Sunday, May 11, 2025
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हाइवे से सटी 100 करोड़ की सरकारी जमीन पर कब्जा

  • लापरवाही: सिंचाई विभाग के चक सलावा रजवाहे पर रातोंरात कब्जा कर बना डाला 40 फीट का पुल

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: एनएच-58 के समीप 100 करोड़ से ज्यादा की आंकी जा रही सिंचाई विभाग की जमीन पर कब्जा हो गया और विभाग के अफसर इसके जिम्मेदारों पर बजाए सीधी कार्रवाई के उन्हें बचाने के तरीके सुझा रहे हैं। हाइवे पर संस्कृति रिसोर्ट के समीप सिंचाई विभाग की डाबका, मुरलीपुर, लखवाया व पठानपुरा आदि गांवों की जल निकासी के लिए सलावा नहर का 20 मीटर चौड़ा नाला है। इस नाले के दोनों ओर सिंचाई विभाग की काफी जमीन है। इस सरकारी जमीन के बडेÞ हिस्से पर अवैध रूप से कब्जे कर लिए गए हैं।

अवैध कब्जों के चलते 20 मीटर चौड़ा यह नाला धीरे-धीरे नाली में तब्दील होता जा रहा है। फिलहाल हालात इतने नाजुक हैं कि यदि सिंचाई विभाग के अफसरों की नींद नहीं टूटी यह तो नाला सिकुड़ते-सिकुड़ते पूरी तरह से लुप्त हो जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो चार गांवों डाबका, मुरलीपुर लखवाया व पठानपुर की जल निकासी नहीं हो सकेगी। बगैर बारिश के इन गांवों के रास्तों में तालाब बन जाएंगे। गांव के कब्रिस्तान व श्मशान तक पानी में डूब जाएंगे।

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ऐसे किया सरकारी जमीन पर कब्जा

डाबका पठानपुर नाला के पास की मुरलीपुर गुलाब व शोभापुर के रकबे में किसानों से चार लाख गज जमीन खरीदी गई है जो सरकारी नाले के दोनों ओर है। आरोप है कि इसके बाद सिंचाई विभाग नाले पर 60 फीट लंबी पक्की पुलिया बना डाली गयी। नाले के दोनों ओर की 12-12 फीट चौड़ी पटरी पर कब्जा कर कालोनी की जमीन में मिला लिया गया। 60 फीट लंबी पुलिया के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की गयी। इसके बाद विगत 19 अगस्त को 40 फीट लंबी एक ओर पक्की पुलिस का निर्माण वहां करा दिया गया। इस पुलिया का निर्माण रातों रात कराया गया।

ऐसे किया गया कब्जा

सिंचाई विभाग के डाबका, पठानपुरा नाले के दोनों ओर जो सरकारी जमीन है, उस पर फाजलपुर निवासी बताए जा रहे कुछ लोगों ने कालोनी काटी है, उन पर भाजपा नेता दुष्यंत रोहटा ने सिंचाई विभाग की इस जमीन समेत राजस्व के कई चकरोड कब्जा लिए जाने के आरोप लगाए हैं। इसको लेकर हजारी की प्याऊ के समीप बुलायी गयी प्रेसवार्ता में उन्होंने सिंचाई व राजस्व विभाग की 100 करोड़ से ज्यादा कीमत की बतायी जा रही इस जमीन पर कब्जा करने वालों की पूरी जानकारी मीडिया को दी।

राजस्व की जमीन भी बेच डाली

प्रेस कांफ्रेंस में खुलासा किया गया कि किसानों से जो चार लाख गज जमीन कालोनी के लिए खरीदी गई, उसमें राजस्व की चकरोड भी थीं। कालोनी काटने वालों ने राजस्व की जमीन भी किसानों से खरीदी जमीन में मिला दी। डाबका, पठानपुर व राजस्व की जमीन की यदि सर्किल रेट पर कीमत निकाली गयी तो यह 100 करोड़ से ज्यादा बैठेगी।

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