- योगी सरकार ने भ्रष्टाचार रोकने को सिस्टम किए आॅनलाइन, लेकिन नतीजा सिफर
- सबसे अहम्, गोपनीय रिकॉर्ड रूम में भी दलालों का आना-जाना
- जनवाणी की जांच-पड़ताल में आए कई चौंकाने वाले तथ्य
जनवाणी संवाददाता |
मेरठ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के तमाम प्रयासों के बावजूद आरटीओ में भ्रष्टाचार नहीं रुक पा रहा हैं। भ्रष्टाचार रोकने के लिए आॅन लाइन सिस्टम किये, फिर भी आरटीओ के संरक्षण में दलाल राज चल रहा है। दलाल जो चाहते हैं, वहीं आरटीओ आॅफिस में हो रहा हैं। गोपनीय रिकॉर्ड रूम में भी दलाल घुसे रहते हैं, जिसकी फाइल गायब भी हो रही हैं। रिकॉर्ड रूम में घुसे दलालों की तस्वीर को जनवाणी के फोटो जर्नलिस्ट ने कैमरे में कैद कर लिया, जिसके बाद आरटीओ आॅफिस में भगदड़ मच गयी।
पैसे के लिए आरटीओ आॅफिस में कुछ भी कराया जा सकता हैं। नियम सिर्फ फाइलों में ही चलते हैं, लेकिन आरटीओ ने दलालों को मौन स्वीकृति दे रखी हैं, जिनके माध्यम से खुला भ्रष्टाचार किया जा रहा हैं। यह सब जगजाहिर हो चुका हैं। भ्रष्टाचार के कई मामले पकड़े भी जा चुके हैं, जिसमें आरटीओ की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार को आरटीओ बढ़ावा दे रहे हैं। यह हालत उस मेरठ आरटीओ आॅफिस की हो गई हैं, जिसके ऊपर डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को भी बैठाया गया हैं। डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर से भी हो रहे भ्रष्टाचार को छुपाया जा रहा हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान भी चलाया, लेकिन आरटीओ हितैष तिवारी का दुस्साहस तो देखिये कि उनके आॅफिस से सटकर गोपनीय कक्ष हैं, जहां पर गोपनीय फाइलों के दस्तावेज रखा हुआ हैं। इस गोपनीय रिकॉर्ड रूम में दलाल हर समय घुसे रहते हैं। पूरी फाइल ही लेकर दलाल चले जाते हैं, इनको कोई रोकने टोकने वाला नहीं है। क्योंकि दलाल से मोटी रकम आरटीओ आॅफिस में आती हैं, जिसके चलते भ्रष्टाचार का खेल चल रहा है। इस खेल में पूरा आरटीओ आॅफिस लिप्त हैं। क्योंकि प्रत्येक सीट पर दलाल की एंट्री हैं।
उपभोक्ता आरटीओ आॅफिस पर विंडो लगी हैं, जिन पर ही उपभोक्ता अपना काम कराता हैं, लेकिन दलाल तो सीधे आरटीओ के आफिस में घुसे रहते हैं। तमाम फाइलों को दलाल सीधे आरटीओ से कराकर ले जाते हैं। जिन फाइलों में पैसा चलता है, वे फाइलों पर शाम चार बजे से पांच बजे तक हस्ताक्षर किये जाते हैं। कई बार तो अंधेरा होने तक आरटीओ आॅफिस खुला रहता है तथा धन देने वाली फाइलों पर ही हस्ताक्षर किये जाते हैं। फिटनेस की फाइलों को भी देर शाम को देखा जाता हैं।
इन पर दलाल के माध्यम से दो से तीन हजार रुपये वसूल दिये जाते हैं। बड़ा भ्रष्टाचार आरटीओ में किया जा रहा हैं। इसको लेकर जनप्रतिनिधि भी गंभीर नहीं है। कोई भी आरटीओ में चलने वाले भ्रष्टाचार को रोक नहीं पाये हैं। आखिर इसके लिए किसकी जवाबदेही बनती हैं?
क्या भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार कोई कदम उठायेगी? भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाएगी। इसमें कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह को ही कुछ कदम उठाना होगा। क्योंकि कमिश्नर पहले भी भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान चला चुके हैं। ऐसे अफसरों पर तभी रोक लग सकती हैं।
आरटीओ पर हावी दलाल
तस्वीर में साफ है कि किस तरह से दलाल आरटीओ पर हावी हो गए हैं। एक-एक दृष्य को कैमरे में कैद करने की कोशिश की गई, जिसमें दो दर्जन से ज्यादा दलालों को कैद कर लिया। हाथ में फाइल लेकर दबे पाव घुमने वाले दलालों के खिलाफ आखिर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही हैं? दलालों की दुकान आरटीओ आॅफिस के बाहर सजी रहती हैं। जैसे ही भोले-भाले लोग आते हैं, दलाल उसे अपने जाल में फंसाकर कम से कम पांच हजार रुपये उतार लेते हैं, फिर खेल शुरू होता है दलाल का।
दलाल फाइल लेकर आरटीओ आॅफिस में एंट्री करता हैं, फिर भ्रष्टाचार का खेल शुरू होता हैं। आरटीओ की प्रत्येक सीट पर हिस्से के रुपये दिये जाते हैं और इसके बाद शाम को फाइल हो जाती हैं। यदि कोई व्यक्ति आरटीओ में सीधे कार्य लेकर आता है तो उसे रास्ता नहीं दिया जाता हैं। ऐसे व्यक्ति परेशान होकर लास्ट में दलाल के चक्रव्यूह में ही जाकर फंस जाते हैं।