- मरीज को पांच दिन तक लगाए बारह हजार के इंजेक्शन
- बिना लक्षण का कोरोना, नौ दिन का बिल बना सवा दो लाख
- घर से भेजा गया खाना, बिल बनाया नौ हजार का
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: कोरोना वायरस का आतंक वैसे ही लोगों को दहशत में डाले हुए है ऊपर से प्राइवेट अस्पतालों ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। कोरोना मरीजों के इलाज के नाम पर जमकर लूट की जा रही है।
ऐसा ही एक मामला हाल ही में आया है। साकेत निवासी एक युवक को कोरोना पाजिटिव आने पर आनंद अस्पताल में भर्ती कराया गया। नौ दिन के इलाज में 2 लाख 36 हजार का बिल बना दिया गया।
साकेत निवासी राहुल गुप्ता को कोरोना पाजिटिव आने पर आनंद अस्पताल मे भर्ती कराया गया था। इस युवक को गंभीर कोरोना नहीं था।
जब नौ दिन इलाज के बाद राहुल गुप्ता को अस्पताल से डिस्चार्ज किया गया तो उसको 2.36 लाख का बिल थमा दिया गया। बिल देखकर परिजन हैरान हो गए।
बिल देखने के बाद पता लगा कि राहुल को मोरपेक का इंजेक्शन दिन में चार बार लगाया गया। इस इंजेक्शन की कीमत 3900 रुपये है। इसके अलावा 3500 रुपये का फेबी फ्लू लगाया गया।
जब परिजनों ने इस बाबत पूछा तो उनको संतोषजनक जबाव नहीं दिया गया। परिजनों ने अस्पताल के प्रबंधन से कहा कि जब बेटे को खाना रोज घर से जा रहा था फिर प्रति दिन एक हजार रुपये के हिसाब से नौ हजार रुपये क्यों लिये गए।
अस्पताल प्रबंधन ने 2 लाख 36 हजार रुपये के बिल में दो लाख रुपये लेकर डिस्चार्ज कर दिया। एक तरफ सरकार का दावा है कि कोरोना का इलाज महंगा नहीं होने दिया जाएगा।
प्राइवेट अस्पतालों में कोरोना के इलाज के नाम पर जमकर लूट की जा रही है। मेडिकल कालेज के कोरोना वार्ड में लोगों के रिकवर होने की दर 85 प्रतिशत से अधिक है और कम खर्च में लोग पूरी तरह से ठीक होकर आ रहे हैं।
यह मामला अकेले राहुल गुप्ता का नहीं है। आनंद अस्पताल में ऐसे कई मरीज भर्ती है जो भारी भरकम बिलों के अंबार में दबे पड़े हैं। आनंद के अलावा अन्य प्राइवेट अस्पतालों में कमोबेश यही स्थिति है।