Monday, July 1, 2024
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सदर तहसील में ‘दलाल राज’

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  • अपनी समस्याओं का निस्तारण कराने को इधर से उधर भटक रहे लोग

जनवाणी संवाददाता |

मेरठ: सदर तहसील में दलालों का राज कायम है। यहां सक्रिय दलाल तहसील में आने वाले लोगों से संपर्क साध कर उनकों जल्दी कार्य करवाने का भरोसा देते हैं, जिसके चलते अधिकांश फरियादी अपना कार्य जल्दी कराने के लिए इनके चंगुल में फस जाते हैं, लेकिन मजे की बात ये है कि दलाल फरियादियों से अधिकारियों के नाम पर ली गई मोटी रकम के बाद भी उनका कार्य समय पर नहीं कराते, जिसके चलते अधिकांश फरियादी अपने कार्य को कराने के लिए इधर से उधर भटकते रहते हैं। जब फरियादी तहसीलदार से इसकी शिकायत करने के लिए जाते हैं तो बाहर खडा पहरेदार उन्हें तहसीलदार तक पहुंचने ही नहीं देता। ऐसे में फरियादियों के पास बेवसी और लाचारी की मार को झेलने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं नहीं है।

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जी हां! हम बात कर रहे हैं मेरठ महानगर की सदर तहसील की। जहां पर फरियादियों की सुनने वाला कोई नहीं। न कर्मचारी न अधिकारी फरियादियों की बात को सुनते हैं और न उनका निस्तारण करते हैं। क्योंकि अधिकारियों व कर्मचारियों से मिलने से पहले ही दलाल उनसे पूछताछ करनी शुरू कर देते हैं। मजे की बात यह भी है कि बेचारे फरियादियों को यह तक पता नहीं चल पाता कि आखिर पूछताछ करने वाला कोई अधिकारी या कर्मचारी नहीं बल्कि तहसील में भ्रष्टाचार की नींव रखने वाले कुछ अधिकारियों, लेखपालों और बाबुओं के रखे हुए दलाल हैं।

जब फरियादियों से दलालों द्वारा पूछताछ की जाती है तो फरियादी अपना दुखड़ा दलालों के आगे रोना शुरू कर देते हैं। दलाल फरियादियों को पहले भरोसा दिलाता है कि मैं यहां पर एक अच्छे पद पर तैनात हूं और आपका कार्य करवाने में सक्षम हूं। बस इतना सुनते ही शुरू हो जाता है, फरियादियों का दलालों के चंगुल में फसने का सिलसिला। थोड़ी देर बाद फरियादी से दलाल कहता है कि उच्च अधिकारियों से आपका कार्य कराने के लिए उन्हें खर्चा देना पड़ता है और अपने हथकंडों के बल पर दलाल फरियादी से एक मोटी रकम वसूलने में कामयाब हो जाता है, लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी काफी तादात में लोगों की न तो शिकायतों के निस्तारण हो पा रहे हैं और न ही उनके आवश्यक कार्य ही हो रहे हैं।

सप्ताह दो सप्ताह बीत जाने के बाद भी जब आम जनता की परेशानियों का कोई हल नहीं निकलता तो वो तहसीलदार से इसकी शिकायत करने की बात कहकर तहसीलदार के केबिन तक तो पहुंच जाते हैं, लेकिन बाहर खडा तहसीलदार का पहरेदार उन्हें मिलने की इजाजत ही नहीं देता। कभी साहब मीटिंग में व्यस्त हैं, कभी होते हुए भी नहीं होने की बात करता है। तहसील में रामकुमार, राजकुमार, सतीश, अनुज, रामपाल, रामेश्वर, बसंती आदि ने बताया कि दलालों ने उनसे उनका कार्य कराने क ी ऐवज में काफी वसूली की है, लेकिन कार्य नहीं हो पाया। अधिकारियों से कोई मिलने नहीं दे रहा। ऐसे में बेबस और लाचारी के मारे फरियादी आखिर करें तो करें क्या। ये अपने आपमें एक बड़ा सवाल है।

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