसे मामलो में नेता की मृत्यु के बाद सहानुभूति के तौर पर परिवार के सदस्य को टिकट दिया जाता है। फिलहाल जो नाम खतौली विधानसभा सीट के लिए चर्चाओं में है, उनमें सुधीर सैनी व रूपेन्द्र सैनी ऐसे दावेदार हैं, जो संगठन से जुड़े रहे हैं और इन दोनों को ही टिकट वितरण के लिए प्राथमिकता मिलने की संभावना अधिक है।
दूसरी ओर सूत्रों की माने तो विक्रम सैनी की पत्नी अभी तक संगठन की सदस्य भी नहीं है और एक वर्ग द्वारा विक्रम सैनी व उसके परिवार के सदस्यों की खुलकर मुखालफत की जा रही है। 2022 के विधानसभा के चुनाव की बात करे तो प्रचार के दौरान भी कई गांवों में विक्रम सैनी को विरोध का सामना करना पड़ा था। यह बात और थी कि किस्मत के चलते एक बार फिर वह इस सीट को निकालने में कामयाब रहे थे, जिसे वें ज्यादा दिन तक बचाकर नहीं रख पाये।