जनवाणी संवाददाता |
हस्तिनापुर: महाभारत कालीन तीर्थ नगरी में दर्जनों ऐसे सरकारी भवन हैं जो बनकर तो सालों पूर्व तैयार हो गये, लेकिन उपयोग में आजतक नहीं लाये गये। करोड़ों के भवन धीरे-धीरे जर्जर हाल हो गये हैं, लेकिन भवनों को जिस उद्देश्य से बनाया गया वो आज तक पूरा नहीं हुआ।
इन भवनों के निर्माण में सरकार ने करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया, लेकिन उपयोगिता व उद्देश्य की पूर्ति नहीं हो सकी। हस्तिनापुर में ऐसे एक-दो नहीं दर्जनों उदाहरण है, लेकिन कोई इनकी सुध लेने को तैयार नहीं है।
स्वामी कल्याण देव कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि प्रक्षेत्र फार्म परिसर में कृषि विशेषज्ञों के लिए वर्ष 2006 में ग्रामीण अभियंत्रण परियोजना के तहर कृषि विज्ञान केंद्र हस्तिनापुर के कृषि रिसर्च फार्म में आवासीय कालोनी का शिलान्यास किया। जिसमें कृषि वैज्ञानिकों, केंद्र प्रभारी के साथ अन्य कर्मचारियों के लिए आवासीय क्वार्टर बनाएं गय थे। कृषि वैज्ञानिकों के लिए बनाई गई कालोनी को तमाम सुविधाओं से लैस किया गया, लेकिन एक दशक से भी अधिक समय बीतने के बाद भी उपयोग नहीं हुई।
वहीं, इस संबंध में कृषि विज्ञान केंद्र प्रभारी ओमवीर सिंह का कहना है कि आवासों में विद्युत आपूर्ति तो हो चुकी है, लेकिन आवास रहने योग्य नहीं है। आवासों में हैवी मेटेनेंस की आवश्यकता है। आवासों के अधिकांश दरवाजे और खिड़कियां टूटी पड़ी है।
कृषि प्रधान देश में खेतीबाड़ी में माहिर अधिकारी 24 घंटे इन आवासों में रहेंगे तो क्षेत्र के किसानों को बेहतर सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हो जायेगी। इसी उद्देश्य से सरकार ने परिसर में रिसर्च फार्म, किसानों के रहने के लिए छात्रावास, प्रदर्शनी इकाई आदि का निर्माण कराया। वर्ष 2009 में केंद्र आवासीय कालोनी केंद्र को हैंडओवर कर दी गई, लेकिन सरकार की मनसा आज तक भी अधूरी ही नजर आ रही है।
बिन उपयोग जर्जर हाल हो गई कालोनी
वर्तमान में आवासों में कृषि वैज्ञानिक तो नजर नहीं आ रहे हैं। गंदगी के ढेर और ताले नजर आ रहे हैं। बकौल, कालोनी का हाल जो भी हो, लेकिन कर्मचारियों की मिलीभगत के कारण आवास भूसे का गोदाम जरूर बन गए हैं। किसान आवास और प्रदर्शनी इकाई भवन पर भी ताले लटकें हुए है।
विभाग की लापरवाही कहे या वैज्ञानिकों के आवासों में न रहने की, जो आवास विभाग को वर्ष 2009 में हैंडओवर किये गये उनमें लगभग एक दशक बीतने के बाद भी विद्युत लाइन का कार्य पूरा नहीं हुआ।
भूत बंगला बना करोड़ों का छात्रावास
ग्रामीण क्षेत्र में बालिकाओं की शिक्षा को बढ़ावा दिये जाने के उद्देश्य से 2015 में सपा सरकार ने अपने कार्यकाल में कस्बे में स्थित राजकीय बालिका इंटर कालेज में बालिका छात्रावास का निर्माण कराया था। पांच साल से भी अधिक का समय बीत गया, लेकिन आजतक छात्रावास में बालिकाओं का रहना तो दूर की बात, आजतक बालिका छात्रावास को हैंडओवर नहीं हुआ। करोड़ों रुपये के लागत से बने छात्रावास की हालत आज किसी भूत बंगले से कम नजर नहीं आ रही है।
यह तो मात्र दो हालही में बने दो जगहों को सरकारी भवनों का हाल है। जहां सरकार ने आम जनमानस का सुविधाएं देने के लिए करोड़ों रुपये खर्च कर सरकारी भवनों का निर्माण कराया, लेकिन ये सरकारी इमारत कागजों से निकलकर धरातल पर तैयार तो हो गई, लेकिन आज भी वीरान है। ऐतिहासिक धर्मनगरी में कई अन्य और भी इमारत ऐसे हैं जो धरातल पर खड़ी तो हो गई, लेकिन विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के कारण आज तक सुनी पड़ी है।