Sunday, June 30, 2024
- Advertisement -
Homeसंवादपिजरे के पंछी

पिजरे के पंछी

- Advertisement -

 

SAMVAD


चंद्र प्रकाश के चार साल के बेटे को पंछियों से बेहद प्यार था। वह अपनी जान तक न्योछावर करने को तैयार रहता। ये सभी पंछी उसके घर के आंगन में जब कभी आते तो वह उनसे भरपूर खेलता। उन्हें जी भर कर दाने खिलाता। पेट भर कर जब पंछी उड़ते तो उसे बहुत अच्छा लगता। एक दिन बेटे ने अपने पिता जी से अपने मन की एक इच्छा प्रकट की।पिता जी, क्या चिड़िया, तोता और कबूतर की तरह मैं नहीं उड़ सकता? नहीं। पिता जी ने पुत्र को पुचकारते हुए कहा। क्यों नहीं? क्यों कि बेटे, आपके पंख नहीं हैं। पिता जी, क्या चिड़िया, तोता और कबूतर मेरे साथ नहीं रह सकते हैं? क्या शाम को मैं उनके साथ खेल नहीं सकता हूं? क्यों नहीं बेटे? हम आज ही आपके लिए चिड़िया, तोता औ कबूतर ले आएंगे। जब जी चाहे उनसे खेलना। हमारा बेटा हमसे कोई चीज मांगे और हम नहीं लाएँ, ऐसा कैसे हो सकता है? शाम को जब चन्द्र प्रकाश घर लौटे तो उनके हाथों में तीन पिंजरे थे -चिड़िया, तोता और कबूतर के। तीनों पंछियों को पिंजरों में दुबके पड़े देखकर पुत्र खुश न हो सका। बोला-पिता जी, ये इतने उदास क्यों हैं? बेटे, अभी ये नए-नए मेहमान हैं। एक-दो दिन में जब ये आप से घुल मिल जाएंगे। चन्द्र प्रकाश ने बेटे को तसल्ली देते हुए कहा। दूसरे दिन जब चन्द्र प्रकाश काम से लौटे तो पिंजरों को खाली देखकर बड़ा हैरान हुए। उन्होंने पत्नी से पूछा-ये चिड़िया, तोता और कबूतर कहां गायब हो गए हैं? अपने लाडले बेटे से पूछिए। पत्नी ने उत्तर दिया। चन्द्र प्रकाश ने पुत्र से पूछा-बेटे, ये चिड़िया, तोता और कबूतर कहां हैं? पिता जी, पिंजरों में बंद मैं उन्हें देख नहीं सका। मैंने उन्हें उड़ा दिया है। अपनी भोली जबान में जवाब देकर बेटा बाहर आंगन में आकर आकाश में लौटते हुए पंछियों को देखने लगा। सच है सच्ची खुशी जिन्हें हम प्यार करते हैं उनको खुश देखने में है। उन्हें बांधकर अपने सामने रखने में नहीं।


janwani address 9

What’s your Reaction?
+1
0
+1
1
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Recent Comments