प्रतिवर्ष 20 नवम्बर को दुनियाभर में बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार करने, बच्चों की समस्याओं को हल करने, बच्चों के बीच जागरूकता तथा बच्चों के कल्याण के लिए काम करने और अंतर्राष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस’ मनाया जाता है। यह दिवस बच्चों के अधिकारों की वकालत करने और उन्हें बढ़ावा देने के लिए प्रेरित करता है। इस वर्ष अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस का विषय है ‘प्रत्येक बच्चे के लिए, प्रत्येक अधिकार’, जो यह सुनिश्चित करने के महत्व पर जोर देता है कि सभी बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, सुरक्षा और सुरक्षित वातावरण सहित उनके मौलिक अधिकारों तक पहुंच हो। यह एक ऐसी दुनिया बनाने के लिए सामूहिक कार्रवाई का आह्वान करता है, जहां प्रत्येक बच्चा फल-फूल सके और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सके। व्यस्कों से अलग बच्चों के अधिकारों को ‘बाल अधिकार’ कहा जाता है। सही मायनों में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बाल दिवस की शुरूआत किए जाने का मूल उद्देश्य बच्चों की जरूरतों को पहचानना, उनके अधिकारों की रक्षा करना और उनके शोषण को रोकना है ताकि बच्चों का समुचित विकास हो सके।
भारतीय संविधान में भी बच्चों के कई अधिकार निर्धारित हैं। हमारे संविधान के अनुसार प्रत्येक बच्चे को जिंदा रहने का मौलिक अधिकार है और इसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य पर है। हर राज्य की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह बच्चों को किसी भी तरह के भेदभाव से बचाए और उनके अधिकारों को बढ़ाने के लिए उचित कदम उठाए। बच्चे को उच्चतम स्वास्थ्य एवं चिकित्सा सुविधा पाने का अधिकार है। राज्य का यह कर्त्तव्य है कि वह बच्चे के लिए प्राथमिक स्तर की शिक्षा नि:शुल्क व अनिवार्य करे। प्रत्येक बच्चे को अच्छा जीवन स्तर पाने का अधिकार है। अक्षम बच्चे को विशेष देखभाल, शिक्षा, प्रशिक्षण पाने का अधिकार है। बच्चे को नशीली दवाओं, मादक पदार्थों के उपयोग से बचाए जाने का अधिकार है। राज्य का यह कर्त्तव्य है वह बच्चों को हर तरह के दुर्व्यवहार से बचाए। समाज के अनाथ बच्चों को सुरक्षा पाने का अधिकार है, बच्चों को ऐसे कार्यों से बचाए जाने का अधिकार है, जो उसके स्वास्थ्य, शिक्षा, विकास को हानि पहुंचाएं। किसी बच्चे को बेचना, अपहरण करना या जबरन काम करवाना कानूनी अपराध है, राज्य की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि वह बच्चे को इससे बचाए। राज्य की यह भी जिम्मेदारी है कि वह बच्चों को यौन अत्याचारों, वेश्यावृत्ति आदि से बचाए।
अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस मनाने की शुरुआत वैसे तो संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 1954 में की गई थी लेकिन वास्तव में यह दिवस वर्ष 1857 में जून के दूसरे रविवार को चेल्सी (मैसाचुसेट्स) में यूनिवर्सल आॅफ द रिडीमर के पादरी रेवरेंड डा. चार्ल्स लियोनार्ड ने शुरू किया था। लियोनार्ड ने बच्चों के लिए और उनके लिए समर्पित एक विशेष सेवा का आयोजन किया था, जिसे ‘रोज डे’ का नाम दिया था, कुछ समय बाद इसे ‘फ्लावर संडे’ नाम दिया गया और बाद में इसका नाम ‘चिल्ड्रन्स डे’ कर दिया गया। आधिकारिक तौर पर बाल दिवस पर पहली बार 1920 में तुर्की गणराज्य द्वारा 23 अप्रैल की निर्धारित तिथि के साथ राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया था। 1920 से तुर्की सरकार और उस समय के समाचारपत्रों ने बाल दिवस को बच्चों के लिए एक दिन घोषित करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर मनाया। हालांकि इसकी अधिकारिक घोषणा 1929 में तुर्की गणराज्य के राष्ट्रपति मुस्तफा केमल अतातुर्क द्वारा की गई थी। बाल दिवस मनाए जाने की शुरुआत वैसे तो 1920 के दशक में ही हो गई थी लेकिन वैश्विक रूप में देखें तो दुनियाभर में इसे मान्यता 1953 में मिली। 20 नवम्बर को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस के रूप में मनाए जाने का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि 20 नवम्बर 1959 को संयुक्त राष्ट्र की आमसभा ने बाल अधिकारों की घोषणा की थी। जीवन जीने का अधिकार, संरक्षण का अधिकार, सहभागिता का अधिकार और विकास का अधिकार, बाल अधिकारों को इन चार अलग-अलग भागों में विभाजित किया गया है। 20 नवम्बर 1989 को बच्चों के अधिकारों के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसे 191 देशों द्वारा पारित किया गया। बाल दिवस मनाए जाने को लेकर दिलचस्प तथ्य यह है कि भले ही अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस 20 नवम्बर को मनाया जाता है लेकिन विश्व के अनेक देशों में इसे मनाने की तारीखें अलग-अलग हैं। जनवरी माह से लेकर दिसम्बर तक हर माह किसी न किसी देश में बाल दिवस का आयोजन होता है। माना जाता है कि सबसे पहले बाल दिवस तुर्की में मनाया गया था। दुनियाभर में 191 देशों द्वारा बाल दिवस मनाया जाता है, जिनमें से करीब चार दर्जन देश 20 नवम्बर को यह दिवस मनाते हैं जबकि अन्य देश अपने हिसाब से अन्य तिथियों पर।
भले ही अपनी-अपनी सहूलियत के आधार पर विभिन्न देशों द्वारा अलग-अलग तारीखों पर बाल दिवस मनाया जाता है लेकिन हर जगह बाल दिवस मनाए जाने का मूल उद्देश्य यही है कि इसके जरिये लोगों को बच्चों के अधिकारों तथा सुरक्षा के लिए जागरूक किया जा सके। दुनियाभर में बाल दिवस के माध्यम से लोगों को बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा, बाल मजदूरी इत्यादि बच्चों के अधिकारों के प्रति जगरूक करने का प्रयास किया जाता है। कुछ रिपोर्टों के अनुसार भारत में सबसे ज्यादा बच्चे भीख मांगते हैं और यौन शोषण के शिकार होते हैं। अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस सही मायनों में विश्वभर में बच्चों के अधिकारों के प्रति एकजुटता को बढ़ावा देने का समय है।