- कैंट क्षेत्र में बंद पड़े हैं कई फव्वारे, नहीं है कोई पुरसाहाल
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कैंट बोर्ड क्षेत्र में विकास कार्य नहीं हो पा रहे हैं। जब टोल वसूला जा रहा था, तब भी सड़कें खराब थी और वर्तमान में भी। पार्कों की हालत खराब हैं। फव्वारे भी क्षतिग्रस्त हैं। ये लंबे समय से खराब चल रहे हैं, तब टोल वसूली भी व्यापक स्तर पर हो रही थी, लेकिन कैंट बोर्ड के अधिकारी विकास के सवाल पर लापरवाह बने हुए हैं।
जनप्रतिनिधि भी कोई आवाज नहीं उठा रहे हैं, जिसके चलते लंबे समय से पार्क खराब हैं। फव्वारों का कोई पुरसाहाल नहीं हैं। कैंट बोर्ड के अधिकारी इसके लिए बजट क्यों नहीं बना पा रहे हैं। आखिर कौन है? इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार? टोल वसूली खत्म करने से तो जनता को राहत मिली। क्योंकि लंबे समय से कैंट क्षेत्र से टोल वसूली हटाने की मांग की जा रही थी।
स्वच्छता सर्वेक्षण की दौड़ में भले ही मेरठ कैंट बोर्ड ने दूसरी रैंक पा ली हो, लेकिन कैंट में सौंदर्यीकरण और अन्य कार्य में अभी पिछड़ रहा है। यहां आबूलेन स्थित फव्वारा, कैंट में सोफिया चौक पर बना फव्वारा, बेगमपुल फव्वारा व शिव चौक के पास का डिवाइडर क्षतिग्रस्त हैं। ये करीब दो वर्षों से खराब पड़ी हैं। तब टोल वसूली समेत बड़ी आमदनी कैंट बोर्ड की थी, तब भी ठीक क्यों नहीं कराया जा रहा था? ये बड़ा सवाल है।
हालात इतने खराब सड़कों के है। पार्कों के हैं, फिर भी कैंट बोर्ड के अधिकारी आंखें मूंदे हुए हैं। कहा जा रहा है कि बोर्ड के पास कर्मचारियों की सैलेरी तक के लिये बजट नहीं होता है। ऐसे में विकास कार्यों के लिए कहां से कैसे आएगा? कैंट क्षेत्र के फव्वारा चौक को फव्वारे के कारण ही फव्वारा चौक कहा जाता है, लेकिन यहां फव्वारा ही ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर पा रहा है। क्षेत्र में और भी कई ऐसी जगह हैं, जहां फव्वारे खराब हैं। पिछले दो वर्ष से फव्वारे खराब हैं, तब तो टोल वसूली भी होती थी।
सदर शिव चौक पर टूटे पड़े गमले
सदर शिव चौक की बात करें तो यह शहर के पॉश एरियों में आता है, यहां के हालात ऐसे हैं कि क्षेत्र में कई गमले टूटे हुए हैं, जिन्हें ठीक नहीं कराया गया है, जबकि बोर्ड की ओर से अभी हाल ही में आबूनाले के किनारे सौंदर्यीकरण का कार्य किया गया था। नाले के किनारे दोनों ओर पौधरोपण भी किया गया था, लेकिन यहां पौधे नहीं लगाये गये और न नहीं टूटे गमलों को बदला गया था। यहां पर डिवाइडर के पास लगी लोहे की ग्रिल भी टूटी पड़ी है।
सदर व्यापार मंडल के महामंत्री अमित बंसल ने कहा कि बोर्ड लगातार टैक्स भेजता रहता है कभी कूड़े के नाम पर तो कहीं अन्य टैक्स। जिसमें दरे अधिक होती हैं। टैक्स वसूला भी जाता है तो क्षेत्र में कार्य नहीं होते। यहां फव्वारों को ठीक तक नहीं कराया गया है। ट्रेड लाइसेंस लेने को व्यापारी अभी तैयार नहीं है, क्योंकि आने वाले समय में कैंट का यह क्षेत्र अगर नगर निगम में गया तो व्यापारियों को बड़ा नुकसान होगा।
मंत्री सदर व्यापार मंडल ब्रजमोहन शर्मा ने भी ट्रेड लाइसेंस लेने से इनकार करते हुए बोर्ड के कार्यों पर सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में कई जगह अव्यवस्थाएं हैं, जिनमें सुधार नहीं हो रहा है।
व्यापारी रजत मेंहदीरत्ता ने कहा कि कैंट बोर्ड लगातार कूड़े के नाम पर व अन्य मदों में टैक्स वसूलता है, लेकिन कार्य नहीं कराये जाते। उन्होंने भी फिलहाल ट्रेड लाइसेंस लेने से इनकार किया।
सदर व्यापार मंडल के दीपक चड्ढा ने कहा कि क्षेत्र में कई जगह कूड़े का ढेर लगा है। फव्वारे बंद पड़े हैं और कैंट बोर्ड टैक्स पर टैक्स वसूलता है। व्यापारी अभी ट्रेड लाइसेंस संबंधी कोई शुल्क देने को तैयार नहीं है।
ये है कैंट बोर्ड के दो करोड़ के बाकीदार
कैंट बोर्ड के बड़े बाकीदारों पर शिकंजा नहीं कसा जा रहा हैं। बोर्ड ऐसे लोगों पर खास मेहरबान बना हुआ हैं। आखिर सेटिंग-गेटिंग का खेल तो नहीं चल रहा है। यहां व्यापारियों और स्कूल संचालकों समेत आदि लोगों पर टैक्स के नाम पर करोड़ों रुपये बकाया है।
यहां कैंट बोर्ड लगातार बड़े बकायदारों से आउट आॅफ कोर्ट सेटलमेंट करने की योजना भी बनाता है, लेकिन योजना से अधिक लाभ नहीं हुआ। अभी भी कई ऐसे बड़े बकायेदार हैं जिन पर बोर्ड का करीब दो करोड़ से अधिक बकाया है। कैंट बोर्ड की बकाया धनराशि को वसूलने को लेकर बीती बोर्ड बैठक में भी मुद्दा उठ चुका है। यहां मनोनीत सदस्य बनते ही डा. सतीश चंद्र शर्मा ने यह बकायेदारों से वसूली का प्रस्ताव रखा, जिससे बोर्ड की कुछ स्थिति सुधर सके।
कैंट बोर्ड का कुछ बड़े स्कूलों की बात करें तो उनके ऊपर ही करोड़ों रुपये टैक्स का बकाया है। इनमें से कई स्कूल संचालकों को कैंट बोर्ड सीईओ की ओर से आउट आॅफ कोर्ट सेटलमेंट का प्रस्ताव भी भेजा गया था, जिसमें से एक या दो स्कूल संचालकों ने टैक्स की कुछ राशि जमा भी कराई थी, लेकिन बाद में फिर कोई धनराशि जमा नहीं कराई गई। वर्तमान की बात करें तो कैंट बोर्ड का टैक्स के रुपये में लगभग दो करोड़ रुपये लोगों के ऊपर बकाया है।