जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: कृषि संबंधी तीन अध्यादेशों को कानूनी जामा पहनाने संबंधी विधेयकों पर सत्तारूढ़ राजग में फूट पड़ गई है। विधेयक से जुड़े प्रावधानों पर नाराजगी जताते हुए केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने बृहस्पतिवार को मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था।
इससे पहले लोकसभा में विधेयकों पर चर्चा के दौरान पार्टी अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने उनके इस्तीफे की घोषणा की थी। हालांकि उन्होंने कहा कि पार्टी एनडीए सरकार को समर्थन जारी रखेगी।
राष्ट्रपति ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है।
As advised by Prime Minister Modi, the President has directed that Narendra Singh Tomar (in file pic), Cabinet Minister, be assigned the charge of the Ministry of Food Processing Industries, in addition to his existing portfolios: Rashtrapati Bhavan pic.twitter.com/AEiXK8EGJq
— ANI (@ANI) September 18, 2020
विधेयकों के खिलाफ जारी विरोध सड़क के बाद संसद और सरकार तक पहुंच गया। हरसिमरत ने इस्तीफे की जानकारी देते हुए ट्वीट किया, मैंने किसान विरोधी अध्यादेशों और विधेयकों के खिलाफ कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया। किसानों की बहन और बेटी बनकर उनके साथ खड़े रहने पर मुझे गर्व है।
इससे पहले सुखबीर बादल ने कहा, इन विधेयकों का पंजाब-हरियाणा सहित उत्तर भारत के 20 लाख किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। ये कृषि क्षेत्र में पंजाब सरकार की 50 साल की मेहनत तबाह कर देंगे। इसके प्रावधान किसान विरोधी हैं।
पार्टी कोटे की मंत्री हरसिमरत कौर ने इससे जुड़े अध्यादेशों का मंत्रिमंडल की बैठक में विरोध किया था। विरोध के बावजूद बिलों को लोकसभा में पेश किया गया। इसलिए वह मंत्रिमंडल से इस्तीफा देंगी। मंगलवार को भी बादल ने इन बिलों का लोकसभा में तीखा विरोध करते हुए वापस लेने की मांग की थी।
भाजपा और एनडीए के सबसे पुराने सहयोगी अकाली दल से मोदी सरकार में केवल हरसिमरत ही शामिल थीं। पंजाब-हरियाणा के किसान कई दिनों से विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं।
सरकार ने सोमवार को ही लोकसभा में आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन व सरलीकरण) विधेयक तथा कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन व कृषि सेवा पर करार विधेयक पेश किया था।