Saturday, May 31, 2025
- Advertisement -

नागरिक भी समझें भोजन की अहमियत

Nazariya 1


Machhindraहाल ही में एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समाज के आखिरी तबके तक अनाज पहुंचाना सरकार की जिम्मेदारी है और यह सुनिश्चित करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि कोई भी भूखा न सोए। अगर भारत खुद को एक विकसित देश साबित करना चाहता है तो सरकार को सुप्रीम कोर्ट की राय पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। देश में कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे इसके लिए उपाय करना सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है। जबकि भारत विकास की ओर बढ़ रहा है और दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन रहा है, हालांकि, विश्व भूख सूचकांक 2022 की 121 देशों की सूची में छह स्थान नीचे आ गया है। भारत वर्तमान में भूख सूचकांक में 107 वें स्थान पर है, और 27 करोड़ नागरिक अभी भी देश में गरीबी रेखा से नीचे रह रहे हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट की राय को अहम माना जाता है। गरीबी उन्मूलन के लिए सरकार द्वारा अनेक कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। कोरोना काल में लगभग 80 करोड़ नागरिकों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराया गया और समय-समय पर इस योजना को बढ़ाया भी गया। इसके बावजूद देश में भूखे लोगों की संख्या महत्वपूर्ण बनी हुई है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों की स्थिति पर संज्ञान लेते हुए हर जरूरतमंद तक अनाज पहुंचने की उम्मीद जताई है। यह देश में गरीबी की स्थिति को भी दर्शाता है। यह भी आदेश जारी किए गए हैं कि ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या नवीनतम डाटा के साथ प्रस्तुत की जाए।

2011 की जनगणना के बाद से देश की जनसंख्या में वृद्धि हुई है। यदि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया तो देश के हजारों जरूरतमंद और पात्र लाभार्थी खाद्यान्न से वंचित हो जाएंगे। इस मौके पर केंद्र ने खाद्यान्न योजनाओं की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को सौंपी। इस हिसाब से देश में 81.35 करोड़ लाभार्थी हैं, जो भारत की कुल आबादी की तुलना में बहुत बड़ी संख्या है। दूसरी ओर, चौदह राज्यों ने हलफनामों के माध्यम से घोषणा की है कि खाद्यान्न कोटा समाप्त हो गया है। यह स्थिति गम्भीर है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि सरकार को खाद्यान्न सुरक्षा कानून लागू करते समय 2011 के आंकड़ों को नहीं मानना चाहिए। संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार, यह कहा गया है कि ‘भोजन का अधिकार’ एक मौलिक अधिकार है और इसमें कानून के अनुसार जरूरतमंदों को शामिल करने का भी निर्देश दिया गया है।

जब केंद्र सरकार ने 10 सितंबर 2013 को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम पेश किया, तो अधिनियम का उद्देश्य आम आदमी की पहचान की रक्षा करना और उन्हें भोजन और पोषण प्रदान करना था। कानून में प्रावधान है कि 75 प्रतिशत ग्रामीण और 60 प्रतिशत शहरी नागरिकों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से छूट पर खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाना चाहिए। पिछले जुलाई में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से प्रवासी यात्रियों के लिए एक नई प्रणाली विकसित करने के लिए कहा था; ताकि बिना राशन कार्ड के भी जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराया जा सके। बेशक, सरकार ने अभी तक इस दिशा में ठोस काम नहीं किया है। सरकार ‘एक राशन, एक राशन कार्ड’ की अवधारणा पर काम कर रही है; लेकिन इसकी स्पीड कम है। कुपोषण, भुखमरी की समस्या को दूर करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली, अंत्योदय योजना, पोषण अभियान, प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना, फूड फोर्टिफिकेशन, मिशन इंद्रधनुष्य, ईट राइट इंडिया मूवमेंट और पांच किलो मुफ्त अनाज जैसे कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। कई राज्यों में थाली को मध्यम मूल्य पर उपलब्ध कराया जा रहा है। महाराष्ट्र में शिव भोजन थाली, राजस्थान में इंदिरा रसोई योजना, तमिलनाडु में अम्मा कैंटीन गरीबों को बहुत कम दरों पर भोजन उपलब्ध करा रहे हैं। फिर भी, विश्व भूख सूचकांक में भारत की गिरावट खाद्य सुरक्षा और सरकार के दावों पर सवाल उठाती है। कुल मिलाकर देश की सभी सरकारों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।

एक तरफ भूखे सोने वाले लोग हैं और दूसरी तरफ बड़ी मात्रा में खाना बर्बाद करने वाले लोग भी हैं। भारत में हर व्यक्ति हर साल औसतन 50 किलो खाना बर्बाद कर देता है। खाने की बर्बादी के मामले में भारत दुनिया में चीन के बाद दूसरे नंबर पर आता है। इससे लगता है कि जितनी ज्यादा आबादी होगी, उतना ही ज्यादा खाना बर्बाद होगा। संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, देश में लगभग 190 मिलियन नागरिक कुपोषित हैं। भारत में हर साल लगभग 68.7 मिलियन भोजन बर्बाद हो जाता है। साथ ही भारत में बर्बाद होने वाले खाने की कीमत करीब 92 हजार करोड़ रुपए है। फूड वेस्ट इंडेक्स के मुताबिक 2021 में भारत में करीब 93.1 करोड़ टन खाना बर्बाद हो गया था। भारत में कुपोषण की दर को कम किया जा सकता है यदि भारतीय भोजन बर्बाद न करने के लिए सावधान रहें और यदि सरकार खाद्य सुरक्षा योजनाओं को अधिक प्रभावी ढंग से लागू करती है।


janwani address 8

spot_imgspot_img

Subscribe

Related articles

Meerut News: फायरिंग के मामले में महलका प्रधान दिल्ली से हुआ गिरफ्तार

जनवाणी संवाददाता ।फलावदा: थाना क्षेत्र के ग्राम महलका में...

Arshad Warsi: शेयर बाजार घोटाले में फंसे अरशद वारसी, SEBI ने लगाया ट्रेडिंग बैन

नमस्कार, दैनिक जनवाणी डॉटकॉम वेबसाइट पर आपका हार्दिक स्वागत...

Meerut News: ग्लोकल विश्वविद्यालय में हुई नई शिक्षा नीति, अनुसंधान एवं नवाचार पर केंद्रित उच्च स्तरीय बैठक

जनवाणी संवाददाता |सहारनपुर: ग्लोकल विश्वविद्यालय में एक उच्च स्तरीय...
spot_imgspot_img