- प्रशासन ने कमिश्नरी चौराहे को पुलिस छावनी में किया तब्दील
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: समाजवादी पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं ने गांधी जयंती पर कमिश्नरी पार्क में मौन सत्याग्रह किया। अपेक्षा से कहीं अधिक सपाइयों की यहां भीड़ उमड़ पड़ी। भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने कमिश्नरी चौराहे को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया।
कमिश्नर आफिस के मुख्य गेट पर कोई बवाल नहीं कर दे, इसको देखते हुए ताला लगा दिया तथा फोर्स तैनात कर दी गई थी। मौन सत्याग्रह में बड़ी तादाद में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की भीड़ पहुंच गई थी। समाजवादी पार्टी का यह मौन सत्याग्रह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के अह्वान पर किया गया था।
सुबह से ही समाजवादी पार्टी ने कमिश्नरी पार्क में टेंट लगा दिया था। टेंट छोटा लगाया गया था, लेकिन भीड़ ज्यादा पहुंच गई। इससे लगता है कि सपा नेताओं को भी उम्मीद नहीं थी कि इतनी भीड़ मौन सत्याग्रह में पहुंच जाएगी। सपा के इस आंदोलन की वजह थी प्रदेश में बढ़ते अपराध और बिगड़ती कानून व्यवस्था।
हाथरस में दलित युवती की बलात्कार के बाद हत्या की घटना हो या फिर अन्य आपराधिक घटनाएं, इनको लेकर समाजवादी पार्टी गांधी जयंती पर आक्रामक नजर आयी। सपा ने शांति पूर्ण तरीके से मौन सत्याग्रह आंदोलन किया, जिसमें सपा के तमाम नेता मौजूद रहे। मौन सत्याग्रह आंदोलन की अगुवाई पूर्व कैबिनेट मंत्री शाहिद मंजूर कर रहे हैं।
पूर्व विधायक गुलाम मोहम्मद, मोहम्मद अब्बास,पूर्व जिलाध्यक्ष जयवीर सिंह, अतुल प्रधान, बाबर चौहान, विपिन मनोठिया, जय राज चपराणा, मोहम्मद चांद, हफीर्जुरहमान आदि सपा नेता अपने-अपने समर्थकों के साथ मौन सत्याग्रह में शामिल हुए। सपा का मौन सत्याग्रह आंदोलन सुबह ग्यारह बजे आरंभ हुआ तथा दोपहर एक बजे तक चला।
आंदोलन जैसे ही खत्म हुआ तो सपाइयों का मौन टूट गया। सपाइयों ने इसके बाद नारेबाजी आरंभ कर दी। करीब दस मिनट तक नारेबाजी चलती रही। भीड़ से कोई बवाल नहीं हो, इसको देखते पुलिस ने कमिश्नरी चौराहे पर वाहनों का आवागमन रोक दिया। जब तक सपाइयों की भीड़ नहीं निकल गई, तब तक वाहनों को पीछे ही रोके रखा। सपाइयों की भीड़ छटने के बाद ही वाहनों को जाने दिया।
दोषियों को मिले ऐसी सजा जो बने नजीर
राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ की शुक्रवार को एक बैठक हुई। जिसमें हाथरस की पीड़िता मृतक युवती को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी गई। बैठक में जिला महामंत्री डा. छोटूराम ने विचार रखते हुए कहा कि सन 2012 के निर्भया केस ने देश को झकझोर दिया था। जिसके बाद बलात्कारियों के खिलाफ एक सख्त कानून बनाया था, ये दुर्भाग्य की बात है कि देश में इतने सख्त कानून होने के बाद भी ऐसे कुकृत्य की पुनरावृत्ति होती है।
उन्होंने कहा कि कहीं न कहीं पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी भी दोषियों का हौसला बढ़ाती है। इसलिए शासन और न्यायिक व्यवस्था को ऐसी व्यवस्था भी बनानी चाहिए कि हाथरस कांड में मृतक बेटी के पीड़ित परिजनों को न्याय के लिए इतने लंबे समय तक संघर्ष न करना पड़े। वहीं, जिलाध्यक्ष विकेश कुमार ने कहा कि ये एक बेटी के साथ हुए अत्याचार और उसकी निर्मम हत्या नहीं है ये समाज के मूल्यों, संस्कारों की भी हत्या है। बैठक में विनय, रेखा रानी, मंजू, अलका, संगीता, राजकुमार मौजूद रहे।