- छलक रहा कैंटवासियों का सब्र, कहीं आंदोलन में न बदल जाये, भाजपा को पड़ सकता है भारी
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: नगर निगम में जाने के लॉलीपोप के फेर में कैंट क्षेत्र की सिविल आबादी की उम्मीदें संसद में दुबारा लटके कैंटोनमेंट बिल 2022 के साथ ही अधर में लटक गई हैं। भाजपा ने नगर निगम में दिए जाने पर अच्छे दिन की उम्मीद लगाए क्षेत्र की जनता फिलहाल बुरे दौर से गुजर रही हैं। लंबे समय से म्यूटेशन केस लंबे समय से लटके हैं, जिसकी कोई सुनवाई नहीं हो रही हैं। आखिर कब होगी सुनवाई?
कैंट की संपत्तियों के नाम परिवर्तन अर्थात म्यूटेशन के केस एक लंबे समय से लटके पड़े हैं और इस बारे में कोई सुनवाई करने वाला भी नहीं है। कैंट कर्मचारी बोर्ड न होने का हवाला देकर जनता को टरका रहे हैं। हालांकि इस विषय में अब आॅनलाइन आवेदन की प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है, लेकिन पिछले आवेदन जो हजारों की संख्या में लटके पड़े हैं,
उन पर कोई कार्य न होने से जनता परेशान है, जिनमें बहुत से केस की फाइल तो पूर्ण रूप से तैयार हैं, लेकिन फिर भी बोर्ड अधिकारियों की तानाशाही के चलते अब तक हुए स्पेशल बोर्डों में उन्हें नहीं रखा गया। चर्चा है कि म्यूटेशन केस लगाने पर भी मोटी उगाही के चक्कर में बोर्ड कर्मचारी लगे हुए हैं, लेकिन परेशान जनता की कोई नहीं सुन रहा।
सफाई व्यवस्था बेपटरी
पिछले वर्ष स्वच्छ भारत मिशन में देश की छावनियों में द्वितीय पायदान पर रहे मेरठ कैंट की हालत अगर आज कोई देखे तो केंद्र सरकार से अवश्य पूछे के इस कैंट को स्वच्छ कैसे मान लिया गया? नाले ओवर फ्लो हैं, जिस कारण गंदा पानी बाहर बह रहा है और सफाई कर्मचारी सफाई न करके मकानों की छोटी-मोटी रिपेयर करवा रहे। गरीबों से अवैध उगाही करने में लगे हुए हैं।
सीईओ की दिक्कत
बोर्ड के नए सीईओ कैंट बोर्ड में व्याप्त भ्रष्टाचार के चलते हर विषय को ध्यान से देखकर निर्णय लेने की प्रक्रिया में हैं और कैंट बोर्ड कर्मचारियों की अंदरूनी राजनीति भी अभी समझने में लगे हैं, जिस कारण उन्हें समय लग रहा है।
जर्जर भवनों को कोई नोटिस नहीं
क्षेत्र में बहुत से भवन ऐसे हैं, जो बिलकुल ही जर्जर अवस्था में है और भारी बारिश से भरभराकर कभी भी गिर सकते हैं। इस मानसून में अभी तक अच्छी बारिश नहीं हुई है,
लेकिन ऐसे संदिग्ध भवनों के उपयोगियों को कोई नोटिस कैंट बोर्ड द्वारा नहीं दिया गया है और न ही ऐसे भवनों की कोई सूची जिलाधिकारी के ही पास है।
खस्ताहाल सड़कें दे रही दुर्घटना को न्योता
माल रोड को छोड़कर कैंट के सिविल एरिया की कोई सड़क सही हालत में नहीं है और दुर्घटनाओं को न्योता दे रही है। सड़कों की उधड़ी बजरी से कई दोपहिया वाहन फिसलकर दुर्घटना का कारण बन रहे हैं। आर्मी अधिकारियों के आवागमन के चलते केवल माल रोड पर ही विशेष फोकस किया जाता हैं, मगर वर्तमान में माल रोड भी बदहाल है।
भाजपा के प्रति बढ़ा आक्रोश
कैंट क्षेत्र की गंदगी निष्क्रियता और भ्रष्टाचार से त्रस्त क्षेत्र की जनता का आक्रोश भाजपा को बहुत भारी पड़ सकता है। जनता के काम न होने से लोगों में आक्रोश बढ़ता ही जा रहा है।
जनता में पनप रहा आक्रोश
कैंट बोर्ड की पिछले कुछ समय की निष्क्रियता के चलते कैंट क्षेत्र की जनता एक बोर्ड बिन नारकीय जीवन जीने को मजबूर है। बोर्ड निर्वाचित होता तो हंगामा और मुद्दे उठते रहते थे। अब वैसा नहीं हैं। मानसून सत्र निकल गया और नया बिल अटक गया। जनता को उम्मीद थी कि शायद 15 अगस्त को प्रधानमंत्री कोई घोषणा करेंगे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। कैंट कर्मियों की निष्क्रियता के चलते दिक्कतों का सामना कर रही कैंट की जनता का आक्रोश चरम पर है।
अव्यवस्थित हुए सब्जी बिक्री के स्थान
सदर और लालकुर्ती में सब्जी बिक्री के स्थान कैंट के राजस्व विभाग की उगाही नीति के चलते अव्यवस्थित हो रहे हैं, जिनकी कोई सुध नहीं ली जा रही है। लालकुर्ती में तो इन सब्जी विक्रेताओं को बोर्ड द्वारा जगह भी आवंटित की गई थी
और तत्कालीन सीईओ डीएन यादव ने यहां जबरदस्त अतिक्रमण अभियान भी चलाया था, लेकिन अब अतिक्रमण भी वापस हो गया और मेन सड़क पर ठेले भी लगने शुरू हो गए हैं, लेकिन उगाही नीति के चलते कैंट बोर्ड का राजस्व विभाग और पुलिस दोनों खामोश हैं और जनता जाम से हलकान हैं।