जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: राष्ट्रीय लोक दल के प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी अजित सिंह गुरुवार को कोरोना से जंग हार गए और गुरुग्राम के आर्टिमिस अस्पताल में उनका निधन हो गया। 82 वर्षीय अजीत सिंह पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के पुत्र थे और यही वजह है कि उन्हें राजनीति विरासत में मिली थी।
82 वर्षीय अजित सिंह की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें गुरुग्राम के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बताया जा रहा था कि फेफड़ों में संक्रमण बढ़ने के कारण उनकी हालत नाजुक हो गई थी।रालोद प्रमुख चौधरी अजित सिंह 20 अप्रैल को कोरोना संक्रमित हुए थे। इसके बाद से ही उनके फेफड़े में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा था। मंगलवार रात अजित सिंह की तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी। इसके बाद उन्हें गुरुग्राम के आर्टिमिस अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां गुरुवार सुबह उनका निधन हो गया।
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे चौधरी अजित सिंह बागपत से सात बार सांसद और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री रह चुके हैं। उनके निधन के बाद बागपत समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शोक की लहर है। चौधरी अजित सिंह की गिनती बड़े जाट नेताओं में होती थी।
12 फरवरी 1939 को जन्मे चौधरी अजित सिंह ने अपने सियासी सफर की शुरुआत 1986 में की थी। उस समय उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह बीमार पड़ गए थे। अजित सिंह 1986 में राज्यसभा भेजे गए थे। इसके बाद 1987 से 1988 तक वह लोकदल (ए) और जनता पार्टी के अध्यक्ष भी रहे। 1989 में अपनी पार्टी का विलय जनता दल में करने के बाद वह उसके महासचिव बन गए।
1989 में अजित सिंह पहली बार बागपत से लोकसभा पहुंचे। वीपी सिंह सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया। इसके बाद वह 1991 में फिर बागपत से ही लोकसभा पहुंचे। इस बार नरसिम्हाराव की सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया। 1996 में वह तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा पहुंचे, लेकिन फिर उन्होंने कांग्रेस और सीट से इस्तीफा दे दिया।
1997 में उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल की स्थापना की और 1997 के उपचुनाव में बागपत से जीतकर लोकसभा पहुंचे। 1998 के चुनाव में वह हार गए, लेकिन 1999 के चुनाव में फिर जीतकर लोकसभा पहुंचे। 2001 से 2003 तक अटल बिहारी सरकार में चौधरी अजित सिंह मंत्री रहे।
2011 में वह यूपीए का हिस्सा बन गए। 1989 में अजित सिंह पहली बार बागपत से लोकसभा पहुंचे। वीपी सिंह सरकार में उन्हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया। इसके बाद वह 1991 में फिर बागपत से ही लोकसभा पहुंचे। इस बार नरसिम्हाराव की सरकार में उन्हें मंत्री बनाया गया। 1996 में वह तीसरी बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा पहुंचे, लेकिन फिर उन्होंने कांग्रेस और सीट से इस्तीफा दे दिया।
12 फरवरी 1939 को जन्मे चौधरी अजित सिंह ने अपने सियासी सफर की शुरुआत 1986 में की थी। उस समय उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह बीमार पड़ गए थे। अजित सिंह 1986 में राज्यसभा भेजे गए थे। इसके बाद 1987 से 1988 तक वह लोकदल (ए) और जनता पार्टी के अध्यक्ष भी रहे। 1989 में अपनी पार्टी का विलय जनता दल में करने के बाद वह उसके महासचिव बन गए।
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बेटे चौधरी अजित सिंह बागपत से सात बार सांसद और केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री रह चुके हैं। उनके निधन के बाद बागपत समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश में शोक की लहर है। चौधरी अजित सिंह की गिनती बड़े जाट नेताओं में होती थी।