जनवाणी ब्यूरो |
नई दिल्ली: वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक अर्जी दायर की जिसमें अवमानना मामले के संबंध में उनकी सजा पर सुनवाई टालने की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि जब तक इस संबंध में एक समीक्षा याचिका दायर नहीं की जाती है और अदालत द्वारा इस पर विचार नहीं किया जाता है, तब तक सजा पर सुनवाई को टाल दिया जाए। हालांकि सजा की मात्रा के मुद्दे पर आज बहस होनी है।
गौरतलब है कि 14 अगस्त को शीर्ष अदालत ने वकील प्रशांत भूषण को कोर्ट की अवमानना वाले मामले में दोषी करार दिया। न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने भूषण को अवमानना का दोषी ठहराते हुए कहा कि इसकी सजा की मात्रा के मुद्दे पर 20 अगस्त को बहस सुनी जाएगी। शीर्ष अदालत ने पांच अगस्त को इस मामले में सुनवाई पूरी फैसला सुरक्षित कर लिया था।
इससे पहले, अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने उन दो ट्वीट का बचाव किया था, जिसमें कथित तौर पर अदालत की अवमानना की गई है। उन्होंने कहा था कि वे ट्वीट न्यायाधीशों के खिलाफ उनके व्यक्तिगत स्तर पर आचरण को लेकर थे और वे न्याय प्रशासन में बाधा उत्पन्न नहीं करते।
बता दें कि वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने देश के सर्वोच्च न्यायलय और मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े के खिलाफ ट्वीट किया था, जिस पर स्वत: संज्ञान लेकर कोर्ट कार्यवाही कर रहा है।
27 जून को प्रशांत भूषण ने अपने ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ और दूसरा ट्वीट मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबड़े के खिलाफ किया था। 22 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्रशांत भूषण को नोटिस मिला।
Lawyer Prashant Bhushan files an application before Supreme Court seeking deferment of hearing on his sentencing with respect to contempt case, till a review petition is filed & considered by court.
SC had held Prashant Bhushan guilty of criminal contempt in its Aug 14 judgment pic.twitter.com/3UYYrJoIkR— ANI (@ANI) August 19, 2020
प्रशांत भूषण ने अपने पहले ट्वीट में लिखा था कि जब भावी इतिहासकार देखेंगे कि कैसे पिछले छह साल में बिना किसी औपचारिक इमरजेंसी के भारत में लोकतंत्र को खत्म किया जा चुका है, वो इस विनाश में विशेष तौर पर सुप्रीम कोर्ट की भागीदारी पर सवाल उठाएंगे और मुख्य न्यायाधीश की भूमिका को लेकर पूछेंगे।
दिग्विजय सिंह, शरद यादव, फारुख अब्दुल्ला, सीताराम येचुरी समेत अलग-अलग राजनीतिक दलों के 24 नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा वकील प्रशांत भूषण को न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराए जाने पर नाखुशी जताई है।
इन सभी नेताओं ने भूषण का समर्थन करते हुए कहा है कि दो ट्वीट के कारण दोषी ठहराया जाना सही नहीं है क्योंकि इससे बोलने व अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बुरा असर पड़ेगा।
इन नेताओं का कहना है कि यह दुख की बात है कि सर्वोच्च न्यायालय रचनात्मक आलोचना और दुर्भावनापूर्ण आलोचना के बीच अंतर समझने में नाकाम रहा।
इन नेताओं में यशवंत सिन्हा, शशि थरूर, डी राजा भी शामिल हैं। मालूम हो कि गत 14 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण को न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया था। बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट में भूषण की सजा को लेकर बहस होनी है।