जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: छीपी टैंक स्थित तान्या आटोमाबाइल्स के बड़े एरिया में किये गए अवैध निर्माण की अब मुख्यमंत्री से शिकायत की गयी है। मेडा अफसरों की अवैध निर्माण में मिलीभगत की भूमिका का आरोप लगाते हुए पूरे मामले में जांच कराकर प्रभावी कार्रवाई की मांग की।
जागृति विहार के सामाजिक कार्यकर्ता राहुल ठाकुर ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में आरोप लगाया गया है कि तान्या आटोमोबाइल्स के मालिक हर्ष गर्ग, विवेक गर्ग ने पिछले कुछ बरसों में पुर्ननिर्माण कराया गया था। इस निर्माण में कई रेजिडेंशियल प्लाट्स पर प्राधिकरण के अफसरों से सांठगांठ करके कई पार्ट्स में नक्शे पास कराये गये हैं। जबकि मौके पर एक ही कामर्शियल बिल्डिंग निर्माण की गयी है। एक ही बिल्डिंग के सम्पूर्ण एप्रूव्ड मानचित्र के बगैर प्रतिष्ठान का विस्तारित निर्माण कराया गया है। यह निर्माण पूर्णतया अवैध है। निर्माण के दौरान उपरोक्त ने इतनी बड़ी बिल्डिंग के लिए कोई पार्किंग नहीं छोड़ी है। बेसमेंट में किये गये निर्माण में तान्या मोटर्स ने कारों का सर्विस सेंटर संचालित कर रखा है।
शिकायत में यह भी कहा गया है कि रेजिडेंशियल और कामर्शियल प्लाट्स पर एक ही कामर्शियल बिल्डिंग निर्माण के लिए लोहे के रट्रक्यर का इस्तेमाल किया गया है जो मानकों के विपरीत है। इस तरह मानकों का उल्लंघन करके तीन मंजिला इमारत तैयार की गयी है। इस तरह की इमारत के निर्माण से राजस्व को नुकसान पहुंचाया गया है। साथ ही, ऐसा निर्माण आसपास की बिल्डिंगों के लिए भी खतरे की घंटी है। इसके अतिरिक्त उपरोक्त ने अपने पड़ोसियों के स्पेस पर अवैध रूप से हाईटेंशन इलेक्ट्रिक यंत्र लगा रखे है। यह भी कहा गया है कि पिछले दिनों इस मामले में प्राधिकरण की ओर से उपरोक्त तान्या मोटर्स को नोटिस जारी किये गये थे। मगर प्राधिकरण के प्रवर्तन अधिकारी और मुख्य टाउन प्लानर से तान्या मोटर्स की सांठगांठ के चलते ना ती ध्वस्तीकरण आदेश जारी किया गया और ना ही इस मामले में प्राधिकरण ने जनहित के दृष्टिगत कोई कार्रवाई की गयी। ऐसा किया जाना भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला है। राहुल ठाकुर ने पूरे मामले की किसी एजेंसी से जांच कराने की मांग की है।
निर्माणाधीन कार पार्किंग को चुनौती देने वाली याचिका खारिज
घंटाघर पर नगर निगम परिसर में निर्माणाधीन मल्टीलेवल कार पार्किंग को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा नगर निगम परिसर की जगह किसी दूसरी जगह पार्किंग बनाने के सुझाव के आधार को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
शहर के लोकेश खुराना ने नगर निगम परिसर में बनायी जा रही मल्टीलेवल पार्किंग के निर्माण को लेकर जनहित याचिका 1196/2025 हाईकोर्ट में दायर की। याचिका के जरिये नगर निगम परिसर में बनायी जा रही मल्टीलवल पार्किंग को चुनौती दी गयी। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता शम्स उज जमां ने कोर्ट में बताया कि पहले नगर निगम के ही टाउन हाल के पार्क में वर्ष 2015 में बहुस्तरीय पार्किंग का निर्माण करने का प्रयास किया तो याचिकाकर्ता लोकेश खुराना ने जनहित याचिका 15255/2015 दायर की थी जिसे 22 अप्रैल 2015 को यह कहते हुए निस्तारित किया गया कि बहुस्तरीय पार्किंग का प्रस्ताव स्वीकृत नहीं किया जा सकता तथा अधिकारियों को पार्क के क्षेत्र को पार्क के रूप में ही बनाये रखने का निर्देश दिया गया। इस आदेश में संशोधन के प्रयास भी न्यायालय की तरफ से अस्वीकार कर दिये गए। अब नगर निगम परिसर में बनायी जा रही मल्टीलेचल पार्किंग को लेकर याचिकाकर्ता लोकेश खुराना नयी याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि जिस स्थान पर पार्किंग का निर्माण हो रहा है, वह नजूल की भूमि है तथा नगर निगम निर्माण कार्य में भवन उप विधियों का पालन नहीं कर रहा है। याचिकाकर्ता ने यह भी कोर्ट को बताया कि पार्किंग का प्रस्तावित स्थान उपयुक्त नहीं है। याचिकाकर्ता ने एक बेहतर स्थान का सुझाव दिया है लेकिन प्रतिवादी उस पर विचार नहीं कर रहे हैं।
प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ताओं अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता एके गोयल, देवराज राजवेदी, प्रमोद गुप्ता, पंकज श्रीवास्तव व शिव प्रकाश गुप्ता ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता की तरफ से उठाये गए कई मुद्दों का कोई ठोस आधार नहीं है। न ही राज्य सरकार और न ही विकास प्राधिकरण ने उक्त भूमि पर बहुस्तरीय पार्किंग निर्माण का विरोध किया है। यह भी प्रस्तुत किया गया कि यह मानने का कोई कारण नहीं है कि प्रतिवादीगण कानून के अनुसार भवन उपविधियों का पालन नहीं करेंगे। लिहाजा, याचिकाकर्ता की आपत्तियों में कोई दम नहीं है।
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली, न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र ने कहा कि याचिकाकर्ता की मांग किसी भी प्रकार से जनहित नहीं मानी जा सकती। जब बहुस्तरीय पार्किंग की आवश्यकता स्वीकार कर ली गई है, तब केवल इस आधार पर कि पूर्व अवसर पर पार्क में निर्माण को रोका गया था, याचिकाकर्ता यह निर्देश नहीं दे सकता कि स्थान उसी के अनुसार तय किया जाए। लिहाजा मामले में हस्तक्षेप करने का कोई कारण दिखाई नहीं देता। याचिका निरस्त की जाती है। बता दें कि इससे पहले लोकेश खुराना ने मल्टीलेवल पार्किंग को लेकर जिलाधिकारी के समक्ष आपत्ति व्यक्त की गयी थी और कहा कि पार्किंग उपयुक्त स्थान पर नहीं बनायी जा रही। यह घाटे का सौदा साबित होगी। इसका मानचित्र भी मेरठ विकास प्राधिकरण से स्वीकृत नहीं है। वैसे भी यह राज्य सरकार में निहित नजूल की भूमि है। नगर निगम पार्किंग को बनाने पर 49.67 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है।