- …तो ऐसे रुकेगा भ्रष्टाचार, वॉपकोस कंपनी ने डीएम दीपक मीणा को किया गुमराह
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: शुक्रवार को प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी को भ्रष्टाचार मुक्त करने के संकल्प के साथ एक पोस्टर लॉच किया गया। ई-रिक्शा भी शहर में चलाई गयी, ताकि भ्रष्टाचार पर प्रहार किया जा सके। ये डीएम का प्रयास बेहद सराहनीय हैं। डीएम डूडा आॅफिस का निरीक्षण कर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के निर्देश भी दे चुके हैं, लेकिन वॉपकोस कंपनी ने डीएम दीपक मीणा को ही गुमराह कर दिया। भ्रष्टाचार के खिलाफ हाथों में पोस्टर थामने वाले खुद भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।
उनको वॉपकोस कंपनी पहले ही भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर बर्खास्त कर चुकी हैं। आखिर वॉपकोस कंपनी ने ये डीएम से भी छुपाया कि भ्रष्टाचार के मामलों में बर्खास्त इंजीनियरों को ही भ्रष्टाचार रोकने में लगा दिया हैं। ऐसा करके कंपनी ने ईमानदार डीएम दीपक मीणा की छवि को धूमिल करने की कोशिश की। इस तस्वीर को ‘जनवाणी’ के फोटो जर्नलिस्ट ने कैमरे में कैद कर लिया। ये वायरल भी खूब हो रहा हैं।
दरअसल, पीएम आवास योजना गरीबों को लाभान्वित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चालू की हैं। ये योजना काफी लोकप्रिय भी हो रही हैं, मगर इसमें जिन कंपनियों को पीएम आवास की जिम्मेदारी सर्वे से लेकर जियो टैक करने तक की लगाई गयी हैं, वहीं कंपनी घालमेल कर रही हैं। महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि प्राइवेट कंपनियों को इसमें इसलिए उतारा गया था कि सरकारी स्तर पर इसमें भ्रष्टाचार हो सकता हैं।
प्राइवेट कंपनी अपने इंजीनियर लगाकर ईमानदारी से काम करेगी, लेकिन हो एक दम इसका उलट रहा हैं। बार-बार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी वॉपकोस कंपनी ने खुद की छवि को साफ करने की कोशिश की, लेकिन कंपनी की भ्रष्ष्टाचार पर पर्देदारी छुपी नहीं हैं। कलक्ट्रेट में भी कंपनी की भ्रष्टाचार पर की जा रही पर्देदारी फिर से सर्वजनिक हो गई। निशुल्क योजना का पोस्टर लांच किया गया। शहर में पीएम आवास योजना के नाम पर जो भ्रष्टाचार हो रहा है, उसको रोकने के लिए डीएम आॅफिस पर एलाउंसमेंट करने के लिए ई-रिक्शा और एक पोस्टर लांच किया गया।
डीएम दीपक मीणा ने इसे हरी झंडी दिखाकर ई-रिक्शा शहर के लिए रवाना किये। ई-रिक्शा से आगे हाथ में पोस्टर थामने वालों को लेकर खासी चर्चा हो गई हैं। हाथ में पोस्टर थामने वाले इंजीनियर ऐसे भी शामिल थे, जो पहले कंपनी उन्हें भ्रष्टाचार के मामलों में बर्खास्त कर चुकी हैं। ये इंजीनियर फिर से कंपनी में कैसे भर्ती कर लिया? यह बड़ा सवाल हैं। ईमानदार डीएम दीपक मीणा से उनको हरी झंडी दिखवा दी गई।
कंपनी ने इस तरह से डीएम की छवि को भी धूमिल करने का प्रयास किया। इस तरह से वाप्कोस कंपनी डीएम को भी गुमराह करने से नहीं चूक रही है। आखिर जिन इंजीनियरों को भ्रष्टाचार के मामले में बर्खास्त कर दिया गया था, उनको फिर से साफ सुथरा होने का प्रमाण कैसे दिया जा सकता हैं? कंपनी पोस्टर लॉन्च करती है और डीएम से हरी झंडी दिखावा देती है। सूत्रों के अनुसार कुलदीप और अंकित सिंह ये दो ऐसे इंजीनियर हैं, जो वॉपकोस कंपनी में पहले भी कार्य कर चुके हैं।
पीएम आवास योजना में वॉपकोस कंपनी के इंजीनियर रह चुके हैं।अतुल शर्मा पहले बर्खास्त हो चुका है, उसे भी तैनाती दे दी। उसे मेरठ का प्रोजेक्ट इंचार्ज बनाया है। आॅन रिकॉर्ड इन्होंने जियो टैग पहले भी की थी, जिसके दस्तावेज मौजूद हैं। कंपनी ने इन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए बर्खास्त कर दिया था। अब इन्हें फिर से मैदान में उतारकर दूध से नहला दिया गया है। अब ये भ्रष्टाचार नहीं करेंगे।
भ्रष्टाचार को खत्म करने का पोस्टर ही इनके हाथ में थमा दिया। यह सब डीएम दीपक मीना से छुपाया गया। यही नहीं, डूडा के पीओ चंद्रभान वर्मा से भी छुपाया गया। इस तरह से कंपनी भ्रष्ट मामलों में बर्खास्त करने वाले इंजीनियरों को ही फिर से वापसी कर काम ले रही है। इससे साबित होता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ कितने भी पोस्टर लांच कर लिये जाए, लेकिन जो भ्रष्टाचारी हैं जब वही कंपनी में काम करेंगे तो फिर किस तरह से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा? यह यक्ष प्रश्न है।
इससे पहले भी वॉपकोस कंपनी द्वारा मकानों की जियो टैगिंग करने के नाम पर जिस तरह से फर्जीवाड़ा हुआ है, वह सब जगजाहिर हो चुका है। इसकी शिकायतें भाजपा के कैंट विधायक अमित अग्रवाल ने भी की है तथा उनके द्वारा पूरे भ्रष्टाचार के मामलों की जांच कराने की मांग भी की गई है। उधर, सपा विधायक अतुल प्रधान ने भी इस मामले को विधानसभा में उठाने की बात कही हैं।