Monday, July 1, 2024
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कैंसर: धारणाएं और सत्य

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कैंसर एक भयावह रोग है। इसके नाम से ही डर लगता है। आधुनिक समय में शुरूआती दौर के कैंसर का इलाज संभव है। स्टेज 2 का इलाज भी संभव है। जब कैंसर का पता लास्ट स्टेज पर लगता है, तब इलाज मुश्किल हो जाता है। शुरुआती दौर का कैंसर दवाइयों व रेडियोथेरपी से किया जाता है, जिससे सेहतमंद सेल्स को नुकसान न पहुंचे, बस खराब सेल्स ही खत्म हों। पहले कैंसर का इलाज होता तो था पर तकलीफदेह होता था। रोगी जल्दी हिम्मत हार जाता था पर अब आधुनिक तकनीकों की बदौलत इलाज जल्दी और आसान हो गया है। जिस कैंसर का इलाज अधिक मुमकिन नहीं है, वे भी इलाज द्वारा कुछ बेहतर जिंदगी गुजार रहे हैं।

जानिए कुछ धारणाएं जो सत्य नहीं हैं

परिवार में किसी को कैंसर नहीं है तो मुझे होने का खतरा नहीं: कैंसर शत प्रतिशत आनुवंशिक नहीं है। 5 से 1० प्रतिशत मामले आनुवंशिक होते हैं। कैंसर के अन्य कई कारण हैं जो कैंसर होने के दोषी हैं जैसे तंबाकू का अति सेवन, रेडिएशन, किसी विशेष कैमिकल के संपर्क में आने से, गलत लाइफ स्टाइल आदि।

यह एक भ्रम है कि परिवार में किसी को कैंसर है तो मुझे भी होगा या परिवार में किसी को अब तक कैंसर नहीं हुआ तो मुझे भी नहीं होगा। हां, यह है कि परिवार में अगर किसी को है तो आपको जांच करवाते रहना चाहिए ताकि अपना बचाव कर सकें। ठीक लाइफ स्टाइल से भी हम स्वयं को सुरक्षित रख सकते हैं।

अधिक मीठा खाने से कैंसर होने का भ्रम: कुछ लोगों का मानना है कि मीठा अधिक खाने से कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। यह एक भ्रम है। शरीर के सभी सेल्स को ग्लूकोज की आवश्यकता होती है फिर चाहे सेल्स खराब हों या ठीक। ऐसा बिल्कुल नहीं है कि मीठा खाने से कैंसर बढ़ता है या न खाने से कैंसर नहीं होता। वैसे मीठा सीमित मात्र में लेना ही ठीक होता है। अधिक मीठा वजन बढ़ाता है।

सर्जरी से फैलता है कैंसर: यह भ्रम है कि सर्जरी कराने से कैंसर ठीक होने के स्थान पर फैलता है, कैंसर इलाज से नहीं, उचित इलाज न होने से फैलता है।

डियोडरेंट से कैंसर का खतरा: अभी तक कोई भी ठोस सबूत नहीं मिला है कि डियोडरेंट के प्रयोग से कैंसर का खतरा होता है। डियोडरेंट में पैराबेन की मौजूदगी तो होती है पर अब तक किसी भी रिसर्च में यह नहीं कहा गया कि डियोडरेंट कैंसर का कारण है।

क्या टेल्कम पाउडर भी कैंसर का कारण है: टेल्कम पाउडर के प्रयोग के बारे में शोधकर्ताओं का मिला जुला मानना है पर यह कहीं भी यह साफ नहीं हुआ कि कैंसर का कारण टेल्कम पाउडर है। थोड़ा ओवरी कैंसर के खतरे को जरूर बढ़ाता है टेलकम पाउडर। जिन्हें लगता है कि टेल्कम पाउडर से खतरा है, वे इसका प्रयोग न करें।

हेयर डाई भी है वजह कैंसर की: अभी तक इस बारे में भी कोई स्पष्ट परिणाम नहीं मिले हैं कि हेयर डाई कैंसर की वजह हो सकती है। पहले की डाई में कुछ खतरनाक कैमिकल्स होते थे जो रिस्क बढ़ाते थे पर अब उस तरह के कैमिकल्स डाई में नहीं होते । हेयर डाई से स्किन एलर्जी होने का खतरा रहता है, इसलिए इसे बार बार चेंज न करें और फर्स्ट टाइम लगाने से पूर्व थोड़ी मात्र में लगाकर एलर्जी की जांच कर लें। अलग अलग डाई को मिक्स कर न लगाएं। ब्रांडेड डाई प्रयोग में लाएं।

तंबाकू मुंह के कैंसर के लिए खतरनाक होता है पर इससे होने वाले कैंसर को काफी हद तक रोका जा सकता है। हमारे देश में जागरूकता की कमी के कारण मुंह का कैंसर अधिक कामन है। पान मसाला भी कैंसर होने के खतरे को बढ़ावा देता है। एक सर्वे के मुताबिक युवा लोग भी पान मसाले की लत के कारण कैंसर की गिरफ्त में आ रहे हैं। पान मसाले में स्वाद और सुगंध को बढ़ाने के लिए कई ऐसी चीजें मिलाई जाती हैं जो मुंह की नाजुक स्किन को नुकसान पहुंचाती हैं। मुंह के कैंसर का अगर समय रहते इलाज न कराया जाए तो यह शरीर के दूसरे भागों में फैलकर जानलेवा सिद्ध हो सकता है।

कैंसर से बचाव ऐसे करें

  • घरेलू काम के साथ-साथ कुछ व्यायाम अवश्य करना चाहिए।
  • वजन पर नियंत्रण रखें।
  • हाई कैलरी फूड और हर तरह के ड्रिंक्स से परहेज करें। अपना लाइफ स्टाइल सक्रि य रखें।
  • बचपन से ही बच्चों को खेलकूद में भाग लेने के लिए प्रेरित करें ताकि आगे भी वे एक्टिव बने रहें।
  • वयस्क को प्रतिदिन 20 मिनट से 30 मिनट तक शारीरिक व्यायाम के लिए निकालने चाहिए।
  • लंबे समय तक टीवी देखने, कंप्यूटर या फोन से चिपके रहने की आदत में सुधार लाएं।
  • शाकाहारी भोजन करें। पौष्टिक आहार को अपने भोजन में स्थान दें।
  • रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट का सेवन कम से कम करें।
  • प्रतिदिन सब्जियां और फल अवश्य खाएं।
  • पालिश्ड दालों, फलों ओर अनाज से बचें। दालें, सब्जियां, फल अच्छी तरह धो पोंछ कर खाएं।
  • धूम्रपान, पान मसाला या तंबाकू का सेवन किसी भी रूप में न करे।
  • मदिरा पान भी कम से कम करें।
  • 10 से 25 साल की उम्र की लड़कियों को सर्वाइकल कैंसर के तीन टीके लगवाएं।
  • 40 साल के बाद महिलाओं को मेमोग्राफी दो साल में एक बार जरूर करानी चाहिए।
  • हेपेटाइटिस सी का वैक्सीन भी लगवाएं।
  • पेप स्मीअर टेस्ट भी कराते रहें।
  • ब्रेस्ट की जाच स्वयं करते रहें।

नीतू गुप्ता


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