ननमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत और अभिनंदन है। नवरात्रि के अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा विशेष रूप से की जाती है, जो देवी दुर्गा के नौ रूपों में से आठवां रूप हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां महागौरी भगवान शिव की अर्धांगिनी हैं और वे उनके साथ ही विराजमान रहती हैं। उनकी पूजा से विशेष रूप से शांति, समृद्धि और मानसिक संतुलन प्राप्त होता है। आइए जानते हैं कि इस दिन मां महागौरी की पूजा कैसे की जाती है, कौन से मंत्रों का जाप किया जाता है, और उन्हें क्या भोग अर्पित किया जाता है।
मां महागौरी का स्वरूप
पौराणिक कथाओं के अनुसार मां महागौरी श्वेत वस्त्र धारण करती हैं और उनका रंग अत्यंत गौरवर्ण होता है। चार भुजाओं वाली इस देवी को ‘श्वेतांबरधरा’ भी कहा जाता है। उनकी छवि अत्यंत शांत, कोमल और तेजस्वी मानी जाती है। एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में डमरू, तीसरे हाथ में अभय मुद्रा और चौथे हाथ में वरमुद्रा होती है। माना जाता है कि वे भक्तों को अन्नपूर्णा का वरदान देती हैं।
भोग
अष्टमी के दिन मां महागौरी को नारियल से बनी मिठाइयों का भोग अर्पित करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा काले चने और सूजी का हलवा भी उन्हें बहुत अत्यंत प्रिय है।
मंत्र
मूल मंत्र:
श्वेते वृषेसमारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
देवी स्तुति मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
पूजा विधि
अष्टमी के दिन प्रातः उठकर स्नान आदि करें और स्वच्छ एवं सफेद वस्त्र धारण करें।
मां महागौरी की प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें और उन्हें भी सफेद वस्त्र पहनाएं।
देवी महागौरी को सफेद फूल अर्पित करें और कुमकुम अथवा रोली से तिलक लगाएं।
इसके बाद मंत्रों का जाप करें और नारियल की मिठाई, हलवा व काले चने का भोग लगाएं।
अंत में माता की आरती उतारें और उनसे अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें।